Highlights
- सत्ता संभालते ही पुराने और अप्रासंगिक हो चुके कानूनों को खत्म करने का बीड़ा उठाया
- मोदी सरकार अब तक करीब 1500 पुराने कानूनों को कर चुकी है खत्म
PM Modi govt 8 years : नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की कार्यप्रणाली अन्य प्रधानमंत्रियों की तुलना में भिन्न रही है। मोदी कुछ नया करने की सोच रखते हैं और इसी सिद्धांत पर चलते भी है। यही वजह है कि वर्ष 2014 में सत्ता संभालने के बाद से ही उन्होंने देश के पुराने और अप्रासंगिक हो चुके कानूनों को खत्म करने काम शूरू किया। इस क्रम में मोदी सरकार (Modi Govt) ने अबतक 1500 कानूनों को खत्म किया है। इनमें से ज्यादार कानून अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे हैं।
अब तक 1500 कानूनों को खत्म कर चुकी है सरकार
हाल में जब पीएम मोदी जर्मनी के दौरे पर गए थे तब वहां भारतीय समुदाय के लोगों के बीच अपने मन की बात करते हुए उन्होंने अपने आठ साल के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाईं। इन्हीं उपलब्धियों में से एक उन्होंने पुराने कानूनों के खात्मे का जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार अबतक 1500 कानूनों को खत्म कर चुकी है। उन्होंने कहा कि इसके पीछे मंशा लोगों को सूहलियत प्रदान करना है। मोदी ने बताया कि उनकी सरकार ने 25000 से ज्यादा शर्तों को समाप्त कर दिया साथ ही देश के नागरिकों की सहूलियत के लिए 1500 कानूनों को भी खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा- जहां जरूरत हो वहां सरकार का अभाव नहीं होना चाहिेए लेकिन जहां जरूरत नहीं हो वहां सरकार का प्रभाव भी नहीं होना चाहिए।
मई 2014 से अगस्त 2016 के बीच 1175 कानून खत्म किए गए
पुराने कानूनों खत्म करने को लेकर वर्ष 2017 में तत्कालीन कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह जानकारी दी थी कि मई 2014 से अगस्त 2016 के बीच 1175 पुराने कानूनों को हटाया जा चुका है। रविशंकर प्रसाद ने यह जानकारी दी थी कि केंद्र सरकार ने 1824 कानूनों को चिन्हित किया है जो इतने पुराने पड़ चुके हैं कि अब उनकी उपयोगिता समाप्त हो चुकी है।
देशद्रोह कानून के खात्मे के तैयारी
पुराने कानूनों को खत्म करने की दिशा में अभी हाल में सबसे ज्यादा चर्चा देशद्रोह के कानून की रही है। हालांकि जब इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में लाया गया तो कोर्ट ने केंद्र सरकार से राय मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर केंद्र और राज्य सरकारों से कहा कि जबतक केंद्र द्वारा इस कानून की समीक्षा नहीं हो जाती है तब तक देशद्रोह का कोई भी मामला दर्ज नहीं होगा। मौजूदा दौर में इस कानून का ज्यादातर इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ रहा था।
152 साल पहले 1870 में अंग्रेजों ने बनाया था कानून
देशद्रोह का कानून का उल्लेख भारतीय दंड संहिता (IPC) की सेक्शन 124 A में है। इसमें कहा गया गया है कि अगर कोई शख्स राष्ट्रीय प्रतीकों, संविधान का अपमान या नीचा दिखाने की कोशिश करता है या फिर सरकार विरोधी बात लिखता या बोलता है तो उसके खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज हो सकता है। आपको बता दें कि यह कानून ब्रिटिश शासन में आज से 152 साल पहले 1870 में बनाया गया था। उस वक्त इस कानून का इस्तेमाल अंग्रेज सरकार के खिलाफ बगावत करने वालों के खिलाफ किया जाता था।