PM Modi govt 8 years: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने 8 साल के कार्यकाल में कई बड़े कदम उठाए हैं। उनके द्वारा लिए गए ज्यादातर फैसले देश की दशा और दिशा को बदलने का काम किया है। प्रधानमंत्री द्वारा लिए गए उन्हीं फैसले में से एक तीन तलाक कानून भी रहा है। इस कानून ने न सिर्फ मुस्लिम समाज में व्याप्त बुराइयों को खत्म किया है, बल्कि मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी को खूबसूरत भी बनाया है। ट्रिपल तलाक कानून ने भारत की 8 करोड़ मुस्लिम महिलाओं को यह अधिकार दिया है कि वो मजहब के नाम पर तीन तलाक जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ सकती हैं। इसका असर भी देखने को मिला है। देश में तलाक के मामले में 80 फीसदी की बड़ी कमी आई है। गौरतलब है कि इस कानून को लागू करने से पहले मोदी सरकार की बड़ी आलोचना की गई थी। मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इसे इस्लाम के खिलाफ तक बताया था। हालांकि, प्रधानमंत्री राजनीति से परे अपने फैसले पर डटे रहे। उन्हें काफी जद्दोजहद के बाद इस कानून को पास कराने में सफलता मिली।
अचानक से तलाक का डर खत्म हुआ
तीन कानून कानून ने न सिर्फ मुस्लिम समाज में व्याप्त बुराइयों को खत्म करने का काम किया है बल्कि मुस्लिम महिलाओं के आत्मनिर्भरता, स्वाभिमान और आत्मविश्वास को सुदृढ़ किया है। इसके चलते मुस्लिम महिलाओं में अचानक तलाक का डर खत्म हो गया है। देश में अब मुस्लिम महिलाएं खुलकर बोलती हैं कि तीन तलाक पर कानून बनने के बाद उन्होंने राहत की सांस ली और अपने साथ हुए नाइंसाफी को लेकर कानूनी रूप से आगे बढ़ी हैं। हालांकि, मुस्लिम समाज के लोग इस कानून पर बंटे हुए हैं लेकिन अब दबी जुबान में बहुत सारे लोग मानने लगे हैं कि यह मोदी सरकार का बहुत सही फैसला है। इस फैसले ने उनकी बेटी, बहुओं की जिंदगी बेहतर बनाने का काम किया है। ऐसे में यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि प्रधानमंत्री हमेशा दूर की सोच कर फैसला लेते हैं।
क्या था तीन तलाक और क्यों लगानी पड़ी रोक?
इस्लाम में तलाक के कई तरीके हैं, इनमें एहसान, हसन और तलाक-ए-बिद्दत (तीन तलाक) शामिल हैं। एहसान और हसन से पीछे हटा जा सकता है। वहीं, तलाक-ए-बिद्दत से मुकरने की गुंजाइश नहीं है। यानी एक बार पति पत्नी से तीन बार तलाक बोल देता है तो वह उससे पलट नहीं सकता है। इस कुप्रथा के चलते लाखों मुस्लिम महिलाओं को बद्दतर जिंदगी जीने पर मजबूर होना पड़ता था। इस्लाम की आड़ में मर्द अपनी मर्जी से फैसला लेते हैं। इसको देखते हुए मोदी सरकार ने इस कानून को लागू किया। वैसे, भारत से पहले ही ट्यूनीशिया, अल्जीरिया, मलेशिया, जॉर्डन, मिस्र, ब्रुनेई, संयुक्त अरब अमीरात, इंडोनेशिया, लीबिया, सूडान, लेबनान, सऊदी अरब, मोरोक्को और कुवैत जैसे मुस्लिम बहुल देशों में तीन तलाक पर प्रतिबंध है।