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Odisha CBI: सीबीआई ने ओडिशा की कंपनी के डीजीएम और तीन अन्य को रिश्वत के मामले में गिरफ्तार किया

Odisha CBI: कंपनी के सामान को बंदरगाह पर उतारने के दौरान एक ‘कन्वेयर बेल्ट’ क्षतिग्रस्त हो गई थी, चीफ मैकेनिकल इंजीनियर ने बिना इसकी मरम्मत का भुगतान किए कंपनी को छोड़ने के बदले रिश्वत मांगी थी।

Edited By: Pankaj Yadav
Published on: August 05, 2022 16:49 IST
CBI- India TV Hindi
Image Source : ANI CBI

Highlights

  • CBI ने उड़ीसा स्टीवडोर्स लिमिटेड के डीजीएम समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया
  • चीफ मैकेनिकल इंजीनियर ने कंपनी से घूस के तौर पर 60 लाख रुपए की मांग की थी

Odisha CBI: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पारादीप पोर्ट ट्रस्ट के एक चीफ मैकेनिकल इंजीनियर से जुड़े 25 लाख रुपए की रिश्वत के मामले में उड़ीसा स्टीवडोर्स लिमिटेड के डीजीएम समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है। CBI अधिकारी ने कहा कि पारादीप पोर्ट ट्रस्ट के चीफ मैकेनिकल इंजीनियर सरोज कुमार दास ने अपने सहयोगी सुमंत राउत के जरिए कंपनी से घूस के तौर पर 60 लाख रुपए की मांग की थी।

कंपनी के सामान को बंदरगाह पर उतारने के दौरान एक ‘कन्वेयर बेल्ट’ (बंदरगाह पर सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में इस्तेमाल होने वाली बेल्ट) क्षतिग्रस्त हो गई थी। उन्होंने कहा कि दास ने बिना इसकी मरम्मत का भुगतान किए कंपनी को छोड़ने के बदले रिश्वत मांगी थी। अधिकारियों ने कहा कि CBI की टीम ने राउत, दास, एक अन्य व्यक्ति शंख शुभ्र मित्रा और उड़ीसा स्टीवडोर्स लिमिटेड (ओएसएल) के डीजीएम सूर्य नारायण साहू को इस संबंध में गिरफ्तार किया है। 

रिश्वत लेकर कन्वेयर बेल्ट की मरम्मत का खर्च पोर्ट ट्रस्ट पर डाला

अधिकारी ने कहा कि CBI ने प्राथमिकी में केसीटी समूह के देबप्रिय मोहंती, ओएसएल के निदेशक चर्चित मिश्रा और निजी कंपनी उड़ीसा स्टीवडोर्स लिमिटेड को भी नामित किया है। उन्होंने कहा कि 15 जगहों पर की गई छापेमारी के दौरान सीबीआई ने 84.5 करोड़ रुपए भी जब्त किए। CBI ने यहां एक बयान में कहा, “यह आरोप लगाया गया था कि पारादीप पोर्ट ट्रस्ट (ओडिशा) के मुख्य यांत्रिक अभियंता (सीएमई) को पारादीप बंदरगाह पर सेवा और अन्य गतिविधियों में लगे विभिन्न निजी हितधारकों को अनुचित लाभ देने के लिए अपने करीबी सहयोगी (राउत) के माध्यम से रिश्वत मांगने और लेने की आदत थी।”

सीबीआई का आरोप है कि ओएसएल के कार्गो को उतारने के दौरान क्षतिग्रस्त हुई कन्वेयर बेल्ट की मरम्मत की लागत बेहद ज्यादा थी और दास ने अपने सहयोगी राउत, बिचौलिए मित्रा और निदेशक साहू के साथ साजिश कर पोर्ट ट्रस्ट पर इसकी मरम्मत का खर्च डाल दिया, जिससे निजी कंपनी को काफी आर्थिक फायदा पहुंचा।

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