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यूक्रेन संघर्ष पर G-20 के घोषणा पत्र को पीएम मोदी ने कर दिया मुमकिन, अधिकारियों ने सहमति के लिए 200 घंटे में की 300 द्विपक्षीय बैठकें

यूक्रेन संघर्ष पर जी-20 के घोषणा पत्र पर आम सहमति बना पाना भारत के लिए नाक का सवाल बन चुका है। चीन और रूस अपनी जिद पर अड़े थे और दूसरे तरफ यूरोप व पश्चिमी देश अपनी जिद पर। दोनों की जिद के बीच सहमति का रास्ता निकालना आसान नहीं था। मगर आखिरी वक्त में भारत ने ये कर दिखाया। इससे दुनिया में भारत का सिर ऊंचा हो गया।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Sep 10, 2023 13:04 IST, Updated : Sep 10, 2023 13:04 IST
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
Image Source : PTI नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

नई दिल्ली के जी-20 शिखर सम्मेलन में यूक्रेन संघर्ष पर घोषणापत्र पर आम सहमति बनाने के लिए भारत ने कूटनीति का लोहा मनवा दिया। एक तरफ यूरोप और पश्चिमी देश तो दूसरी तरफ चीन और रूस अपनी जिद पर अड़े थे। यूरोप व पश्चिमी देश यूक्रेन पर हमले के लिए जी-20 से रूस की कड़ी आलोचना और उसे अपनी सेना वापस बुलाने के लिए घोषणापत्र जारी करवाना चाह रहे थे तो दूसरी तरफ रूस और चीन इस मुद्दे पर जरा भी सख्त संदेश को खारिज करने की जिद पर अड़े थे। मगर पीएम मोदी ने एक बार फिर नामुमिकन को मुमकिन में बदल कर दिखाया। आखिरी वक्त में जी-20 घोषणा पत्र पर आम सहमति बना ली गई। इसके बाद कैबिनेट मंत्रियों में मोदी है तो मुमकिन है की चर्चा फिर शुरू हो गई। जी-20 डिक्लेरेशन पास होने से भारत का सिर गर्व से दुनिया के सामने ऊंचा हो गया।

मगर इसके लिए भारत की एक टीम ने लगातार 200 घंटे से अधिक समय तक बैठकें की और सहमति का रास्ता खोजा। भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने रविवार को कहा कि यहां ‘लीडर्स समिट’ में अपनाए गए ‘जी20 डिक्लेरेशन’ (घोषणापत्र) पर आम सहमति बनाने के लिए भारतीय राजनयिकों के एक दल ने 200 घंटे से भी अधिक समय तक लगातार बातचीत की। इतना ही नहीं, संयुक्त सचिव ई गंभीर और के नागराज नायडू समेत राजनयिकों के एक दल ने इसके लिए 300 द्विपक्षीय बैठकें कीं। ‘जी20 लीडर्स समिट’ के पहले दिन ही सर्वसम्मति बनाने के लिए विवादास्पद यूक्रेन संघर्ष पर अपने समकक्षों को 15 मसौदे वितरित किए।

200 घंटे की मेहनत और 300 द्विपक्षीय बैठकों के बाद भारत ने रचा इतिहास

आखिरकार लगातार 200 घंटे में 300 द्विपक्षीय बैठकों को करने के बाद भारत उस मुकाम तक पहुंच गया, जहां पहुंचने की संभावना जी-20 देशों को नहीं थी। अमिताभ कांत ने कहा, ‘‘पूरे जी20 शिखर सम्मेलन का सबसे जटिल हिस्सा भूराजनीतिक पैराग्राफ (रूस-यूक्रेन) पर आम सहमति बनाना था। यह 200 घंटे से अधिक समय तक लगातार बातचीत, 300 द्विपक्षीय बैठकों, 15 मसौदों के साथ किया गया।’’ कांत ने कहा कि इस प्रयास में नायडू और गंभीर ने उनका काफी सहयोग किया। भारत इस विवादित मुद्दे पर जी20 देशों के बीच अभूतपूर्व आम सहमति बनाने में कामयाब रहा और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं जैसे कि ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाई।

ऐसे बनी सहमति

‘जी20 लीडर्स डिक्लेरेशन’ में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का उल्लेख करने से बचा गया और इसके बजाय सभी देशों से एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुत्ता के सिद्धांतों का सम्मान करने का आह्वान किया गया। घोषणापत्र में कहा गया है, ‘‘हम सभी देशों से क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून एवं शांति तथा स्थिरता की रक्षा करने वाली बहुपक्षीय प्रणाली सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान करते हैं।’

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