Highlights
- राजस्थान के उदयपुर में कन्हैयालाल के अलावा कई लोग निशाने पर थे
- नूपुर के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वालों को सबक सिखाना चाहते थे आतंकी
- पाकिस्तानी संगठन दावत-ए-इस्लामी और आतंकियों ने राजस्थान में 40 लोगों की टीम को किया था तैयार
Nupur Sharma Controversy: बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद को लेकर दिए गए विवादित बयान के बाद से देश में लोग 2 हिस्सों में बंटे हुए नजर आए। जिसमें एक हिस्सा उनके बयान का समर्थन कर रहा था और दूसरा हिस्सा उनके बयान की आलोचना। इस बयान के बाद नफरत की आग कुछ इस तरह फैली कि आतंकी भी इस विवाद में अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए नूपुर समर्थकों को निशाना बनाने की साजिश रचने लगे।
दरअसल इस मामले में जो जानकारी सामने आई है, वह चौंकाने वाली है। नूपुर (Nupur Sharma) के बयान के बाद राजस्थान के उदयपुर में केवल कन्हैयालाल (Kanhaiya Lal) ही निशाने पर नहीं थे बल्कि पाकिस्तानी संगठन दावत-ए-इस्लामी और आतंकियों ने राजस्थान में 40 लोगों की टीम को तैयार कर लिया था। इस टीम का काम नूपुर (Nupur Sharma) के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वालों को निशाना बनाना था। ये 40 लोगों की टीम नूपुर के समर्थकों का सिर कलम करने के लिए तैयार थी। एनआईए और एटीएस की शुरुआती जांच में इस बात का खुलासा हुआ है।
दावत-ए-इस्लामी से जुड़े 6 जिलों के लोगों को मिला था टारगेट
दावत-ए-इस्लामी से जुड़े 6 जिलों के लोगों को ये टारगेट दिया गया था कि नुपूर के समर्थन में पोस्ट करने वालों को सबक सिखाएं। ये लोग एक साल से ज्यादा समय से दावत-ए-इस्लामी संगठन (Dawat e Islami) से जुड़े थे। इस बात का खुलासा आतंकी रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद की कॉल डिटेल से हुआ है। इसमें पाकिस्तान के 10 लोगों के 20 मोबाइल नंबर की जांच की गई, जिसमें चौंकाने वाली बातें सामने आईं। इन लोगों को ये टारगेट मिला था कि जिस तरह तालिबान में सिर कलम कर वीडियो वायरल किया जाता है, उसी तरह भारत में भी दहशत फैलाएं।
एनआईए ने उदयपुर में मंगलवार को पूछताछ की
एनआईए की टीम ने मंगलवार को उदयपुर में 6 लोगों से पूछताछ की। जिन लोगों से पूछताछ हुई, उनका नाम अंजुमन तालिमुल इस्लाम के सदर मुजीब सिद्दिकी, मौलाना जुलकरनैन, पूर्व सदर खलील अहमद, सह-सचिव उमर फारुक और दो वकील शामिल हैं। NIA ने इनको हिरासत में लेकर पूछताछ की और सदर मुजीब के घर तलाशी भी ली। एनआईए की जांच में ये भी सामने आया कि अजमेर में आपत्तिजनक धार्मिक किताबें बिक रही हैं। दावत-ए-इस्लामी ने ही ये किताबें बेचने के लिए यहां दुकानें खोली थीं। वह एक बुक सेलर को रोज 350 रुपए की रिश्वत देते थे। रियाज और गौस यहीं से लोगों को किताबें बांटते थे।