सीबीआई ने ऑपरेशन चक्र पार्ट 2 के तहत गिरफ्तार किए गए 43 आरोपियों में से तीन की 4 दिनों की सीबीआई कस्टडी में भेजा गया है। इसके साथ ही 40 आरोपियों को न्यायिक हिरासत मे भेजा गया है। CBI ने तीन आरोपियों के लिए 7 दिन की कस्टडी मांगी थी और 40 आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग की थी। वहीं, आरोपियों के वकील ने कहा था कि गिरफ्तारी और हिरासत खत्म होना चाहिए। CBI की ओर से कोर्ट को बताया गया कि ये बहुत गंभीर मामला है, जिसका देश-विदेश में प्रभाव है। हमें आरोपियो के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले हैं, लेकिन अभी मास्टरमाइंड का पता नहीं चला है। हमने तीन लोगों की पहचान की है ,जिनसे पूछताछ के जरिये इस पूरे अपराध की साजिश की तह तक पहुंचा जा सकता है। इस मामले में और बरामदगी की जा सकती है।
CBI ने बताया कि हमारे पास विदेशी नागरिकों से बातचीत की रिकॉर्डिंग मौजूद है। इस बातचीत में इनके अपराध के अंजाम के तरीके के बारे में बात की गई है। 15 मिलियन US डॉलर के लेन देन का हमें शक है। इस बारे में तहकीकात के लिए कस्टडी जरूरी है।
आरोपियों के वकील की दलील
आरोपियों की ओर से पेश वकील ने आरोप लगाया कि इस मामले में CBI ने आरोपियों को हिरासत में लेने के 24 घंटे की समयसीमा में कोर्ट में पेश नहीं किया। आरोपियों के वकील ने दलील दी कि कोर्ट से सर्च वारंट लेने के बाद 24 को CBI का का कॉल सेंटर सर्च ऑपरेशन शुरू हो गया था। इन सबको बाहर जाने की इजाजत नहीं थी। लेकिन आरोपियों को CBI ने 26 जुलाई को कोर्ट के सामने पेश किया। इस लिहाज से देखा जाए तो ये 24 से 26 जुलाई तक CBI हिरासत में ही थे। वकील ने दलील दी कि भले ही CBI अरेस्ट मेमो में आरोपियों की गिरफ्तारी का समय 25 जुलाई का दिखाए,पर हिरासत 24 जुलाई को 11 बजे ही शुरु हो गई थी। (जब CBI वहाँ पहुंची थी)
गिरफ्तारी और रिमांड रद्द करने की मांग
वकील ने SC/HCs के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि इन फैसलों में दी गई व्यवस्था के मुताबिक इस केस में आरोपियों की गिरफ्तारी पूरी तरह अवैध और गैरकानूनी है। इस केस में गिरफ्तारी और रिमांड से जुड़ी जरूरी कानूनी प्रकिया का CBI ने पालन नहीं किया। आरोपियों की गिरफ्तारी का आधार नहीं बताया गया। FIR और रिमांड की कॉपी नहीं दी गई। आज भी कोर्ट के कहने के बाद रिमांड की कॉपी आरोपियों के वकील को को उपलब्ध कराई गई है। सीबीआई ने 3 आरोपियों की कस्टडी की मांग की है, जबकि 40 को न्यायिक हिरासत मे भेजने की मांग की है। आरोपियों के वकील ने पुराने फैसलों के हवाला देते हुए कहा कि चूंकि इस केस में 24 घण्टे की समयसीमा में आरोपियों को कोर्ट में पेश नहीं किया गया, इस लिहाज से गिरफ्तारी और रिमांड रद्द होनी चाहिए।
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