Highlights
- लोकसभा में हुआ 129 प्रतिशत कामकाज
- राज्यसभा में 99.80 प्रतिशत रहा कामकाज
- दोनों सदनों की हुईं कुल 27 बैठकें
नई दिल्ली: संसद का बजट सत्र गुरुवार को अपने निर्धारित कार्यक्रम से एक दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया और राज्यसभा में सत्र के अंतिम दिन भी विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के सदस्यों का हंगामा देखा गया। बजट सत्र के आठ अप्रैल तक चलने का कार्यक्रम था। लेकिन लोकसभा की कार्यवाही आज बैठक शुरू होने के मात्र दस मिनट बाद ही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला ने पारंपरिक भाषण दिया। लेकिन राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण सभापति एम वेंकैया नायडू का पारंपरिक संबोधन नहीं हो पाया और उन्होंने बैठक शुरू होने के महज 20 मिनट बाद कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।
मौजूदा सत्र 31 जनवरी को दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के संबोधन के साथ शुरू हुआ था। एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022-23 का आम बजट पेश किया। सत्र का प्रथम चरण 11 फरवरी तक चला। सत्र का दूसरा चरण 14 मार्च से शरू हुआ था। संसद सचिवालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों की 27 बैठकें हुईं जिनमें निचले सदन में 129 प्रतिशत कामकाज हुआ, जबकि उच्च सदन में यह 99.80 प्रतिशत रहा।
सचिवालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार लोकसभा ने सत्र के दौरान कुल 40 घंटे देर तक बैठकर महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की, वहीं राज्यसभा में 9 घंटे 16 मिनट अतिरिक्त कामकाज हुआ और सदस्यों ने निर्धारित घंटों से अधिक समय तक बैठकर चर्चा में भाग लिया। राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों पर व्यवधान के कारण सदन का 9 घंटे 26 मिनट का समय बर्बाद हुआ। सत्र के दौरान पारित किये गए कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों में वित्त विधेयक 2022, दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक 2022, सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक, 2022 तथा दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक, 2022 शामिल हैं।
लोकसभा में अध्यक्ष ने सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले अपने पारंपरिक संबोधन में कहा, ‘‘सत्र के दौरान सदन की बैठकें लगभग 177 घंटे 50 मिनट तक चलीं। इस दौरान 182 तारांकित प्रश्नों के उत्तर दिये गए।’’ कार्यवाही स्थगित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी समेत अन्य दलों के नेताओं ने लोकसभा अध्यक्ष बिरला के कक्ष में उनसे मुलाकात की। इनमें समाजवादी पार्टी के संस्थापक और सांसद मुलायम सिंह यादव, द्रविड़ मुनेत्र कषगम नेता टी.आर.बालू, तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंद्योपाध्याय और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला भी शामिल थे। इन सांसदों में वाईएसआर कांग्रेस के पी.वी.मिथुन रेड्डी और आरएसपी के एन.के. प्रेमचंद्रन आदि मौजूद रहे।
राज्यसभा में शिव सेना के सदस्यों ने विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को बचाने के लिए एकत्रित की गई निधि में कथित अनियमितता को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेता किरीट सोमैया और उनके बेटे नील के खिलाफ मुंबई पुलिस की ओर से धोखाधड़ी का मामला दर्ज किए जाने का मुद्दा उठाना चाहा। कांग्रेस के सदस्यों ने भी इस मुद्दे पर शिवसेना का साथ दिया। सभापति ने हालांकि सदस्यों को इस मामले को उठाने की अनुमति नहीं दी। सभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा कि वे इस मामले को जहां चाहे उठा सकते हैं लेकिन सदन में नहीं क्योंकि उन्होंने अनुमति नहीं दी है।
इसके बाद उन्होंने शून्यकाल आरंभ कराया और इसके तहत तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन से उनका मुद्दा उठाने के लिए कहा। हंगामे के बीच ही डेरेक ने सामाजिक सद्भाव के विषय से जुड़ा एक मुद्दा उठाया। वह अभी अपना मुद्दा ही उठा ही रहे थे कि शिवसेना के संजय राउत ने उन्हें टोकते हुए कहा कि वह उससे भी महत्वपूर्ण मुद्दा उठा रहे हैं। इसके बाद डेरेक अपनी सीट पर बैठ गए लेकिन सभापति ने उनसे कहा कि राउत जो विषय उठाना चाह रहे हैं, उसकी अनुमति उन्होंने नहीं दी है। इसके बाद शिव सेना और कांग्रेस सहित कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्य ने हंगामा तेज कर दिया और सभापति के आसन के निकट आ गए।
सभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा कि वे शून्यकाल में अपने मुद्दे उठाने के लिए उन्हें मजबूर नहीं कर सकते। इसके बाद भी हंगामा जारी रहा। इस पर सभापति ने कहा, ‘‘सत्र के आखिरी दिन आप देश में यही संदेश देना चाहते हैं, इससे सदन की गरिमा को ठेस पहुंचेगी।’’ इस दौरान सदन में विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी था। कुछ सदस्य आसन के समक्ष आ कर नारे लगा रहे थे। सभापति ने इन सदस्यों से कहा कि उनके आचरण से गलत संदेश जा रहा है। उन्होंने सदस्यों से बार-बार आग्रह किया कि वे अपने-अपने स्थानों पर लौट जाएं, हंगामा ना करें और कार्यवाही को आगे बढ़ने दें।
सदस्यों के इस आचरण पर नाखुशी जाहिर करते हुए नायडू ने कहा, ‘‘यह पूरी तरह लोकतांत्रिक भावना के खिलाफ है। यह नियमों के खिलाफ है। यह सदन की गरिमा के विपरित है। मैं इससे बहुत दुखी हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सत्र के आखिरी दिन अगर कुछ सदस्य सदन में व्यवधान डालना तय कर चुके है, मैं कुछ नहीं कर सकता।’’ इसके बाद उन्होंने अपना पारंपरिक समापन संबोधन भी नहीं किया और ‘‘वंदे मातरम’’ की धुन बजाने को कहा। इसके उपरांत सभापति ने बैठक को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।