Friday, November 22, 2024
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Owaisi on Uniform Civil Code: देश को यूनिफॉर्म सिविल कोड की जरूरत नहीं, जानिए इस बारे में ओवैसी ने और क्या कहा?

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की उपयोगिता पर सवाल उठाए हैं। ओवैसी ने कहा कि हम यूनिफॉर्म सिविल कोड के ख़िलाफ़ हैं।

Edited by: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: May 01, 2022 7:46 IST
Asaduddin Owaisi- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Asaduddin Owaisi  

Owaisi on Uniform Civil Code: यूनिफॉर्म सिविल कोड पर राजनेताओं के बयानों का दौर जारी है। सिविल कोड पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने औरंगाबाद में बयान दिया है। इसमें उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड की उपयोगिता पर सवाल उठाए हैं। ओवैसी ने कहा कि हम यूनिफॉर्म सिविल कोड के ख़िलाफ़ हैं। लॉ कमीशन ने खुद यह बोला है कि भारत में 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' की ज़रुरत नहीं है। केंद्र सरकार दूसरे मुद्दों पर विचार क्यों नहीं करती है। देश की अर्थव्यवस्था बैठ गई है, बेरोज़गारी बढ़ रही है। महंगाई में भी बढ़ोतरी हो रही है और आपको 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' की फिक्र है।

यूनिफार्म सिविल कोड की देश को जरूरत नहीं है। गोवा का उदाहरण देते हुए ओवैसी ने कहा कि यदि गोवा में कोई हिंदू भाई शादी करता है और संतान न होने की स्थिति में पुरुष दूसरी शादी कर सकता है। इस पर बीजेपी क्या कहेगी। क्योंकि गोवा में तो बीजेपी की सरकार है। ऐसे उदाहरणों के साथ उन्होंने ​यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सवाल उठाए। 

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड

यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक जैसा कानून। व्यक्ति चाहे किसी भी जाति या धर्म का क्यों न हो, देश का कानून समान रूप से लागू होगा। यूनिफॉर्म सिविल कोड में शादी, तलाक और जमीन जायदाद के मामले में भी सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होने की बात कही गई है। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से हर धर्म के लिए एक जैसा कानून होगा। मौजूदा समय में मुस्लिम, ईसाई और पारसी के लिए अलग पर्सनल लॉ है जबकि हिंदू सिविल कोड के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध अपने मामलों का निपटारा करते हैं। 

यूनिफॉर्म सिविल कोड का क्यों हो विरोध

यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध करनेवालों का तर्क है कि इसके लागू होने से लोग अपनी धार्मिक मान्यताओं से वंचित हो जाएंगे और इन्हें मानने का उनका अधिकार छिन जाएगा। क्योंकि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से शादी-विवाह, जमीन जायदाद, संतान और विरासत जैसे मामलों में जो अलग-अलग रियायतें है वो खत्म हो जाएंगी और हर धर्म के लिए एक ही कानून होगा। 

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