Highlights
- सरकार ने 28 सितंबर को पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया था।
- दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका पर NIA से जवाब तलब किया है।
- पीएफआई पर आतंकी संगठनों से रिश्ते रखने का आरोप है।
PFI Latest News: दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को NIA से उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें चरमपंथी इस्लामी संगठन ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (PFI) के कथित सदस्यों के खिलाफ UAPA कानून के तहत दर्ज एक मामले से जुड़ी FIR की कॉपी उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है। PFI पर केंद्र सरकार ने 28 सितंबर को बैन लगा दिया था। इससे पहले बड़े पैमाने पर की गयी छापेमारी के दौरान कई राज्यों में PFI के 200 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को या तो हिरासत में लिया गया था या गिरफ्तार किया गया था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने NIA को नोटिस जारी किया
जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने मोहम्मद यूसुफ द्वारा दायर याचिका पर NIA को नोटिस जारी किया। यूसुफ को UAPA कानून के तहत दर्ज मामले में 22 सितंबर को चेन्नई में उसके घर से गिरफ्तार किया गया था। सुनवाई के दौरान NIA की ओर से पेश वकील ने अदालत को अवगत कराया कि इस मामले में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) को बहस के लिए पेश होना था, लेकिन वह बीमार हैं। इसके बाद हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 अक्टूबर की तारीख मुकर्रर की थी।
चेन्नई से गिरफ्तार किया गया था याचिकाकर्ता
पेशे से वकील होने का दावा करने वाले याचिकाकर्ता युसूफ ने NIA को 13 अप्रैल को दर्ज FIR की एक कॉपी देने और इस मामले में प्रत्येक आरोपी की गिरफ्तारी के आधार की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग की। उन्होंने निचली अदालत के समक्ष NIA की ओर से दायर रिमांड अर्जियों की एक कॉपी भी मांगी। याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्हें 22 सितंबर को चेन्नई में उनके आवास से सुबह करीब 3 बजे गिरफ्तार किया गया था। उनके अलावा अन्य लोगों को भी उसी दिन देश के विभिन्न हिस्सों से उठाया गया था और एजेंसी द्वारा दिल्ली लाया गया था।
याचिकाकर्ता का दावा, हमें कुछ नहीं बताया गया
याचिका में कहा गया है, ‘उनकी गिरफ्तारी के समय, प्रतिवादी (NIA) ने याचिकाकर्ता को न तो उस अपराध का कोई विवरण दिया, न कोई आधार बताया, जिसके लिए उसे गिरफ्तार किया गया था, यह संविधान के अनुच्छेद 22(1) के साथ पठित दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 50 के तहत प्रदत्त वैधानिक आदेश का उल्लंघन है।’ याचिकाकर्ता ने कहा कि जब आरोपियों को नई दिल्ली में एक निचली अदालत में पेश किया गया, तो उनके वकील ने 22 सितंबर और 26 सितंबर को FIR की एक कॉपी मांगी।
निचली अदालत ने खारिज कर दी थी याचिका
याचिका के अनुसार, हालांकि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (ASJ) ने याचिकाकर्ता द्वारा दायर अर्जी इस आधार पर खारिज कर दी कि मामला संवेदनशील है और FIR की एक प्रति प्रदान करने से जांच में बाधा पैदा होगी। याचिका में कहा गया है, ‘बीते 20 सितंबर से प्रतिवादी की हिरासत में होने के बावजूद याचिकाकर्ता को इस बात की कोई जानकारी नहीं कि उसके खिलाफ क्या आरोप हैं या उन्हें किन अपराधों के तहत रखा गया है।’ याचिका में दावा किया गया है कि निचली अदालत इस बात का मूल्यांकन करने में विफल रही कि आरोपी पहले चरण में ही FIR की एक कॉपी पाने का हकदार है।
PFI पर आतंकी संगठनों के साथ रिश्ते का आरोप
याचिकाकर्ता की दलील है कि निचली अदालत ऐसे मामले में हाई कोर्ट के पूर्व के उस निर्णय पर भी विचार करने में विफल रही है, जिसमें कहा गया है कि संवेदनशील प्रकृति के कारण FIR की प्रति न देने के निर्णय के बावजूद आरोपी यदि इसके लिए अर्जी दायर करता है तो वह 3 दिन के भीतर FIR की प्रति प्राप्त करने का हकदार होगा। सरकार ने PFI और उसके कई सहयोगी संगठनों पर 28 सितंबर को कड़े आतंकवाद-विरोधी कानून यूएपीए के तहत 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। PFI पर ISIS जैसे वैश्विक आतंकवादी समूहों के साथ ‘संबंध’ होने का आरोप है।
NIA ने PFI के 19 कैडरों को किया गिरफ्तार
बता दें कि दिल्ली में दर्ज FIR के सिलसिले में NIA ने देश के विभिन्न हिस्सों से PFI के 19 कैडर गिरफ्तार किये हैं, जिनमें से 16 न्यायिक हिरासत में हैं, जबकि शेष 3 10 अक्टूबर तक NIA की हिरासत में हैं। NIA के नेतृत्व में कई एजेंसियों के एक ऑपरेशन के दौरान देशभर में आतंकवादी गतिविधियों का कथित रूप से समर्थन करने के लिए PFI के 200 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को पकड़ा गया था। ये गिरफ्तारियां केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, दिल्ली और राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों में की गईं।