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हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाने वाले प्रस्ताव का विरोध, माकपा बोली- ‘हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान’’ का दृष्टिकोण अस्वीकार्य

अमित शाह की अध्यक्षता वाली आधिकारिक भाषा संसदीय समिति ने शिक्षा माध्यम में स्थानीय भाषाओं को वरीयता देने की सिफारिश की है। संसदीय समिति के इस प्रस्ताव पर माकपा ने कड़ी आपत्ति जताई है।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: October 10, 2022 16:25 IST
CPI(M) general secretary Sitaram Yechury- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO CPI(M) general secretary Sitaram Yechury

Highlights

  • हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाने का प्रस्ताव
  • संसदीय समिति ने रखी क्षेत्रीय भाषा की सिफारिश
  • मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने जताया कड़ा विरोध

केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाने वाले प्रस्ताव को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया है। माकपा संसदीय समिति के इस प्रस्ताव को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया और साथ ही देश की भाषाई विविधता के विपरीत भी बताया है। दरअसल, आईआईटी सहित तकनीकी और गैर-तकनीकी संस्थानों में हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाने के लिए संसदीय समिति ने सिफारिश की थी। लिहाजा इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए सोमवार को माकपा ने कहा कि समिति की सिफारिश संविधान की भावना और देश की भाषाई विविधता के विपरीत है। 

हिंदी को लेकर संसदीय समिति ने क्या की सिफारिश

संसदीय समिति ने ये सिफारिश की है कि हिंदी भाषी राज्यों में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) सहित तकनीकी और गैर-तकनीकी उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षा का माध्यम हिंदी होना चाहिए। समिति के अनुसार, देश के अन्य हिस्सों में शिक्षा का माध्यम वहां की स्थानीय भाषाएं होनी चाहिए। इसमें कहा गया है कि अंग्रेज़ी के इस्तेमाल को विकल्प के तौर पर देखा जाना चाहिए। गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली आधिकारिक भाषा संसदीय समिति ने पिछले महीने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी 11वीं रिपोर्ट सौंपी थी। अपनी रिपोर्ट में समिति ने सिफारिश की थी कि सभी राज्यों में स्थानीय भाषाओं को अंग्रेजी पर वरीयता दी जानी चाहिए।

"भारत की विविधता में विश्वास नहीं करती बीजेपी"
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने ट्वीट किया, ‘‘हम उस प्रयास का पुरजोर विरोध करते हैं जो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) की एक राष्ट्र, एक संस्कृति, एक भाषा की अवधारणा से उपजा है। यह भारतीय संविधान की भावना और हमारे देश की भाषाई विविधता के विपरीत है।’’ माकपा के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व वित्त मंत्री टी.एम. थॉमस इसाक ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भारत की विविधता में विश्वास नहीं करती है। इसाक ने कहा, ‘‘भारत में एक ऐसी पार्टी का शासन चल रहा है जो देश की विविधता में विश्वास नहीं करती है। केंद्र सरकार रोजगार के लिए पूर्व शर्त के रूप में हिंदी के ज्ञान पर जोर कैसे दे सकती है कि भर्ती परीक्षा केवल हिंदी में होगी?’’ 

‘‘हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान’’ का दृष्टिकोण अस्वीकार्य
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि आरएसएस के ‘‘हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान’’ के दृष्टिकोण को थोपना अस्वीकार्य है। येचुरी ने ट्वीट किया, ‘‘भारत की अनूठी और समृद्ध भाषाई विविधता पर 'हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान' के आरएसएस के दृष्टिकोण को थोपना अस्वीकार्य है। संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध सभी 22 आधिकारिक भाषाओं के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए और उन्हें समान रूप से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। भारत विविधताओं का देश है।’’ 

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