प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विवेकानंद रॉक मेमोरियल में 45 घंटे की साधना पूरी कर ली है। पीएम मोदी ने भगवा वस्त्र पहनकर ध्यान साधना की। कल पीएम मोदी ने डार्क कलर के भगवा वस्त्र धारण कर रखे थे, आज उन्होंने जो वस्त्र धारण किया वो थोड़े लाइट कलर के है। खास बात ये है कि जब पीएम मोदी ध्यान साधना कर रहे थे तब भी लोगों को विवेकानंद रॉक मेमोरियल जाने से रोका नहीं गया। बता दें कि पीएम मोदी ने विवेकानंद रॉक मेमोरियल में उसी जगह पर ध्यान लगाया था, जहां स्वामी विवेकानंद ने साधना की थी।
30 मई की शाम से थे ध्यान में लीन
आज सुबह सूर्योदय के समय ‘सूर्य अर्घ्य’ देने के बाद पीएम मोदी ने तीसरे और अंतिम दिन अपनी ध्यान साधना शुरू की थी और दोपहर को समाप्त किया। ‘सूर्य अर्घ्य’ आध्यात्मिक अभ्यास से जुड़ी एक परंपरा है, जिसमें भगवान सूर्य को जल अर्पित कर उन्हें नमन किया जाता है। पीएम ने एक लोटे से समुद्र में सूर्य को जल अर्पित किया और माला जपी। मोदी भगवा वस्त्र पहने हुए थे और उन्होंने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर पुष्पांजलि भी अर्पित की। वह अपने हाथों में ‘जाप माला’ लेकर मंडपम के चारों ओर चक्कर लगाते दिखे। उन्होंने 30 मई की शाम को विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ध्यान साधना शुरू की थी।
45 घंटे तक अन्न ना खाने का संकल्प
पीएम मोदी ने विवेकानंद रॉक मेमोरियल में गुरुवार को ध्यान शुरू किया था। पीएम के शेड्यूल के मुताबिक, उन्होंने 45 घंटे तक कुछ भी अन्न नहीं खाया। इस पूरे कार्यक्रम के दौरान उन्होंने केवल तरल आहार ग्रहण किया। वह ध्यान कक्ष से बाहर नहीं निकले और मौन रहे। पीएम मोदी की इस ध्यान यात्रा की वजह से पूरे इलाके की सुरक्षा बढ़ा दी गई। उनके प्रवास के दौरान दो हजार पुलिसकर्मी तैनात थे। इसके साथ ही भारतीय तटरक्षक बल और भारतीय नौसेना भी कड़ी निगरानी रख रही थी। यह पहली बार है जब प्रधानमंत्री इस स्मारक पर ठहरे थे। यह स्मारक स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि के स्वरूप में बनाया गया है और यह समुद्र के बीच में स्थित है।
2019 में केदारनाथ गुफा में लगाया था ध्यान
इस जगह को पीएम मोदी ने ध्यान के लिए इसलिए चुना क्योंकि माना जाता है कि स्वामी विवेकानंद को यहीं पर दिव्य दृष्टि प्राप्त हुई थी। पांच साल पहले 2019 के चुनाव प्रचार अभियान के बाद पीएम मोदी ने केदारनाथ गुफा में ध्यान लगाया था। भाजपा नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आध्यात्मिक प्रवास के लिए कन्याकुमारी को इसलिए चुना क्योंकि वह देश में विवेकानंद के दृष्टिकोण को साकार करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें यह विश्वास है कि चार जून को मतगणना होने के बाद वह तीसरी बार सत्ता में वापस लौटेंगे।