Highlights
- गुजरात के सीएम थे, तभी से मोदी थे 'विनिंग फेस'
- एंटी इनकंबेंसी पर भारी पड़ता है मोदी का चेहरा
- मोदी के चेहरे को भुना लेती है बीजेपी की चुनावी रणनीति
PM Modi govt 8 years: पीएम मोदी एक ऐसे करिश्माई व्यक्ति हैं, जिनके नाम पर चुनाव लड़े और जीते जाते हैं। चुनाव को वे एक त्योहार की तरह मानते हैं। 2019 में आम चुनाव की घोषणा के बाद उन्होंने अपने ट्वीट में भी चुनाव को 'त्योहार'बताया था। उन्होंने लिखा था कि लोकतंत्र का त्योहार, चुनाव आ गए हैं, मैं अपने साथी भारतीयों से 2019 के लोकसभा चुनावों को उनकी सक्रिय भागीदारी से समृद्ध करने का आग्रह करता हूं। जाहिर है जब चुनाव को त्योहार की तरह सेलिब्रेट किया जाएगा,तो परिणाम तो उत्साहजनक आएंगे ही।
गुजरात के सीएम थे, तभी से मोदी थे 'विनिंग फेस'
मोदी की करिश्माई छवि केवल 2013 से नहीं, बल्कि गुजरात में तीन बार सीएम बनने से शुरू होती है। उन्होंने गुजरात में इसी त्योहारी प्रयोग से चुनाव जीते और यही पटकथा वर्ष 2014 के आम चुनाव में भी लिखी। उत्तर प्रदेश सूबे में एक के बाद एक ताबड़तोड़ जनसभाएं लेकर उन्होंने चुनावी जीत की पटकथा लिख डाली थी। उनका ये एक वाक्य गंगा पट्टी के करोड़ों लोगों के मन में बस गया था, उन्होंने कहा था— 'मैं यहां (यूपी से चुनाव लड़ने) नहीं आया, मुझे मां गंगा ने बुलाया है।'
मोदी के चेहरे को भुना लेती है बीजेपी की चुनावी रणनीति
बीजेपी विनिंग मशीन की तरह काम करती है। दरअसल, उनके पास पीएम मोदी के रूप में ऐसा सर्वमान्य चेहरा है, जिस पर देश की आवाम वोट दे देती है। बीजेपी चुनाव के दौरान ऐसी रणनीति बनाती है, जिससे कि मोदी की ज्यादा से ज्यादा जनसभाएं हों। कुशल रणनीति और मोदी का सर्वमान्य चेहरा चुनावी जीत की इबारत लिख देते हैं।
मोदी ने चुनाव को फेस्टिवल और बीजेपी को विनिंग मशीन बना दिया
पीएम मोदी का करिश्माई व्यक्तित्व और बीजेपी की इलेक्शन प्रिपरेशन हाईकमान से लेकर गांव के बूथ पर बैठे बीजेपी कार्यकर्ता तक सभी को एक सूत्र में बांध कर रखती है। यही कारण है कि बीजेपी ने 2019 का लोकसभा चुनाव और हाल के समय में संपन्न हुए पांच राज्यों के चुनाव में से 4 में स्पष्ट जीत हासिल की। 2022 के हालिया 5 राज्यों के चुनाव का ही उदाहरण देखें तो बीजेपी के लिए चुनौतियां भी कम नहीं थी। पांच साल की डबल इनकंबेंसी, कोविड महामारी की भयावह यादें, लॉकडाउन में पलायन का दर्द, बेरोजगारी, महंगाई, किसान आंदोलन... चुनौतियों का पूरा पहाड़ था। इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा को 4-1 से जीत दिलाई।
एंटी इनकंबेंसी पर भारी पड़ता है मोदी का चेहरा
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे उस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि मोदी ही भगवा राजनीतिक के सबसे बड़े ध्वजवाहक हैं और उनकी बदौलत भारतीय राजनीति में अभी भाजपा का दबदबा रहने वाला है। नरेंद्र मोदी ऐसे नेता के रूप में उभरे हैं जो मुश्किल चुनाव में भी बीजेपी की नैया पार लगा सकते हैं। उनकी लोकप्रियता देश के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में पार्टी की बड़ी जीत के पीछे एक बड़ी वजह रही। उत्तराखंड में भी मोदी के चेहरे पर ही जीत मिली, वरना सीएम पुष्कर धामी तो बाजी हार चुके थे।
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी कई ऐसे प्रत्याशी थे, जिनकी ज्यादा लोकप्रियता नहीं थी और जिनका जनाधार भी ज्यादा नहीं था। लेकिन मोदी उनके लोकसभा क्षेत्र में जब चुनाव प्रचार करने गए तो परिणाम बीजेपी की झोली में ही आए।