Saturday, November 02, 2024
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एक दिन में काम करता है तो दूसरा रात में, शादी के लिए वक्त कहां है? तलाक मांगने वाले दंपति से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा

नौकरी में व्यस्तता के चलते और शिफ्ट अलग-अलग होने की वजह से कपल अपने रिश्ते को ही समय नहीं दे पाते और नौबत शादी खत्म करने तक आ जाती है। ऐसा ही एक मामला बेंगलुरु से सामने आया है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: April 23, 2023 20:18 IST
divorce- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO तलाक

नई दिल्ली: आज के समय में पति-पत्नी दोनों नौकरी करते हैं जिससे दोनों ही आत्मनिर्भर रहते हैं और आर्थिक जरूरतें भी आसानी से पूरी हो जाती है। लेकिन नौकरी में व्यस्तता के चलते और शिफ्ट अलग-अलग होने की वजह से कपल अपने रिश्ते को ही समय नहीं दे पाते और नौबत शादी खत्म करने तक आ जाती है। ऐसा ही एक मामला बेंगलुरु से सामने आया है। यहां एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर दंपति इसलिए तलाक की मांग कर रहे हैं क्योंकि दोनों अलग-अलग शिफ्ट होने की वजह से एक दूसरे को टाइम नहीं दे पा रहे।

जब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- खुद को एक और मौका क्यों नहीं देना चाहते?

सुप्रीम कोर्ट ने तलाक की मांग कर रहे सॉफ्टवेयर इंजीनियर दंपति से कहा है कि वे शादी को कायम रखने के लिए एक और मौका खुद को क्यों नहीं देना चाहते, क्योंकि दोनों ही अपने रिश्ते को समय नहीं दे पा रहे थे। जस्टिस के. एम. जोसेफ और जस्टिस बी. वी. नागरत्ना की बेंच ने कहा, ‘‘वैवाहिक संबंध निभाने के लिए समय ही कहां है। आप दोनों बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। एक दिन में ड्यूटी पर जाता है और दूसरा रात में। आपको तलाक का कोई अफसोस नहीं है, लेकिन शादी के लिए पछता रहे हैं। आप वैवाहिक संबंध कायम रखने के लिए (खुद को) दूसरा मौका क्यों नहीं देते।"

'बेंगलुरु ऐसी जगह नहीं है, जहां बार-बार तलाक होते हैं'
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि बेंगलुरु ऐसी जगह नहीं है, जहां बार-बार तलाक होते हैं और दंपति एक-दूसरे के साथ फिर से जुड़ने का एक और मौका दे सकते हैं। हालांकि, पति और पत्नी दोनों के वकीलों ने बेंच को बताया कि इस याचिका के लंबित रहने के दौरान संबंधित पक्षों को आपसी समझौते की संभावना तलाशने के लिए शीर्ष अदालत के मध्यस्थता केंद्र भेजा गया था। बेंच को सूचित किया गया कि पति और पत्नी दोनों एक समझौते पर सहमत हुए हैं, जिसमें उन्होंने कुछ नियमों और शर्तों पर हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13बी के तहत आपसी सहमति से तलाक द्वारा अपनी शादी को समाप्त करने का फैसला किया है।

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आपसी सहमति से तलाक का लिया फैसला
वकीलों ने बेंच को सूचित किया कि इन शर्तों में से एक यह है कि पति स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में पत्नी के सभी मौद्रिक दावों के पूर्ण और अंतिम निपटान के लिए कुल 12.51 लाख रुपये का भुगतान करेगा। शीर्ष अदालत ने ऐसी परिस्थितियों में कहा, ‘‘हम संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हैं और हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13बी के तहत आपसी सहमति से तलाक के निर्णय की पृष्ठभूमि में दोनों पक्षों के बीच विवाह संबंध को समाप्त करने की अनुमति देते हैं।’’

कोर्ट ने दहेज निषेध अधिनियम, घरेलू हिंसा अधिनियम और अन्य संबंधित मामलों के तहत राजस्थान और लखनऊ में पति और पत्नी द्वारा दर्ज किए गए विभिन्न मुकदमों को भी रद्द कर दिया।

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