American Pit Bull: सोशल मीडिया पर आपने कुत्ते वाली वीडियो देखा ही होगा। कैसे कुत्ते लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गए है। एक जमाने में अमेरिका में काफी इसे कुत्ते को लोग पाला करते थे। हम बात पिट बुल की कर रहे हैं। पचास साल पहले तक पिट बुल अमेरिका का पसंदीदा कुत्ता था। पिट बुल हर जगह मिल जाते थे। वे विज्ञापन में लोकप्रिय थे। आरसीए विक्टर लेबल पर नीपर, ‘अवर गैंग’ कॉमेडी लघु फिल्मों में ‘पेटे द पप’ और प्रथम विश्व युद्ध के पोस्टर पर झंडे से लिपटा कुत्ता, सभी पिट बुल थे।
इस कारण से पिट बुल रखने पर रोक लगा दी
ऐसे में जब 26 अक्टूबर को अमेरिका में राष्ट्रीय पिट बुल जागरूकता दिवस मनाया जाता है, तो यह सवाल करने का उपयुक्त समय है कि इन कुत्तों को कैसे एक खतरे के तौर पर देखा जाने लगा। वर्ष 1990 के आसपास से, अमेरिका में कई कारणों से व्यापक प्रतिबंधों के चलते पिट बुल रखने पर रोक लगा दी गई। इसके पीछे के कारणों में कुछ कुत्तों के हमले, बीमा कंपनियों की आशंका आदि शामिल थे। मानविकी और कानून के प्रोफेसर के रूप में, मैंने गुलामों, आवारा, अपराधियों, आतंकवाद संदिग्धों और सभ्य समाज के लिए खतरे वाले अन्य लोगों के कानूनी इतिहास का अध्ययन किया है।
मालिकों के वजह से खतरनाक हो जाते हैं
मेरी किताबों ‘द लॉ इज ए व्हाइट डॉग’ और ‘विद डॉग्स एट द एज ऑफ लाइफ’ के लिए मैंने आदमी और कुत्तों के बीच रिश्तों का अन्वेषण किया और इस बात की भी पड़ता की कि कैसे नियम-कानून पूरे वर्ग के प्राणियों को समान सुरक्षा से वंचित कर सकते हैं। इन कुत्तों के साथ अपने अनुभव के आधार पर मैंने सीखा है कि पिट बुल स्वाभाविक रूप से खतरनाक नहीं होते हैं। अन्य कुत्तों की तरह, वे कुछ भिन्न परिस्थितियों में और कुछ मालिकों की वजह से खतरनाक हो सकते हैं।
डॉगफाइटिंग रहा है इतिहास
हालांकि मेरे विचार में, न केवल सभी पिट बुल, बल्कि किसी भी कुत्ते की निंदा करने के लिए कोई बचाव योग्य तर्क नहीं है, जैसा कि कुछ कानून करते हैं। पिट बुल काफी ताकवर होते हैं। इसके जबड़े की पकड़ का मुकाबला करना लगभग असंभव है। इसकी बहादुरी और ताकत इसे किसी भी स्थिति में परास्त नहीं होने देती है, चाहे कितना भी लंबा संघर्ष हो। वह उसी ताकत से प्यार करता है। दशकों से पिट बुल की सख़्त पकड़ ने ‘डॉगफाइटिंग’ (कुत्ते की लड़ाई) के खेल को प्रोत्साहित किया।
खेल में सिर्फ मौत
इस खेल का अंत अक्सर मौत के साथ होता है और जीतने वाले जानवरों ने उन पर दांव लगाने वालों के लिए बड़ी रकम अर्जित की। हालांकि कुत्तों पर सट्टा लगाना कोई उच्च श्रेणी का खेल नहीं है। कुत्ते घोड़े नहीं हैं; उन्हें हासिल करने और पालने के लिए बहुत कम खर्च होता है। वर्ष 1976 तक अमेरिका के सभी 50 प्रांतों में डॉगफाइटिंग को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था, हालांकि इसका अवैध कारोबार जारी रहा।
समुदाय और समाज के लिए खतरा
जैसे ही इस नस्ल पर प्रतिबंध लगा, कानूनी फैसलों ने इन कुत्तों को ‘समुदाय की सुरक्षा या स्वास्थ्य के लिए खतरनाक’ घोषित कर दिया। वर्ष 1987 में पत्रिका ‘स्पोर्ट्स इलस्ट्रेटेड ने ‘बीवेयर आफ दिस डॉग’ (इस कुत्ते से सावधान रहें) शीर्षक के साथ कवर पृष्ठ पर एक पिट बुल की तस्वीर प्रकाशित की, जिसके दांत दिख रहे थे। टाइम पत्रिका ने भी इससे संबंधित ‘टाइम बॉम्ब्स ऑन लेग्स’ शीर्षक से एक लेख प्रकाशित किया।
कई समुदायों में गैर-कानूनी
पिट बुल को एक समय ‘अमेरिकन केनेल क्लब’ द्वारा एक अमेरिकी स्टैफोर्डशायर शिकारी कुत्ते के तौर पर मान्यता दी गई थी, लेकिन अब ‘पिट बुल प्रकार’ के तौर पर वर्गीकृत किसी भी कुत्ते को कई समुदायों में गैर-कानूनी माना जाता है। उदाहरण के लिए, मैरीलैंड कोर्ट ऑफ अपील्स ने कुत्ते से जख्मी होने के मामलों में प्रांत के सामान्य कानून को संशोधित किया। पिट बुल जीन युक्त कोई भी कुत्ता कानून के मामले में ‘स्वाभाविक रूप से खतरनाक’ है।
क्या है भारत में कुत्ते रखने के नियम?
एक फ्लैट में अधिकत्तम दो कुत्तों का ही रजिस्ट्रेशन कराया जाए।
पालतू कुत्तों द्वारा की गई गंदगी की सफाई की पूरी जिम्मेदारी कुत्ते के मालिक की होगी। इसके अतिरिक्त आवारा कुत्तों का ध्यान रखने की जिम्मेदारी RWA की होगी।
कोई भी व्यक्ति किसी के घर के सामने कुत्तों को न तो खाना खिलाएगा और न गंदगी फैलाएगा।
पशु प्रेमी तथा RWA आपस में समन्यव स्थापित करते हुए आवारा कुत्तों को खाना खिलाने के लिए निर्धारित स्थान तय करें।
सार्वजनिक स्थान जैसे- पार्क और लिफ्ट में कुत्तों को ले जाते समय उनके मुंह पर मजल लगाना अनिवार्य होगा, लेकिन अधिक गर्मी के मौसम में जहां लोग कम हों मजल हटा सकते हैं।
गाजियाबाद नगर निगम द्वारा पिटबुल, रॉटवीलर तथा डोगो अर्जेंटीना जैसे आक्रामक कुत्तों का रजिस्ट्रेशन तथा ब्रीडिंग प्रतिबंधित किया जाता है।
इसके अलावा, वो लोग जिन्होंने ऐसे कुत्ते पाले हुए हैं उन्हें इस शर्त पर रजिस्ट्रेशन प्रदान किया जाएगा कि अगले 2 माह के अंदर अपने कुत्ते का बध्याकरण (नसबंदी) अनिवार्य रूप से करा लें। इस निर्धारित समयावधि के बाद उन कुत्तों का पंजीकरण नहीं किया जाएगा।
यदि उल्लेखित आक्रामक कुत्ता 6 माह से कम उम्र का है तो कुत्ते के मालिक को निगम में यह शपथ पत्र देना होगा कि कुत्ते Kani उम्र 6 माह पूर्ण होने पर कुत्ते का बध्याकरण कराकर निगम को इसकी सूचना 10 दिन के अंदर प्रदान की जाएगी।