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Parliamentary Panel: 'कोई भी बच्चा नाजायज नहीं, चाहे...', गोद लेने के कानून को लेकर संसदीय समिति ने की ये सिफारिश

Parliamentary Panel: सूत्रों के मुताबिक, समिति ने रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि 'नाजायज' शब्द को हटा देना चाहिए, क्योंकि कोई भी बच्चा नाजायज नहीं होता और कानून सभी बच्चों के लिए समान होना चाहिए...

Reported By : PTI Edited By : Malaika Imam Published : Aug 07, 2022 19:42 IST, Updated : Aug 07, 2022 19:42 IST
Child Adoption Law
Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE Child Adoption Law

Highlights

  • 'बच्चा चाहे विवाह के भीतर या बाहर पैदा हुआ हो'
  • नाजायज शब्द को हटा देना चाहिए: संसदीय समिति
  • कानून सभी बच्चों के लिए समान होना चाहिए: समिति

Parliamentary Panel: एक संसदीय समिति ने गोद लेने के कानून से 'नाजायज बच्चे' के संदर्भ को हटाने की सिफारिश करते हुए कहा है कि कोई भी बच्चा नाजायज नहीं होता, चाहे वह विवाह के भीतर या बाहर पैदा हुआ हो। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि समिति ने विभिन्न श्रेणियों के व्यक्तियों के संरक्षण पहलुओं को शामिल करते हुए एक व्यापक कानून बनाए जाने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है, जो धर्म से परे सभी पर लागू हो। 

संरक्षकता (अभिभावक) और गोद लेने के कानूनों की समीक्षा

बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी की अध्यक्षता में कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने 'अभिभावक और वार्ड कानून' की समीक्षा करते हुए यह सिफारिश की। समिति की ओर से मौजूदा मॉनसून सत्र में 'संरक्षकता (अभिभावक) और गोद लेने के कानूनों की समीक्षा' पर अपनी रिपोर्ट पेश करने की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक, समिति ने रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि 'नाजायज' शब्द को हटा देना चाहिए, क्योंकि कोई भी बच्चा नाजायज नहीं होता और कानून सभी बच्चों के लिए समान होना चाहिए, चाहे वे विवाह के भीतर या बाहर पैदा हुए हों। 

'अभिभावक और वार्ड कानून में संशोधन करने की आवश्यकता' 

समिति का मानना है कि अभिभावक के अधिकार पर 'कल्याण सिद्धांत' को प्रधानता देने के लिए 'अभिभावक और वार्ड कानून' में संशोधन करने की आवश्यकता है। सूत्रों ने कहा कि समिति का यह भी विचार है कि दोनों कानूनों में व्यापक रूप से बच्चे के कल्याण को परिभाषित करने की आवश्यकता है। 

'संशोधित कानून में बुजुर्ग व्यक्तियों के संरक्षक की सुविधा भी हो' 

समिति ने सुझाव दिया है कि संशोधित कानून में बुजुर्ग व्यक्तियों के संरक्षक की सुविधा भी होनी चाहिए, क्योंकि ऐसी परिस्थितियां हो सकती हैं, जहां एक वरिष्ठ नागरिक उस स्तर तक पहुंच सकता है, जहां स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ जाती हैं और उन्हें अपने स्वास्थ्य और कल्याण की देखभाल के लिए संरक्षक की आवश्यकता हो सकती है।

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