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नौसेना दिवस के मौके पीएम मोदी ने नौसैनिकों को दी बधाई, कहा- ''भारत में हमें आपके समृद्ध समुद्री इतिहास पर गर्व है''

'ऑपरेशन ट्राइडेंट' के तहत 4 दिसंबर, 1971 को भारतीय नौसेना ने कराची नौसेनिक अड्डे पर भी हमला बोल दिया था। एम्यूनिशन सप्लाई शिप समेत कई जहाज नेस्तनाबूत कर दिए गए थे। इस दौरान पाकिस्तान की ऑयल टैंकर भी तबाह हो गए थे।

Written By: Shashi Rai @km_shashi
Published on: December 04, 2022 11:06 IST
नौसेना दिवस- India TV Hindi
Image Source : फाइल फोटो नौसेना दिवस

भारत हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस (Navy Day) मनाता है। यह दिन 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना के 'ऑपरेशन ट्राइडेंट'' की उपलब्धियों को याद करने के लिए मनाया जाता है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नौसेना दिवस पर नौसेना की सराहना करते हुए कहा कि उसने दृढ़तापूर्वक देश की रक्षा की है और कठिन समय में भी अपनी मानवीय भावना से अपनी एक अलग पहचान बनाई है। 

पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ''सभी नौसैनिकों और उनके परिवारों को नौसेना दिवस पर शुभकामनाएं। भारत में हमें आपके समृद्ध समुद्री इतिहास पर गर्व है।'' उन्होंने लिखा, ''भारतीय नौसेना ने दृढ़तापूर्वक हमारे राष्ट्र की रक्षा की है और कठिन समय में भी अपनी मानवीय भावना से अपनी एक अलग पहचान बनाई है।''

क्या है 'ट्राइडेंट ऑपरेशन' 

03 दिसंबर 1971 की रात को भारतीय नौसेना की शिप मुंबई छोड़ रही थी, लेकिन उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि पाकिस्तान की एक पनडुब्बी पीएनएस हंगोर उनपर हमला करने के लिए इंतजार कर रही है। पाकिस्तानी पनडुब्बी हमले की ताक में घूम रही थी। उसी बीच उसके एयरकंडीशनिंग में कुछ दिक्कत हुई और उन्हें सुमद्र की सतह पर आना पड़ा। उसी दौरान भारतीय नौसेना को अंदाजा हुआ कि पाकिस्तानी पनडुब्बी दीव के तट के इर्द गिर्द चक्कर लगा रही है। 

उस समय नेवी चीफ एडमिरल एसएम नंदा के नेतृत्व में 'ऑपरेशन ट्राइडेंट' का प्लान बनाया गया था। भारतीय जल सीमा घूम रही पाकिस्तानी पनडुब्बी को नष्ट करने का जिम्मा एंटी सबमरीन फ्रिगेट आईएनएस खुखरी और कृपाण कौ सौंपा गया। इस टास्क की जिम्मेदारी 25वीं स्क्वार्डन कमांडर बबरू भान यादव को दी गई थी। 'ऑपरेशन ट्राइडेंट' के तहत 4 दिसंबर, 1971 को भारतीय नौसेना ने कराची नौसेनिक अड्डे पर भी हमला बोल दिया था। एम्यूनिशन सप्लाई शिप समेत कई जहाज नेस्तनाबूत कर दिए गए थे। इस दौरान पाकिस्तान की ऑयल टैंकर भी तबाह हो गए थे। 

भारतीय नौसेना ने युद्ध पोषण के प्रयासों और महत्वपूर्ण सामानों को ले जाने वाले कई पाकिस्तानी जहाजों को डूबो दिया। आईएनएस विक्रांत के डेक से लड़ाकू विमानों ने चटगांव और खुलना में दुश्मन के काराची पोर्ट और हवाई क्षेत्रों पर हमला किया। पाकिस्तान सेना की जहाजों, रक्षा सुविधाओं और प्रतिष्ठानों को नष्ट कर दिया था। इन मिसाइल हमलों और विक्रांत के हवाई हमलों के कारण कराची पोर्ट पर तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना की हार हुई थी। 

कई दिनों तक कराची पोर्ट पर तेल के भंडार से आग की लपटें उठती रहीं, जिन्हें करीब 60 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता था। हालांकि इस जंग के दौरान भारतीय नौसेना का आईएनएस खुखरी भी पानी में डूब गया था और 18 अधिकारियों समेत करीब 174 नाविक मारे गए थे। 

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