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वन नेशन, वन इलेक्शन बिल: बीजेपी के 20 सांसद सदन में नहीं रहे मौजूद, कार्रवाई की तैयारी में पार्टी

व्हिप जारी होने के बाद भी सदन में अनुपस्थित रहने वाले बीजेपी सांसदों को पार्टी नोटिस जारी कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी इन सांसदों को कारण बताओ नोटिस जारी कर सकती है।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Dec 17, 2024 20:11 IST, Updated : Dec 17, 2024 20:11 IST
लोकसभा
Image Source : PTI लोकसभा

लोकसभा में मंगलवार को 'एक देश, एक चुनाव' बिल पेश किया गया। इस मौके पर सदन में अनुपस्थित रहने वाले बीजेपी सांसदों को पार्टी नोटिस जारी कर सकती है। बीजेपी ने सभी सांसदों को आज सदन में मौजूद रहने के लिए सोमवार को व्हिप जारी किया था। इसके बावजूद पार्टी के 20 से ज्यादा सांसद वोटिंग के दौरान सदन में मौजूद नहीं थे। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी इन सांसदों को कारण बताओ नोटिस जारी कर सकती है।

बिल के पक्ष में 269 वोट पड़े 

लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक मंगलवार को लोकसभा में स्वीकार कर लिया गया। संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 जिसे 'एक देश, एक चुनाव' विधेयक के रूप में जाना जाता है, इसे केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने पेश किया। पेश किए जाने के बाद विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा जाएगा। लोकसभा में यह विधेयक पेश किए जाने के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग के बाद पर्चे से मतदान हुआ और तब जाकर यह विधेयक लोकसभा में पेश हो सका।

मोदी कैबिनेट ने रिपोर्ट को मंजूरी दी

देशभर में एक साथ चुनाव कराए जाने को लेकर पिछले साल सितंबर में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसी साल सितंबर में मोदी कैबिनेट ने इस रिपोर्ट को मंजूरी दी थी। इस रिपोर्ट में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा और पंचायत चुनाव एक साथ कराए जाने को लेकर सुझाव दिए गए थे, लेकिन मंत्रिमंडल ने स्थानीय निकाय चुनावों के मुद्दे से दूरी रखने का निर्णय लिया।

विपक्ष ने संविधान के खिलाफ बताया

वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मनीष तिवारी ने इस बिल को संविधान के खिलाफ बताते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग की। तिवारी ने कहा कि यह बिल संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता है, खासकर संविधान की 7वीं अनुसूची का। उन्होंने इसे संविधान पर हमला करार दिया। उनके विरोध के बाद अन्य विपक्षी दलों ने भी इस बिल का विरोध करते हुए इसे संविधान की भावना के खिलाफ बताया। समाजवादी पार्टी के नेता धर्मेंद्र यादव, टीएमसी के कल्याण बनर्जी, डीएमके के टीआर बालू और AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस बिल का विरोध किया।

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