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PFI General Secretary Anis Ahmed: जो बाबरी के साथ हुआ वो और मस्जिदों के साथ नहीं होने देंगे, जानिए और क्या बोले PFI के महा​सविच अनीस अहमद?

PFI के जनरल सेक्रेटरी अनीस अहमद ने इडिया टीवी से चर्चा में विस्तार से बातें की। जानिए ज्वलंत मुद्दों और कोर्ट फैसलों पर सवाल उठाने वाले इस संगठन के महा​सचिव ने क्या-क्या कहा?

Written by: T Raghavan
Published on: May 28, 2022 7:15 IST
PFI General Secretary Anis Ahmad- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO PFI General Secretary Anis Ahmad

Highlights

  • PFI कोई स्ट्रीट छाप या लेटर हेड ऑर्गेनाइजेशन नहीं: अनीस
  • 'हम आरएसएस की योजनाओं को कामयाब नहीं होने देंगे'
  • 'एक इशारे पर हजारों जमा हो जाते हैं, हम भीड़ भरकर नहीं लाते'

PFI General Secretary Anis Ahmed: PFI एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है। इसका नाम जोधपुर में हुए सांप्रदायिक तनाव में भी सामने आया था। भड़काने वाली गतिविधियों के लिए यह संगठन अक्सर चर्चा में रहता है। केरल में 23 -24 मई को PFI की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी, जिसमें एक प्रस्ताव पारित कर सिविल कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पर ही सवाल उठा दिया। ऐसे सभी सवालों पर PFI के जनरल सेक्रेटरी अनीस अहमद ने इडिया टीवी से चर्चा में विस्तार से बातें की। जानिए ज्वलंत मुद्दों और कोर्ट फैसलों पर सवाल उठाने वाले इस संगठन के महा​सचिव ने क्या-क्या कहा?

सिविल कोर्ट की कार्यवाही पर सवाल क्यों?

ज्ञानवापी मामले से जुड़े इस सवाल पर अनीस ने कहा कि कोर्ट ने इन याचिकाओं को मंजूर कर नए विवाद का दरवाजा खोल दिया है, कोर्ट को सिर्फ 1991 एक्ट के तहत फैसला करना था। 

सुप्रीम कोर्ट पर भी सवाल क्यों?
सुप्रीम कोर्ट में बैलेंस करने की बात कही, लेकिन निचली कोर्ट की गलती को सुधारने की कोशिश नहीं की गई।

भाषणों के जरिए जजों को धमकाने की कोशिश क्यों?
बाबरी के वक्त RSS को काउंटर करने के लिए PFI जैसी तंजीम नहीं थी। अब है, जो बाबरी के साथ हुआ वो बाकी मस्जिद के साथ नहीं होने देंगे।

लोकतांत्रिक प्रतिरोध के नाम पर खुलेआम धमकी देना कहां तक सही है?
RSS के लिए पहले मैदान पूरा खुला हुआ था, लेकिन अब PFI उनके सामने खड़ी रहेगी। हम आरएसएस और उनकी योजनाओं को कामयाब नहीं होने देंगे।

21 मई की एक रैली में सारे भाषण की टोन भड़काऊ थी, मुस्लिम समाज को भड़काने की कोशिश क्यों करती है?
PFI का टोन डिफेंसिव नहीं आक्रामक ही होता है, झुककर बात करना या RSS को खुश करना हमारा तरीका नहीं है।

केरल के अलप्पुझा में आयोजित रैली में हजारों की भीड़ को जमाकर बैन से बचने की कोशिश की गई। केंद्र को अपनी ताकत दिखाई, क्या चेतावनी दी?
हम राजनीतिक दलों की तरह बसों में भरकर भीड़ नहीं लाते। हम सिर्फ प्रोग्राम एनाउंस करते हैं और हजारों लाखों लोग अपने आप ही जमा हो जाते हैं। PFI कोई स्ट्रीट छाप या लेटर हेड ऑर्गेनाइजेशन नहीं है। ये आवाम का संगठन है, केंद्र सरकार को देखना चाहिए।

एक छोटे से बच्चे को क्यों बुला लिया रैली में, उससे भड़काऊ भाषण दिलवाया?
PFI की रैली में लिखे हुए नारे लगाए जाते हैं, ये BJP IT सेल की साजिश है। इस विषय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हमने सफाई दी है, RSS के कैम्प के चड्डी पहने हुए बच्चों को ट्रैनिंग दी जाती है, तब सवाल क्यों नहीं पूछे जाते। 

केरल में आयोजित रैली में बच्चा ये कह रहा है कि RSS के लोग अंतिम संस्कार की तैयारी कर लें, हम आ रहे हैं?
इस बच्चे में इतने गुस्से की वजह हम नहीं है बल्कि RSS है। ये बच्चा कौन है हमें नहीं मालूम, इस बच्चे को हमने ट्रैनिंग नहीं दी। हालात ने उसे ऐसा करने के लिए मजबूर कर दिया।

आपके चेयरमैन ने कहा कि बुलडोजर को ड्राइवर जिस तरफ लेकर जाता है वो वहीं जाता है। PFI के पास भी जांबाज ड्राइवर हैं जो बुलडोजर की तुम पर चढ़ा देंगे, किसे धमकी दे रहे हैं?
धमकी नहीं दे रहे, सिर्फ मैसेज दे रहे हैं कि बुलडोजर पॉलिटिक्स बहुत डेंजरस है।, शाहीन बाग में जिस तरह लोगों ने बुलडोजर को रोककर भगा दिया, यही सही तरीका है।

इस बात की धमकी क्यों दी जा रही है कि जो बाबरी मस्जिद के साथ हुआ और बाकी मस्जिद के साथ नहीं होने देंगे?
बाबरी के वक्त अभियान नहीं किया गया। इसीलिए अभी पूरे देश में काशी-मथुरा को लेकर एक बड़ा अभियान चलाने की जरूरत है, ये बड़ी साजिश है इसे रोकना जरूरी है।

आप लोकतांत्रिक प्रतिरोध की बात करते हैं और आपके नेता कहते हैं कि PFI के केडर्स किसी भी मस्जिद को हाथ लगाने नहीं देंगे?
बेशक जब भी देश की किसी मस्जिद के साथ ऐसा होगा, PFI के केडर्स वहां खड़े होंगे। मस्जिद को तोड़ना देश विरोधी कार्यवाही है, हम ऐसा नहीं होने देंगे।

कोर्ट के आदेश के बाद भी ज्ञानव्यापी में शिवलिंग से छेड़छाड़ की गई?
ये हिंदू पक्ष का दावा नहीं है, RSS का दावा है। कोर्ट ने वहां सुरक्षा दी हुई है। जिसे एडमिनिस्ट्रेशन पर भरोसा नहीं, वही ऐसे बयान दे सकते हैं। क्या प्रशासन ऐसा करने देगा? ये सबको सोचना चाहिए।

क्या आपका कोर्ट पर भरोसा है?
पूरी उम्मीद है कि कोर्ट हमारे पक्ष में ही फैसला देगा।

बता दें कि PFI एक इस्लामिक संगठन है, जिसकी स्थापना 2006 में हुई थी। PFI पर अक्सर देशविरोधी गतिविधि में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं। 

 

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