Highlights
- पीएफआई के लोग फंडिंग के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाते थे।
- संगठन की फंडिंग शराब के कारोबार से कमाए पैसे से भी होती थी।
- पीएफआई के सदस्यों ने इस्लामिक स्टेट को पुरानी कारें भी बेची थीं।
PFI Funding from Abroad: मुस्लिम नौजवानों को कट्टरपंथ की तरफ धकेल रहे संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर केंद्र सरकार ने 5 साल का बैन लगा दिया है। इसके बाद इस संगठन के काम करने के तरीकों से लेकर इसकी फंडिंग तक के बारे में तमाम बातें सामने आ रही हैं। इस बीच जांच एजेंसियों को पता चला है कि यह संगठन भारत और विदेशों से अलग-अलग चैनल्स का इस्तेमाल करके फंड इकट्ठा कर रहा था। विदेशों में PFI के सदस्य हज यात्रियों को मदद के नाम पर, अपनी नकली फर्मों की सदस्यता देकर, रियल एस्टेट सौदों, पब-बार और आतंकवादी संगठनों को पुरानी कारों को बेचने समेत विभिन्न कामों को अंजाम देकर फंड इकट्ठा करते थे।
बाद में इन पैसों को NRI अकाउंट्स में भेजा जाता था और वहां से इसे भारत में PFI सदस्यों को ट्रांसफर कर दिया जाता था। PFI के 100 से ज्यादा बैंक अकाउंट खाताधारकों के फाइनैंशल प्रोफाइल से मेल न खाने के चलते जांच एजेंसियों के रडार पर आ गए हैं। आइए, जानते हैं कि कैसे PFI ने विदेशों से गुप्त तरीके से फंड इकट्ठा किया।
हज यात्रा: खाड़ी देशों में सक्रिय PFI सदस्यों ने हज यात्रा पर जाने वाले भारतीयों को पैसे के बदले मदद की। यह पैसा बाद में भारत भेजा जाता था। PFI ने भारत को पैसा भेजने के लिए हर संभव रास्ते अपनाए- चाहे वह हवाला हो या सोने का कारोबार।
NRI खाते: सूत्र ने बताया कि विदेशों में पीएफआई सदस्यों ने संयुक्त अरब अमीरात और अन्य खाड़ी देशों के एनआरआई खातों में पैसा भेजा। एनआरआई खातों में फंड प्राप्त करने के बाद, खाताधारकों ने इसे पीएफआई नेताओं से संबंधित विभिन्न खातों में ट्रासफर कर दिया। मनी ट्रांसफर के लिए यह तरीका विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा) का सीधा उल्लंघन था।
रियल एस्टेट: पीएफआई का सदस्य और केरल के चावाकाडु जिले का निवासी सैफू अबू धाबी में रहता है जहां वह रियल एस्टेट का कारोबार करता है। यह पता चला है कि उसने भारत में पीएफआई नेताओं के खातों में पैसे भेजे थे। रेंट-अ-कार सेवा के जरिए कमाए गए पैसे को भी भारत में ट्रांसफर कर दिया गया।
अबू धाबी में बार: अबू धाबी में नाइट क्लब और बार हैं जहां कानूनी रूप से शराब उपलब्ध है। इनमें से कुछ आउटलेट्स पीएफआई सदस्यों द्वारा चलाए जा रहे थे, जिन्होंने इस व्यवसाय से बड़ी मात्रा में कमाई की। यहां से कमाए गए पैसे उन्होंने भारत में अपने पीएफआई साथियों को भेजे।
KISF सदस्यता: पीएफआई कुवैत में 'कुवैत इंडिया सोशल फोरम' (KISF) के नाम से सक्रिय था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के सूत्रों ने कहा कि KISF भारत में PFI की गतिविधियों का समर्थन करने के लिए अपने सदस्यों से वार्षिक सदस्यता शुल्क एकत्र करता था।
पुनर्वसन फाउंडेशन और ओमान स्थित सदस्य: पीएफआई के कई डमी संगठन हैं जो खाड़ी देशों में सक्रिय हैं। राष्ट्रीय विकास मोर्चा (NDF) एक ऐसा संगठन है जो ओमान में सक्रिय है। एजेंसियों को पता चला है कि NDF ने भारत में PFI सदस्यों को हवाला चैनलों के जरिए करीब 44 लाख रुपये भेजे। PFI के एक सदस्य की पहचान अशफाख चैकीनाकथ पुयिल के रूप में हुई है, जिसने सभी खातों का विवरण रखा। पैसा केरल में रिहैब इंडिया फाउंडेशन को भेजा गया था, जो PFI का एक और डमी संगठन है।
ISIS को पुरानी कारों की बिक्री: एजेंसियों ने दावा किया है कि सीरिया में मुहम्मद फहीमी के रूप में पहचाने जाने वाले एक PFI सदस्य ने ISIS और अन्य आतंकवादी समूहों को पुरानी कारों को बेचकर बड़ी मात्रा में पैसा कमाया। यह पैसा बाद में हवाला के जरिए भारत भेजा गया।
कतर कनेक्शन: PFI में कई मलयाली सदस्य हैं जो कतर में रहते हैं। वे एक कल्चरल फोरम (CAF) चलाते हैं, जो PFI का एक डमी संगठन भी है। कतर में इन सदस्यों द्वारा मुसलमानों के लिए सहायता के नाम पर एकत्र किया गया धन भारत में PFI और SDPI नेताओं को भेजा गया था।
विदेशों में रहने वाले PFI सदस्यों ने भी ई-वॉलेट का उपयोग करके भारत में पैसा ट्रांसफर किया, उन्हें कानूनी सहायता और सामुदायिक दान के रूप में दिखाया गया। PFI को देश और विदेश से संदिग्ध माध्यमों से धन प्राप्त हो रहा था। PFI और उसके सहयोगियों ने बड़ी संख्या में बैंक खातों को बनाए रखा और भारत और विदेशों में स्थित अपने शुभचिंतकों और वित्तदाताओं के माध्यम से पैसा प्राप्त किया।
सूत्र ने कहा, खाता धारकों के वित्तीय प्रोफाइल से मेल नहीं खाने वाले PFI के 100 से अधिक बैंक खाते एजेंसियों के संज्ञान में आए हैं। परिणामस्वरूप, आईटी अधिनियम की धारा 12ए और 12एए के तहत PFI की पंजीकरण स्थिति वापस ले ली गई है। (IANS)