भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान यानी इसरो ने भारत के चंद्रयान-3 मिशन की सफलता की पहली वर्षगांठ पर दुनिया के लिए बड़ा तोहफा दिया है। इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े वैज्ञानिक डेटा को अनुसंधान करने वालों के शोध के लिए सार्वजनिक कर दिया है। आपको बता दें कि बीते साल 23 अगस्त को भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी क्षेत्र पर उतरा था। भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बना था।
55 जीबी से ज्यादा डेटा सार्वजनिक
जानकारी के मुताबिक, इसरो ने विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर पर लगे पांच पेलोड से हासिल 55 गीगाबाइट (जीबी) से अधिक डेटा दुनियाभर के अनुसंधानकर्ताओं के लिए सार्वजनिक कर दिया है। इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा है कि यह डेटा उन वैज्ञानिकों तक ही सीमित नहीं रहेगा जिन्होंने उन उपकरणों को बनाए थे, बल्कि इसे विश्लेषण के लिए देश और दुनिया के सभी शोधकर्ताओं के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।
किस काम आएगा चंद्रयान-3 का डेटा?
चंद्रयान-3 का डेटा सेट भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान डेटा सेंटर (ISSDC) के PRADAN पोर्टल पर मौजूद है। जानकारी के मुताबिक, प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह का स्थलीय रासायनिक विश्लेषण किया, जिससे चंद्रमा की उत्पत्ति एवं विकास की बेहतर समझ हासिल हुई है। यह जानकारी भविष्य में चंद्रमा पर खोज और संभावित संसाधन के उपयोग के लिए महत्वपूर्ण है।
मैग्मा के विशाल महासागर से विकसित चंद्रमा
अहमदाबाद की भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 के डेटा का अध्ययन करने के बाद अनुमान लगाया है कि चंद्रमा मैग्मा के विशाल महासागर से विकसित हुआ जो बाद में ठंडा हो गया था। यह विश्लेषण चंद्रमा पर मिट्टी की माप से संबंधित है, जिसे प्रज्ञान रोवर द्वारा सतह पर 100 मीटर की दूरी तय करते हुए कई बिंदुओं पर रिकॉर्ड किया गया। (इनपुट: भाषा)
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