Kartavaya Path : राजपथ को कर्तव्य पथ करने का फैसला एक घंटे में नहीं किया गया। ये फैसला मोदी की सोच और अप्रोच को समझने के लिए एक उदाहरण है। राजपथ पर जो हुआ उसकी शुरुआत 15 अगस्त को लाल किला वाले भाषण से भी बहुत पहले से हुई थी। बहुत कम लोग जानते हैं कि सेंट्रल विस्टा बनाने का आइडिया नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले ही सोच लिया था। याद कीजिए साल 2014, प्रधानमंत्री बनने के बाद अंग्रेजों के जमाने के 1500 से ज्यादा कानून खत्म कर दिए गए। गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने बार-बार ये एहसास किया कि ऐसे सैकड़ों कानून हैं जिनकी आज़ाद भारत में जरूरत ही नहीं है, केंद्र सरकार बदलना ही नहीं चाहती थी। इसलिए ये कानून चले आ रहे थे।
जब प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को गुलामी की मानसिकता से निकलने का आह्वान किया तो इस पर वो काम शुरू कर चुके थे। साल 2017 में 92 साल पुरानी परंपरा खत्म की गई और रेल बजट को आम बजट का हिस्सा बनाया गया। इसी तरह पहले बजट फरवरी महीने के आखिरी दिन पेश किया जाता था। और इसका कोई तर्क नहीं था। एक पुरानी परंपरा थी जो चली आ रही थी। फरवरी के आखिरी दिन बजट पेश होने से अगले साल का प्लान बनाने में हजारों दिक्कत आ रही थी, लेकिन पुरानी सरकार इसे बदलती ही नहीं थी। मोदी ने इस परंपरा को एक झटके में बदला और अब बजट 1 फरवरी को पेश किया जाता है। इससे सरकार के पास भी फरवरी का पूरा महीना होता है और पब्लिक को भी पता होता है अगले वित्तीय साल में क्या होने वाला है।
इसी साल बीटिंग द रिट्रीट समारोह के दौरान 'Abide with Me' को हटाकर कवि प्रदीप का मशहूर गीत 'ऐ मेरे वतन के लोगों' धुन बजाया गया। इंडिया गेट पर चौबीसों घंटे अमर जवान ज्योति की लौ को नेशनल वॉर मेमोरियल की अमर ज्योति के साथ मर्ज किया गया। याद कीजिए साल 2016 का एक फैसला, प्रधानमंत्री के आवास का नाम भी बदला गया। पहले ये 7 रेस कोर्स रोड कहलाता था, अब नया नाम है 7, लोक कल्याण मार्ग। गुलामी की निशानी से मुक्ति पाने के लिए हर साल बड़े फैसले हुए और जब आज़ादी के 75 साल पूरे हुए तो 2022 में लाल किला से प्रधानमंत्री ने अपना इरादा स्पष्ट देश को बता दिया। गुलामी का बैगेज हटाने का फैसला प्रधानमंत्री के स्तर पर लिया गया।
15 अगस्त को प्रधानमंत्री ने जो कहा वो 2 सितंबर को करके दिखाया। इंडियन नेवी का नया निशान देश को समर्पित किया गया। अब नेवी के झंडे पर सेंट जॉर्ज क्रॉस का निशान नहीं छत्रपति शिवाजी महाराज की मुहर दिखती है। जब सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के बारे में सोचा गया था उसी वक्त प्रधानमंत्री के दिमाग में राजपथ के लिए नया नाम था। अंग्रेजी शब्द 'किंग्सवे' का अनुवाद 'राजपथ' रखा गया था। 'किंग्सवे' नाम ब्रिटिश किंग जॉर्ज पंचम के सम्मान में रखा गया था। 20 महीने में लगातार मेहनत के बाद जब सेंट्रल विस्टा बनकर तैयार हुआ तो गुलामी की याद दिलाने वाले नाम 'किंग्सवे' यानि 'राजपथ' को बदल दिया गया।
प्रधानमंत्री नए भारत के निर्माण के लिए पंच प्राण की बात कर रहे हैं। गुलामी की मानसिकता से मुक्ति इसी पंच प्राण का एक हिस्सा है। 'राजपथ' की जगह 'कर्तव्य पथ' का इलाका नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा से लेकर राष्ट्रपति भवन तक जाएगा। साल 1943 में भारत अंग्रेजों का गुलाम था। सुभाष चंद्र बोस ने कहा था कि अंडमान निकोबार द्वीप का नाम बदलकर शहीद द्वीप और स्वराज द्वीप रखा जाए। साल 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रॉस द्वीप का नया नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा। नील द्वीप का नया नाम शहीद द्वीप है और हैवलॉक आइलैंड अब स्वराज द्वीप कहलाता है।
नई दिल्ली के वीवीआईपी इलाके की सड़कों का नाम भी इसी तरह बदला गया। साल 2014 में औरंगजेब रोड का नाम अब्दुल कलाम रोड हो गया। साल 2017 से डलहौजी रोड का नया नाम दारा शिकोह रोड है। साल 2018 में ही तीन मूर्ति चौक को तीन मूर्ति हाइफा चौक कहा जाने लगा। नई शिक्षा नीति में भी मातृभाषा में पढ़ाई पर जोर दिया गया है ताकि फोकस सिर्फ अंग्रेजी भाषा पर ही ना हो। गुलामी की निशानी खत्म कर भारतीय सोच और भारतीय परंपरा को कायम करना होगा। सोच बदलेगी तो अप्रोच भी बदलेगा।