केंद्र की फैक्ट चेक बॉडी PIB ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस दावे को भ्रामक बताते हुए खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि नीति आयोग की बैठक के दौरान उनके माइक्रोफोन बंद कर दिया गया था। पीआईबी ने आज उनके आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि "केवल घड़ी ही दिखा रही थी कि उनका बोलने का समय खत्म हो गया था।"
PIB ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "ऐसा दावा किया जा रहा है कि नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का माइक्रोफोन बंद कर दिया गया था। यह दावा भ्रामक है। घड़ी केवल यह दिखा रही थी कि उनका बोलने का समय समाप्त हो गया है। यहां तक कि इसे चिह्नित करने के लिए घंटी भी नहीं बजाई गई थी।"
पीआईबी के अनुसार, अगर वर्णानुक्रम से देखा जाए तो ममता बनर्जी की बोलने की बारी दोपहर के भोजन के बाद ही आती, लेकिन मुख्यमंत्री के आधिकारिक अनुरोध पर उन्हें सातवें वक्ता के रूप में "समायोजित" किया गया।
आरोपों पर निर्मला सीतारमण भी बोलीं
इस बीच, ममता बनर्जी के आरोपों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि उनका यह दावा पूरी तरह से झूठ है कि उनका माइक्रोफोन बंद था। उन्होंने कहा बैठक में प्रत्येक मुख्यमंत्री को बोलने के लिए उचित समय आवंटित किया गया था। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी को झूठ पर आधारित कहानी गढ़ने की बजाय इसके पीछे का सच बोलना चाहिए।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 'सीएम ममता बनर्जी ने नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लिया। हम सभी ने उन्हें सुना। प्रत्येक सीएम को आवंटित समय दिया गया था और उसे स्क्रीन पर प्रदर्शित किया गया था जो हर टेबल के सामने मौजूद थी। उन्होंने मीडिया में कहा कि उनका माइक बंद कर दिया गया था। यह पूरी तरह से झूठ है।'