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'वक्त से पहले चली जाएगी लगभग 100 करोड़ लोगों की जान', नई स्टडी के दावे से मचा हड़कंप

पत्रिका ‘एनर्जीस’ में प्रकाशित एक स्टडी में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से उपजी परिस्थितियों के कारण आने वाले 100 सालों में 100 करोड़ लोगों की जान जा सकती है।

Edited By: Vineet Kumar Singh @JournoVineet
Published on: August 29, 2023 18:28 IST
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Image Source : PIXABAY REPRESENTATIONAL जलवायु परिवर्तन के भविष्य में गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन को लेकर सामने आई एक नई रिपोर्ट के दावे से हड़कंप मच गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, अगर वैश्विक ताप वृद्धि 2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाती है तो मानव गतिविधियों के कारण होने वाला जलवायु परिवर्तन अगली सदी तक करीब एक अरब लोगों की समय पूर्व मौत का कारण बन सकता है। इस तरह देखा जाए तो अगले 100 वर्षों में करीब 100 करोड़ लोगों को वक्त से पहले ही अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ सकता है।

करोड़ों लोगों की जिंदगियों पर पड़ रहा असर

रिसर्चर्स ने स्टडी की रिपोर्ट को साझा करते हुए कहा कि तेल एवं गैस उद्योग प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से 40 प्रतिशत से ज्यादा कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से करोड़ों लोगों की जिंदगियों पर असर पड़ रहा है और इनमें से कई लोग दुनिया के सबसे दूर-दराज और कम संसाधन वाले समुदायों में रह रहे हैं। पत्रिका ‘एनर्जीस’ में प्रकाशित अध्ययन में आक्रामक ऊर्जा नीतियों का प्रस्ताव दिया गया है जिससे कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद मिलेगी।

उपचारात्मक कदमों को बढ़ाने की सिफारिश
पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में वैश्विक अर्थव्यवस्था को कार्बन उत्सर्जन से मुक्त बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सरकार, कॉर्पोरेट तथा नागरिक स्तर पर उपचारात्मक कदमों को बढ़ाने की भी सिफारिश की गई है। चीन में यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ओंटारियो में प्रोफेसर जोशुआ पीयर्स ने कहा, ‘जलवायु मॉडल के पूर्वानुमान अधिक स्पष्ट होने के साथ, हम बच्चों और भावी पीढ़ियों को जो नुकसान पहुंचा रहे हैं, उसके लिए हमारे कदमों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।’

जीवाश्म ईंधन से जल्द पाना होगा छुटकारा
स्टडी में यह भी पाया गया है कि भविष्य में भारी पड़ने वाले इन कदमों को सीमित करने की जरूरत है। इसके अलावा कई मानव जिंदगियों को बचाने के लिए मनुष्यों को ऊर्जा दक्षता तथा नवीनीकरण ऊर्जा के अनुकूल कदम उठाकर जल्द से जल्द जीवाश्म ईंधनों को जलाए जाने से रोकने की आवश्यकता है। बता दें कि जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया के तमाम देश गंभीरता से प्रयास कर रहे हैं लेकिन फिलहाल ये सारी कोशिशें नाकाफी साबित हुई हैं। (भाषा)

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