Highlights
- चीन में अभी भी सुधरे नहीं हैं हालात
- अमेरिका और वेस्टर्न पैसिफिक में कोरोना के मामले बढ़ रहे
- सउदी अरब सहित मिडिल ईस्ट में मौतों की संख्या 30% बढ़ी
Omicron Mutation: कोरोना अभी भी दुनिया में परेशानी का सबब बना हुआ है। चीन में कोरोना पाए जाने की खबर को ढाई साल हो गए। इस दौरान कोरोना ने तांडव दिखाया। हालांकि अब हालात बदले हुए हैं। डब्ल्यूएचओ ने भी माना कि नए मामलों में गिरावट दर्ज की जा रही है। क्योंकि पिछले सप्ताह दुनियाभर में कोरोना के 37 लाख के करीब केस दर्ज किए गए और करीब 9 हजार मौतें हुई हैं। इसी बीच दक्षिण अफ्रीका में डरबन विवि के एक विशेषज्ञ ने चेताया है कि जून माह में ओमिक्रॉन के और म्यूटेशन हो सकते हैं।
अभी देखा जाए तो डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनिया में सिर्फ दो रीजन अमेरिका और वेस्टर्न पैसिफिक में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। वहीं, सउदी अरब सहित मिडिल ईस्ट में मौतों की संख्या 30% बढ़ी है। बाकी सभी जगह कोरोना का संक्रमण या तो स्थिर है या फिर मामलों में कमी आ रही है। इसी बीच WHO ने बताया कि ओमिक्रॉन के सभी सब वैरिएंट्स को 'वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न' के रूप में ट्रैक कर रहा है। एजेंसी ने बताया कि जिन देशों में BA.2 की वजह से नई लहर आई थी, वहां BA.4 और BA.5 का कम असर देखने को मिला है।
जून में फिर हो सकता है ओमिक्रॉन का म्यूटेशन
डरबन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ क्वाजुलु-नताल यूनिवर्सिटी के एक विशेषज्ञ के अनुसार साउथ अफ्रीका में BA.4 और BA.5 की वजह से आई नई लहर अब थमती दिख रही है। पिछले साल नवंबर में साउथ अफ्रीका में ही ओमिक्रॉन का पहला मामला सामने आया था। हालांकि विवि के विशेषज्ञ ने यह आशंका जताई है कि जून में ओमिक्रॉन में म्यूटेशन हो सकता है। उन्होंने कहा कि चूंकि ओमिक्रॉन में अब तक कई म्यूटेशन हो चुके हैं, इसलिए इस बात की आशंका है कि इसमें अभी और म्यूटेशन हो सकते हैं।
चीन में अभी भी सुधरे नहीं हैं हालात
चीन में कोरोना से हालात अब भी बिगड़ रहे हैं। वहां अब भी करोड़ों लोग किसी न किसी पाबंदी में जी रहे हैं। इसी बीच राजधानी बीजिंग में अधिकारियों ने कर्मचारियों और छात्रों को घर पर ही रहने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही वहां फिर टेस्टिंग शुरू होगी। बीजिंग के कई रिहायशी इलाकों में लोगों की आवाजाही को बंद कर दिया गया है। हालांकि, जितना सख्त लॉकडाउन शंघाई में लगा है, वैसी पाबंदियां अभी दूसरे शहरों में नहीं है। शंघाई में पिछले दो महीने से करोड़ों लोग सख्त पाबंदियों में रह रहे हैं। चीन अब भी 'जीरो कोविड पॉलिसी' पर ही जोर दे रहा है। जबकि, WHO कह चुका है कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जीरो कोविड पॉलिसी ज्यादा असरदार नहीं है।