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Opposition Crisis In India: नेतागण अलाप रहे हैं अलग-अलग राग, कैसे बनेगी विपक्षी एकता की बात

Opposition Crisis In India: बिहार में बीजेपी-जेडीयू गठबंधन टूटने के बाद विपक्षी एकता की बात ज़ोरो-शोरों से हो रही है। कई बड़े नेताओं का मानना है कि बिहार के तर्ज़ पर पूरे देश में बीजेपी को अलग-थलग किया जा सकता है।

Reported By: Aditya Subham @aditya_shashi
Published : Sep 21, 2022 19:57 IST, Updated : Sep 22, 2022 20:30 IST
Opposition Crisis In India
Image Source : INDIA TV Opposition Crisis In India

Highlights

  • तागण अलाप रहे हैं अलग-अलग राग
  • कैसे बनेगी विपक्षी एकता की बात
  • कांग्रेस का अपना एजेंडा है

Opposition Crisis In India: वैसे तो आगामी लोकसभा चुनाव में अभी साल भर से ज़्यादा का समय है, लेकिन पार्टियां आम चुनाव की मोड में चली गई हैं। एक तरफ़ कांग्रेस पार्टी भारत जोड़ो यात्रा कार्यक्रम के तहत ख़ुद की खोई हुई ज़मीन पाने की कोशिश में लगी हुई है, तो वहीं दूसरी तरफ़ कुछ बीजेपी विरोधी पार्टियां मिलकर बीजेपी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोली हुई हैं। बिहार में बीजेपी-जेडीयू गठबंधन टूटने के बाद विपक्षी एकता की बात ज़ोरो-शोरों से हो रही है। कई बड़े नेताओं का मानना है कि बिहार के तर्ज़ पर पूरे देश में बीजेपी को अलग-थलग किया जा सकता है। बीजेपी के साथ गठबंधन टूटने के बाद जेडीयू के नेता और ख़ासकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार बीजेपी और पीएम मोदी के ख़िलाफ़ खुलकर बोल रहे हैं, और विपक्षी एकता बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं।

केसीआर और नीतीश की राहें अलग

नीतीश कुमार अपने मंसूबें को अमलीजामा पहनाते उससे पहले ही 31 अगस्त को तेलंगाना के सीएम के. चन्द्रशेखर राव नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव से मिलने बिहार पहुंच गए, लेकिन बात बन नहीं पाई। इस बात का ख़ुलासा बाद में जेडीयू के महासचिव केसी त्यागी ने किया। केसी त्यागी ने बताया कि दरअसल, केसीआर चाहते थे कि कांग्रेस और बीजेपी, दोनों के ख़िलाफ़ एक तीसरा मोर्चा तैयार किया जाए। लेकिन जेडीयू मानती है कि कांग्रेस के बिना बीजेपी के ख़िलाफ़ कोई भी मोर्चा सफ़ल नहीं हो पाएगा, सीएम नीतीश कुमार ने अपने दिल्ली दौरे में राहुल गांधी से मुलाक़ात कर इस बात को ज़ाहिर कर दिया। 

वहीं, बिहार के डिप्टी सीएम और आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव का कुछ अलग मानना है। तेजस्वी यादव इस बात से सहमत हैं कि बीजेपी के ख़िलाफ़ जो मोर्चा बने उसमें कांग्रेस रहे, लेकिन जिन-जिन जगहों पर कांग्रेस कमज़ोर है, वहां पर क्षेत्रीय पार्टियों को कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाना चाहिए और ड्राइविंग सीट पर बैठाना चाहिए। यह तो वक़्त पर ही पता चल पाएगा कि कांग्रेस की क्या रणनीति होगी।

कांग्रेस का अपना एजेंडा है 

वैसे तो कांग्रेस के नेता अभी भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त हैं, लेकिन बीच-बीच में कांग्रेस के नेता विपक्षी एकता की बात पर अपनी मनसा भी ज़ाहिर करते रहते हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दो टूक कहा कि विपक्षी एकता का मतलब कांग्रेस को कमज़ोर करना नहीं है। हमारे सहयोगियों को भी यह समझना चाहिए कि हम ख़ुद को और कमज़ोर नहीं होने देंगे। हम ख़ुद को मज़बूत करेंगे। मज़बूत कांग्रेस विपक्षी एकता का महत्वपूर्ण स्तंभ है और हमारे बिना पांच साल सरकार स्थिर सरकार देना सम्भव नहीं है, इसलिए कुछ क्षेत्रीय पार्टियां ख़ुश-फ़हमी में ना रहें। 

इन सब के बीच बंगाल की सीएम ममता बनर्जी विपक्षी एकता की बात पर उतनी मुखर तो अभी नहीं दिख रही हैं, जितने बाक़ी और लोग। लेकिन 8 सितम्बर को कोलकाता में हुए एक कार्यक्रम में उन्होंने अपनी बात रखी। विपक्षी एकता की वकालत करते हुए उन्होंने जिन दलों का नाम लिया, उसमें कांग्रेस का नाम ही नहीं था। उन्होंने कहा कि बीजेपी को 2024 चुनाव में सत्ता से बेदख़ल करने के लिए JDU, JMM, SP, RJD और कुछ दल तृणमूल कांग्रेस को सहयोग करेंगे।

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