Highlights
- पीएफआई एक चरमपंथी इस्लामी संगठन है
- ये देश के 23 राज्यों में एक्टिव हो गया है
- ये हिंदुओं के खिलाफ दो WhatsApp ग्रुप चला रहे हैं
Kerala PFI: हाल ही में कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में BJP नेता की हत्या से एक बार PFI सुर्खियों में आया है। इस निर्मम हत्या को राजस्थान के उदयपूर से जोड़कर देखा जा रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ये दावा किया जा रहा है कि इसका लिंक उदयपुर की घटना से संबंधित है। आपको बता दें, उदयपुर में रहने वाले एक व्यक्ति की सिर्फ सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करने के कारण दो मुस्लिम युवाओं ने हत्या कर दी थी। अब सवाल उठता है कि आखिर पीएफआई का इस तरह के वारदातों में क्यों तार जुड़ जाते हैं। इस सामाजिक सगंठन पर अक्सर आरोप लगते हैं कि देश के भीतर आंतकी गतिविधियों हाथ रहता है। संगठन में मुस्लिम युवकों का काफी तेजी से जोड़ा जा रहा है, जिन्हें हिदुओं के खिलाफ जहर उगलने के लिए सिखाया जाता है। भारत सरकार के मंत्री और बीजेपी के कई नेता दावा करते हैं कि पीएफआई एक आतंकी सगंठन है। इसी कड़ी में बिहार में कई PFI के सदस्य पकड़े गए हैं। NIA ने बिहार कई जगहों पर छापेमारी की। एनआईए को जानकारी मिली थी कि बिहार के कई जिलों में पीएफआई की तार अवैध कार्यो में जुड़े है। पटना के फुलावारी शरीफ के मामले में जानकारी मिली कि इसका तार दरभंगा के शंकरपुर गांव से जुड़ा है जहां पर एनआईए की टीम पहुंच कर जांच-पड़ताल की।
पटना और बांका में आंतकी मॉडल का भंडाफोड़?
कुछ दिन पहले ही बिहार की राजधानी पटना में अवैध रूप से पैसे की लेन-देन का खुलासा किया गया था। पुलिस के मुताबिक, एक मुस्लिम युवक को गिरफ्तार किया गया था। युवक पर आरोप लगा कि ये हिंदुओं के खिलाफ दो WhatsApp ग्रुप चला रहा है। इस ग्रुप में हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ वाक्य लिखे मिले। आरोपी का नाम मारगुव अहमद है। पुलिस ने बताया कि ये सीधे तौर तर पाकिस्ताक के एक संगठन से जुड़ा था। पुलिस ने जांच में बताया कि दानिश को कतर से फडिंग मिल रही थी। सुत्रों के मुताबिक उसका पीएफआई से संबंध था हालांकि इस बात की पुष्टि पुलिस ने नहीं की। वही बांका में पुलिस ने पीएफआई के चार सस्दयों को गिरफ्तार किया है। सभी के पास आपत्तिजनक चीजें बरामद की गई है। पुलिस ने बताया कि भारी मात्रा में जिलेटीन बरामद की गई है। ये बांका में रहकर कुछ बड़ी आतंकी हमला करने के लिए साजिश कर रहे रहे थे। ये सभी झारखंड के रहने वाले थे।
पीएफआई पर क्यों आरोप लगता है?
PFI के ऊपर हमेशा से आरोप लगते आए हैं कि ये देश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा फैलाने या हिंदुओं को बदनाम करने की साजिश रचते हैं। अगर आपको याद होगा तो नागरिकता कानून के समय पीएफआई का हाथ सीधे तौर पर सामने आया था। कर्नाटक में जब हिजाब पर प्रदर्शन हुआ तो इसमें भी पीएफआई खुलकर सामने आया और मुस्लिम युवाओं को भड़काने की कोशिश की, जिसके बाद से देश में हर जगह इस मुद्दे ने तुल पकड़ लिया।
एक मीडिया इंटरव्यू में PFI के अनिस अहमद ने क्या कहा
हाल ही में पटना पुलिस ने पीएफआई से जुड़े ऐसे कई दस्तावेज बरामद किए थे। जिसमें भारत को एक मुस्लिम देश बनाने की योजना थी। इसी दस्तावेज में स्पष्ट तौर पर लिखा था कि बहुंसख्यक समुदाय को कुचल दिया जाए और भारत में फिर से अपना खोया हुआ गौरव स्थापित किया जाए। एक मीडिया के इंटरव्यू के मुतबाकि, पीएफआई जनरल सेक्रेटरी अनीस अहमद ने कहा कि हमारा कोई मकसद नहीं है कि हम गजवा-ए-हिंद और हिंदुओं की कत्ल करें ये सभी आरोप बेबुनियाद है। उन्होंने बीजेपी के ऊपर आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसे मामले हैं जिन में बीजेपी के नेता शामिल होते हैं लेकिन उनके ऊपर कार्रवाई कुछ नहीं होती है। हालांकि जब अनीस से पुछा गया कि आपके ही सदस्य क्यों हिंसा या अवैध चीजों के साथ पकड़े जाते हैं तो इस पर अहमद ने घुमाकर जवाब दिया।
अब जानते हैं PFI का इतिहास
पीएफआई एक चरमपंथी इस्लामी संगठन है। ये संगठन मूल रूप से केरल से संबंध रखता है। हालांकि पीएफआई की तार काफी लंबी हो गई है। अब ये देश के 23 राज्यों में एक्टिव हो गया है। इस संगठन का नाम पहले नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट था लेकिन कुछ सालों के बाद इसका नाम पीएफआई कर दिया गया। अब जान लेते हैं कि ये सगंठन काम कैसे करता है। इस संगठन काम है कि अगर मुस्लिमों के साथ अन्याय हो तो उसके लिए खड़े होकर आवाज उठाना। उनकी आवाज बनना।