दिल्ली: भारत और इंडोनेशिया के उलेमाओं और अन्य धर्म गुरुओं ने मंगलवार को कट्टरता-विरोधी माहौल विकसित करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता पर सहमति जताई। लंबी चर्चा के बाद जारी संयुक्त बयान में यह जानकारी दी गई। एक अनूठी पहल के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के निमंत्रण पर इंडोनेशिया के सुरक्षा मामलों के मंत्री मोहम्मद महफूद के साथ इंडोनेशिया के उलेमाओं और अन्य धर्म गुरुओं का एक प्रतिनिधिमंडल भारत के दौरे पर है। डोभाल ने 17 मार्च को जकार्ता में दूसरे भारत-इंडोनेशियाई सुरक्षा संवाद में भाग लेने के लिए इंडोनेशिया की यात्रा के दौरान महफूद को भारत का निमंत्रण दिया था।
धार्मिक कट्टरता की चुनौतियों पर हुई चर्चा
डोभाल ने सम्मेलन की शुरुआत में अपने संबोधन में कहा कि संवाद का उद्देश्य भारतीय और इंडोनेशियाई उलेमाओं और विद्वानों को एक साथ लाना है जो सहिष्णुता, सद्भाव और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने में सहयोग को आगे बढ़ा सकते हैं। बयान में कहा गया है, ‘‘विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बाधित करने वाले दुष्प्रचार का मुकाबला करने की आवश्यकता के साथ-साथ भारत और इंडोनेशिया में धार्मिक कट्टरता और उग्रवाद की समकालीन चुनौतियों पर चर्चा की गई।’’ पूर्व केंद्रीय मंत्री एम. जे. अकबर और लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त) और खुसरो फाउंडेशन के अध्यक्ष अख्तरुल वासे ने भारतीय पक्ष की ओर से सम्मेलन को संबोधित किया।
सामाजिक सद्भाव की संस्कृति को बढ़ावा
अधिकारियों ने बताया कि एनएसए डोभाल के इंडोनेशियाई समकक्ष महफूद ने भारत यात्रा के निमंत्रण को स्वीकार करते हुए यात्रा के दौरान इंडोनेशिया में उलेमाओं और अन्य धर्म गुरुओं के एक प्रतिनिधिमंडल को भारत लाने की इच्छा व्यक्त की थी ताकि वे यहां के उलेमाओं और धार्मिक नेताओं के साथ ‘औपचारिक बैठक’ कर सकें। ‘इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर’ ने भारत और इंडोनेशिया में आपसी शांति तथा सामाजिक सद्भाव की संस्कृति को बढ़ावा देने में उलेमा की भूमिका पर आधारित एक संवाद का आयोजन किया।