Highlights
- सितंबर 2014 में शी जिनपिंग भारत के दौरे पर आए थे
- 2014 में शी जिनपिंग गुजरात गए थे
- यहीं पीएम मोदी और जिनपिंग झूले पर साथ-साथ बैठे थे
PM Modi govt 8 years: मोदी सरकार के 8 साल पूरे होने पर बीजेपी में एक अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है। ऐसे में जनता मोदी सरकार की उपलब्धियों पर बात कर रही है। मोदी सरकार की उपलब्धियों की बात हो और चीन का जिक्र ना हो, ऐसा हो नहीं सकता। क्योंकि इन बीते 8 सालों में चीन के साथ भारत के संबंध कभी मधुर और कभी आक्रामक दिखाई दिए हैं। एक तरफ पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अहमदाबाद में झूला झुलाया, वहीं दूसरी तरफ भारतीय सैनिकों ने गलवान में चीनी सैनिकों को अपने पराक्रम से परिचित करवाया। इसके बाद कई चीनी ऐप्स पर भी भारत ने कार्रवाई की और उन्हें बैन किया।
झूले पर पीएम मोदी और जिनपिंग की मुलाकात
मोदी सरकार अपने कार्यकाल में चीन के साथ संबंधों को लेकर काफी चर्चा में रही है। सितंबर 2014 में शी जिनपिंग भारत के दौरे पर आए थे, इस दौरान वह गुजरात गए थे। ये पहला मौका था जब भारत के किसी पीएम ने दिल्ली के अलावा किसी दूसरे राज्य में विदेशी राष्ट्राध्यक्ष का स्वागत किया हो।
जिनपिंग का अहमदाबाद में भव्य स्वागत हुआ था और दोनों नेताओं ने साबरमती नदी के किनारे काफी समय गुजारा था। यहीं पीएम मोदी और जिनपिंग झूले पर साथ-साथ बैठे, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। ऐसा नजारा बहुत कम ही देखने को मिलता है, जब दो ताकतवर देशों के प्रमुख एक साथ झूला झूल रहे हों।
इसके बाद अक्टूबर 2019 में जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत के दौरे पर आए तो पीएम मोदी ने तमिलनाडु के महाबलीपुरम में उनका स्वागत दक्षिण भारतीय परंपराओं के तहत किया था। इस दौरान पीएम मोदी पारंपरिक तमिल अंगवस्त्र (सफेद धोती, आधी बाजू की शर्ट और गमछा) में दिखाई दिए थे। 6 साल के अंदर पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच ये 18वीं मुलाकात थी।
जिनपिंग के साथ पीएम मोदी की पहली मुलाकात जुलाई 2014 में हुई थी। ये वही समय था जब मोदी ने लोकसभा चुनाव जीता था और वह गुजरात के सीएम से देश के पीएम बने थे। पीएम मोदी ने इस चुनाव से पहले चीन की घुसपैठ और पाकिस्तान के युद्ध विराम के उल्लंघन को चुनावी मुद्दा भी बनाया था। हालांकि दोनों नेताओं की ये पहली मुलाकात ब्राजील में हो रहे 'ब्रिक्स' सम्मलेन के दौरान हुई थी।
गलवान में चीनी सैनिकों से भारतीय जवानों की हिंसक झड़प
जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प में कर्नल संतोष बाबू समेत भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे और चीनी सैनिकों को भी काफी नुकसान हुआ था। हालांकि इस झड़प के बाद चीन अपने सैनिकों की मौत की बात को छिपाता रहा है। उसने केवल 4 सैनिकों की मौत की बात स्वीकार की थी लेकिन ऑस्ट्रेलिया के न्यूजपेपर 'द क्लैक्सन' (The Klaxon) में 'गलवान डिकोडेड' नाम से एक रिपोर्ट छपी थी, जिसका दावा था कि इस झड़प में 38 चीनी सैनिक गलवान नदी में डूब गए थे।
4 दशकों में पहली बार ऐसा हुआ था कि भारत और चीन के सैनिक इस तरह आमने-सामने आए हों। दरअसल भारत और चीनी सैनिकों के बीच समझौता हुआ था कि दोनों सेनाएं बफर जोन से वापस जाएंगी, लेकिन चीन अपनी हरकतों से नहीं माना, जिसके बाद भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को अपने पराक्रम से परिचित करवा दिया। इस हिंसक झड़प में चीनी सैनिकों को भारतीय लड़ाकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया था।
चीनी ऐप्स बैन किए
भारत ने साल 2020 में चीनी ऐप्स पर सबसे पहले बैन लगाया था। गलवान में हुई हिंसा के बाद भारत ने ये कार्रवाई की थी। इस दौरान 59 चीनी ऐप्स बैन किए गए थे, जिसमें टिकटॉक, शेयरइट, हैलो, लाइक, यूसी न्यूज जैसे पॉपुलर ऐप्स शामिल हैं। साल 2020 से अब तक भारत सरकार 224 चीनी ऐप्स पर बैन लगा चुकी है। साल 2022, फरवरी में भी भारत सरकार ने 54 चीनी ऐप्स को बैन किया था। ये ऐप्स भारत की प्राइवेसी और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे थे।