Highlights
- पढ़ाई के लिए कर्ज लेकर ख़रीदा मोबाइल
- कर्ज के ब्याज के तौर पर ही कई हजार रुपये चुकाने पड़े
- मोबाइल खरीदने के लिए नहीं थे पैसे, इसलिए कर्ज
Online Study: कोरोना महामारी के दौरान पूरी दुनिया थम गई थी। स्कूल, बाजार, दुकानें समेत सब कुछ बंद हो गया था। लोग अपने घरों में कैद हो गए थे। कुछ समय बाद ऑनलाइन पढ़ाई का कांसेप्ट आया और प्रचलित हो गया। पढ़ाई की सभी व्यवस्थाएं ऑनलाइन हो गईं और छात्र भी घर पर रहकर अपनी पढ़ाई पूरी करने लगे। पढ़ाई के साथ-साथ एग्जाम भी ऑनलाइन ही कराये गए। कई लोगों के लिए यह व्यवस्था काफी सुगम रही लेकिन कई परिवार इसकी वजह से परेशान हो गए।
पढ़ाई के लिए कर्ज लेकर ख़रीदा मोबाइल
उन्हीं में से एक हैं कुमेर सिंह, निवासी सीहोर जिले की आष्टा तहसील के अमरपुरा गांव के हैं। कोरोना महामारी के दौर में कुमेर सिंह को अपनी बेटियों की पढ़ाई ने कर्जदार बना दिया, क्योंकि उन्हें बेटी की ऑनलाइन पढ़ाई के लिए कर्ज लेकर मोबाइल जो खरीदना पड़ा। कोरोना महामारी के चलते बंद रही शिक्षण संस्थाओं और उसके बाद ऑनलाइन पढ़ाई ने मध्य प्रदेश के कई गरीब परिवारों के लिए मुसीबत खड़ी करने का काम किया, क्योंकि गरीबी से जूझते इन परिवारों को अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए एंड्राइड मोबाइल खरीदने पड़े, जिसके लिए उन्होंने कर्ज लिया और उन्हें ब्याज के तौर पर बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है।
कर्ज के ब्याज के तौर पर ही कई हजार रुपये चुकाने पड़े
कुमेर सिंह अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जिन्होंने अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए कर्ज लेकर एंड्रॉयड फोन खरीदा हो। ऐसे लोगों की संख्या काफी है। कुमेर सिंह बताते हैं कि उनकी बेटी मुस्कान आठवीं में पढ़ती है और कोरोना महामारी के चलते पहले स्कूल बंद रहे और उसके बाद ऑनलाइन पढ़ाई पर जोर दिया गया। ऑनलाइन पढ़ाई तभी संभव थी जब आपके पास एंड्रॉइड फोन हो। उनका कहना है कि मेरे पास तो की-पैड वाला फोन था, मगर बेटी की पढ़ाई के लिए उन्होंने एंड्रॉयड फोन खरीदने का निश्चय किया। इसके लिए उनके पास पैसे नहीं थे फोन तो सात हजार में आना था मगर उनके पास एकमुष्त इतनी भी रकम नहीं थी, लिहाजा उन्होंने गांव के ही व्यक्ति से कर्ज लिया और इसके एवज में ब्याज सहित रकम कई किश्तों में चुकाई। ब्याज के तौर पर कई हजार रुपये चुकाने पड़े। कुमेर सिंह का कहना है कि पहले मुश्किल से फोन खरीदा और उसके बाद बड़ी समस्या आई फोन के रिचार्ज कराने की। कई बार तो ऐसा होता था कि रिचार्ज की तारीख निकल जाने के एक से दो सप्ताह बाद ही रिचार्ज करना संभव हो पाता था।
मोबाइल खरीदने के लिए नहीं थे पैसे, इसलिए कर्ज
ऐसी ही कहानी काकरिया गांव की लीलाबाई इवने की है। इनके पति भगवंत मजदूरी करते हैं। वे अपनी बेटियों को पढ़ाना चाहती हैं। यही कारण है कि छठी में पढ़ने वाली बेटी की ऑनलाइन पढ़ाई के लिए उन्होंने एंड्राइड मोबाइल खरीदा, इसके लिए उन्हें कर्ज लेना पड़ा क्योंकि उनके पास इतने पैसे थे ही नहीं कि एक बार में मोबाइल खरीदा जा सके। लिहाजा उन्हें बेटी की ऑनलाइन पढ़ाई के लिए कर्जदार बना पड़ा। कई बार रिचार्ज कराने की भी समस्याओं से गुजरी, मगर बेटी की पढ़ाई बंद नहीं हो, इसके लिए उन्होंने अपनी कोशिशें जारी रखी। इसी क्षेत्र के सिंगार चोरी गांव निवासी आबिद खान को भी अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए मोबाइल फाइनेंस कराना पड़ा।