Sunday, December 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. बच्चों के यौन उत्पीड़न पर अदालत के दर्द भरे जज्बात, कहा-"कोमल मन पर होता है कठोर आघात"

बच्चों के यौन उत्पीड़न पर अदालत के दर्द भरे जज्बात, कहा-"कोमल मन पर होता है कठोर आघात"

High Court on Child Physical abuse: बच्चों के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के एक मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने बेहद दर्द भरी टिप्पणी की है। उच्च न्यायालय ने कहा कि स्कूल जाने वाले बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामलों में पीड़ितों की मानसिक स्थिति पर प्राथमिकता से ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Dec 20, 2022 17:10 IST, Updated : Dec 20, 2022 22:49 IST
दिल्ली हाईकोर्ट
Image Source : FILE दिल्ली हाईकोर्ट

High Court on Child Physical abuse: बच्चों के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के एक मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने बेहद दर्द भरी टिप्पणी की है। उच्च न्यायालय ने कहा कि स्कूल जाने वाले बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामलों में पीड़ितों की मानसिक स्थिति पर प्राथमिकता से ध्यान दिए जाने की जरूरत है, क्योंकि ऐसी घटनाएओं के दीर्घकालिक खौफनाक प्रभाव हो सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि बच्चों का मन बहुत कोमल होता है। इसलिए उन पर इसका बहुत ही कठोर आघात पड़ता है।

नौंवी कक्षा की छात्रा का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न करने वाले भौतिकी विषय के शिक्षक को निचली अदालत द्वारा सुनाए अनिवार्य सेवानिवृत्ति के दंड को बरकरार रखते हुए अदालत ने यह बात कही। अदालत ने कहा कि एक नाबालिग की मानसिक स्थिति बहुत कोमल होती है, जिस पर लंबे समय तक किसी भी बात का प्रभाव रह सकता है और वह एक विकासशील अवस्था में होती है। यौन उत्पीड़न से ऐसा मानसिक आघात पहुंचता है जो आने वाले कई वर्षों तक उसके सोचने-समझने के तरीके को प्रभावित कर सकता है। 

मुख्य न्यायाधीश ने की भावुक टिप्पणी

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की एक पीठ ने कहा कि ऐसी घटनाओं का बच्चे के सामान्य सामाजिक विकास पर असर पड़ सकता है और विभिन्न मानसिक सामाजिक समस्याओं को जन्म दे सकता है, जिसके लिए मनोचिकित्सकों की मदद की जरूरत पड़ सकती है। दिल्ली स्कूल ट्रिब्यूनल के आदेश को बरकरार रखने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश और अनिवार्य सेवानिवृत्ति का जुर्माना लगाने वाले अनुशासनात्मक प्राधिकरण के आदेश के खिलाफ शिक्षक ने उच्च न्यायालय का रुख किया था। याचिकाकर्ता एक निजी स्कूल में भौतिकी विषय का शिक्षक था, उस पर एक नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ का आरोप है। अदालत ने 19 दिसंबर को पारित आदेश में कहा, ‘‘इस मामले के तथ्यों से पता चलता है कि शिकायकर्ता एवं नौवीं कक्षा की छात्रा का यौन उत्पीड़न हुआ। 

कोर्ट ने कहा बचप में हुए उत्पीड़न का पड़ता है खौफनाक प्रभाव
कोर्ट ने कहा कि स्कूल जाने वाले बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामलों में बच्चों की मानसिक स्थिति पर प्राथमिकता से ध्यान दिया जाना चाहिए, क्योंकि उनकी मानसिक स्थिति बेहद कमजोर होती है, जिस पर लंबे समय तक किसी का प्रभाव रह सकता है क्योंकि वह विकासशील अवस्था में होती है।’’ अदालत ने शिक्षक की याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘‘ बचपन में हुए यौन उत्पीड़न का दीर्घकालिक खौफनाक प्रभाव हो सकता है। यौन उत्पीड़न की घटना बच्चे को मानसिक आघात पहुंचा सकती है और आने वाले कई वर्षों के लिए उनके सोचने-समझने के तरीके को प्रभावित कर सकती है। इसका बच्चे के सामान्य सामाजिक विकास पर असर पड़ सकता है और विभिन्न मानसिक सामाजिक समस्याएं खड़ी हो सकती हैं।’’ 

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement