PM Modi govt 8 years:अपने फैसलों से चौंकाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फितरत में शामिल है। 2018 में हज सब्सिडी खत्म करने का फैसला भी उसी का एक नयाब उदाहरण है। उनके इस फैसले को लेकर पक्ष और विपक्ष में तमाम तर्क दिए गिए लेकिन अब यह जरूर लग रहा है कि उनका यह फैसला बिल्कुल सही था। हर साल हज सब्सिडी के मद में खर्च होने वाली 700 करोड़ रुपये की रकम को अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों की शिक्षा और उनके सशक्तीकरण पर खर्च करने का फैसला आज मुस्लिम लड़कियों की तकदीर बदलने का काम कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अमल में लाया
सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई 2012 को केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि हज सब्सिडी को बंद किया जाए। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 10 साल के अंदर हज सब्सिडी को खत्म किया जाए। इस आदेश के बाद साल दर साल सरकार सब्सिडी का पैसा धीरे-धीरे कम करने लगी। फिर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चार पहले यानी 2018 में हज सब्सिडी खत्म करने का फैसला किया। यह प्रधानमंत्री की इच्छा शक्ति से ही संभव हो पाया। इससे पहले भी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी लेकिन वो यह फैसला नहीं ले पाए थे।
हज सब्सिडी क्या?
भारत से हजारों मुसलमान हर साल हज के लिए सऊदी अरब जाते हैं। सरकार हाजियों की यात्रा के खर्च का कुछ हिस्सा सब्सिडी के रूप में मुहैया कराती थी। इसमें हवाई किराया पर सब्सिडी शामिल होता था। हाजियों को ले जाने का कार्यभार भारत के विदेश मंत्रालय का था। वहीं, राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर गठित हज कमेटियां हाजियों के आवेदन से लेकर यात्रा से संबंधित जानकारी देने जैसे काम देखती थी। इस ही हज सब्सिडी कहा जाता था।
सब्सिडी के नाम पर चल रहा था सियासी छल
राजनीति के जानकारों का कहना है कि मोदी सरकार का यह फैसला काबिले -तारीफ है। देश में दशकों से हज सब्सिडी के नाम पर सियासी छल चल रहा था। इससे कुछ लोगों को फायदा मिल रहा था। वहीं, बड़े तबके को इसका कोई फायदा नहीं था। हाल ही में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सब्सिडी के खात्मे के बावजूद हज यात्रियों पर आर्थिक बोझ ना पड़ना इस बात का प्रमाण है कि यह सही दिशा में उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा, हम सम्मान के साथ सशक्तिकरण करेंगे, हम तुष्टिकरण के साथ सशक्तिकरण नहीं करेंगे। अल्पसंख्यक समाज के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक सशक्तिकरण के लिए ईमानदारी और मजबूती के साथ हम काम कर रहे हैं।