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ओडिशा ट्रेन हादसे में मारे गए 101 लोगों की नहीं हुई पहचान, 55 शव परिजनों को सौंपे गए

ओडिशा के विभिन्न अस्पतालों में करीब 200 लोगों का इलाज चल रहा है। दुर्घटना में मरने वाले 278 लोगों में से 101 शवों की अभी पहचान नहीं हो पाई है।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published on: June 06, 2023 6:50 IST
ओडिशा ट्रेन हादसा- India TV Hindi
Image Source : PTI ओडिशा ट्रेन हादसा

ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे में जिन लोगों की मौत हुई है, उनकी डेड बॉडीज को उनके घर पहुंचाया जा रहा है। इस दुर्घटना में कम से कम 278 लोगों की जान चली गई और 1000 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इस बीच, अधिकारियों ने सोमवार को जानकारी दी कि अभी भी 101 शवों की शिनाख्त की जानी बाकी है।  

"200 लोगों का इलाज चल रहा है" 

पूर्वी मध्य रेलवे के डिविजनल रेलवे मैनेजर रिंकेश रॉय ने कहा कि ओडिशा के अलग-अलग अस्पतालों में अभी भी लगभग 200 लोगों का इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा कि हादसे में करीब 1100 लोग घायल हुए, जिनमें से करीब 900 लोगों को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई। राज्य के विभिन्न अस्पतालों में करीब 200 लोगों का इलाज चल रहा है। दुर्घटना में मरने वाले 278 लोगों में से 101 शवों की अभी पहचान नहीं हो पाई है।

"भुवनेश्वर में रखे गए कुल 193 शव"

भुवनेश्वर नगर निगम के आयुक्त विजय अमृत कुलंगे ने बताया, "भुवनेश्वर में रखे गए कुल 193 शवों में से 80 शवों की पहचान कर ली गई है। 55 शव परिजनों को सौंप दिए गए हैं। बीएमसी के हेल्पलाइन नंबर 1929 पर 200 से ज्यादा कॉल आ चुकी हैं। शवों की पहचान कर परिजनों को सौंपी जा रही है।"

कैसे हुआ ये हादसा? 

ओडिशा के बालासोर के बहनगा बाजार स्टेशन पर शुक्रवार की देर शाम तीन अलग-अलग पटरियों की ट्रेनें आपस में टकरा गईं। कोरोमंडल एक्सप्रेस बहनगा स्टेशन क्रॉस करने वाली थी, तब गाड़ी अचानक लूप लाइन में चली गई, जहां मालगाड़ी खड़ी थी। इसके बाद इतनी भीषण टक्कर हुई कि कोरोमंडल एक्सप्रेस का इंजन मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया। टकराने के बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस की बोगियां दूसरी मेन लाइन पर गिर गई, जो डाउन लाइन है। उस पर बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस आ रही थी और ये पटरी पर गिरी बोगी को चीरते हुए निकल गई। 

इस ट्रेन हादसे के बाद सवाल यही उठ रहा है कि आखिर इतना बड़ा हादसा हुआ कैसे, किसकी गलती से एक्सीडेंट हुआ? जानकारों का कहना है कि ये टेक्निकल फॉल्ट नहीं हो सकता। इस एक्सीडेंट के पीछे साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि हमारे रेलवे में सिग्नल सिस्टम पूरी तरह बदल चुका है। पूरी दुनिया में ट्रेनें इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल और इंटरलॉकिंग सिस्टम से चलती हैं। यही सिस्टम हमारे देश में भी है। पहले सिंग्नल सिस्टम मैन्युल था, अब सबकुछ टेक्निकल है। एक बार सिग्नल लॉक हो जाए तो अपने आप ट्रैक चेंज हो ही नहीं सकता, इसलिए अब इस सवाल का जवाब मिलना जरूरी है कि आखिर दो ट्रेंस एक साथ लूप लाइन पर कैसे पहुंच गईं।

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