Saturday, March 29, 2025
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'वसुधैव कुटुम्बकम की बात करते हैं, अपने रिश्तेदार के साथ नहीं रह सकते', रिश्तों पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता

देश में पिछले कुछ वक्त में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसने परिवार और रिश्तों को शर्मसार कर दिया है। इस मामले पर अब सुप्रीम कोर्ट ने भी चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम की बात करते हैं लेकिन अपने रिश्तेदार के साथ नहीं रह सकते हैं।

Written By: Avinash Rai @RaisahabUp61
Published : Mar 28, 2025 10:21 IST, Updated : Mar 28, 2025 10:21 IST
People talk about Vasudhaiva Kutumbakam but cannot live with their relatives Supreme Court expressed
Image Source : FILE PHOTO रिश्तों पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता

देश में पिछले कुछ दिनों कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसने 'परिवार' जैसे शब्द को शर्मसार कर दिया है। मेरठ में पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या कर दी। कहीं किसी पत्नी ने अपने पति की हत्या के लिए सुपारी किलर को हायर कर लिया। वहीं कई मामलों में पति ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी या उसे घर से भगा दिया। बीते दिनो निकिता सिंघानिया केस भी देखने को मिला, जिसमें एक शख्स ने आत्महत्या कर ली और निकिता सिंघानिया जैसा ही एक केस आगरा में भी देखने को मिला था। कुल मिलाकर कहें तो परिवार जैसे शब्द की अहमियत कम कर देने वाली कई घटनाएं देश में पिछले कुछ वक्त में देखने को मिली हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने परिवार की अवधारणा पर चिंता जताई है। 

परिवार की अवधारणा पर SC ने जताई चिंता

गुरुवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, भारत में लोग वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत में विश्वास करते हैं, लेकिन करीबी रिश्तेदारों के साथ नहीं रह सकते हैं। न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि देश में परिवार की अवधारणा खत्म हो रही है और अब केवल एक व्यक्ति, एक परिवार का सिस्टम बन रहा है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एक महिला द्वारा याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में महिला ने अपने बड़े बेटे को घर से और संपत्ति से बेदखल करने का कोर्ट से अनुरोध किया था। 

क्या था मामला?

कोर्ट को इस बात की जानकारी मिली की माता-पिता के अपने बेटों के साथ अच्छे संबंध नहीं थे। महिला ने अपने बड़े बेटे पर मानसिक और शारीरिक यातना देने का भी आरोप लगाया। साल 2017 में दंपत्ति ने अपने बेटों के खिलाफ भरण-पोषण की कार्यवाही शुरू की, जो की सुल्तानपुर के एक फैमिली कोर्ट में आपराधिक मामले के रूप में दर्ज की गई थी। हालांकि इस मामले में कोर्ट ने आदेश दिया कि बच्चों को अपने माता पिता को भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह 4 हजार रुपये देने होंगे। हालांकि अदालत ने इस मामले में ये भी कहा कि घर के हिस्से से बेदखल करने का आदेश देने जैसे कठोर फैसले की कोई आवश्यकता नहीं है। 

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