Highlights
- जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा को लेकर कल हाईलेवल मीटिंग
- मीटिंग से पहले एनएसए और रॉ चीफ गृहमंत्री से मिले
- आज ही हुई एक और गैर-कश्मीरी की टारगेट किलिंग
Kashmir News: जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा को लेकर होने वाली अहम बैठक से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। माना जा रहा है कि इस दौरान केंद्र शासित प्रदेश में सुरक्षा हालात पर चर्चा की गई जहां पर 12 मई से लगातार टारगेटेड किलिंग के मामले सामने आ रहे हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि डोभाल और खुफिया एजेंसी रॉ (RAW) के प्रमुख सामंत गोयल ने दोपहर बाद करीब एक घंटे तक अमित शाह के साथ उनके नार्थ ब्लॉक कार्यालय में बातचीत की।
एक और गैर-कश्मीरी की हत्या
सूत्रों ने बताया कि बैठक की विस्तृत जानकारी तत्काल नहीं मिल सकी है। लेकिन माना जा रहा है कि उन्होंने कश्मीर की स्थिति पर चर्चा की जहां पर आज सुबह ही राजस्थान के रहने वाले सरकारी कर्मचारी की हत्या कर दी गई है। यह तीसरा मामला है जब किसी गैर मुस्लिम सरकारी कर्मचारी की आतंकवादियों द्वारा हाल में हत्या की गई है। उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा हालात पर शाह शुक्रवार को उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करेंगे। यह एक पखवाड़े से कम समय में ऐसी दूसरी बैठक है जो आतंकवादियों द्वारा घाटी में हो रही लक्षित हत्याओं के बीच हो रही है।
कौन-कौन होगा हाईलेवल मीटिंग में शामिल?
गृहमंत्री की अध्यक्षता में शुक्रवार को होने वाली बैठक में डोभाल के भी शामिल होने की उम्मीद है। जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा, केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी भी इस बैठक में हिस्सा लेंगे। उम्मीद की जा रही है कि इस दौरान कोविड-19 महामारी के कारण गत दो साल से स्थगित और इस साल आयोजित हो रहे वार्षिक अमरनाथ यात्रा की तैयारियों का भी जायजा लिया जाएगा। यह बैठक कश्मीरी पंडित समुदाय द्वारा सुरक्षा की मांग को लेकर किए जा रहे प्रदर्शनों और टारगेटेड किलिंग के बाद समुदाय के कुछ लोगों द्वारा घाटी छोड़ने के बीच हो रही है।
क्या हैं इस मीटिंग के मायने?
जब कश्मीर से लगातार टारगेटेड किलिंग की घटनाएं सामने आ रही हैं, ऐसे समय में अजीत डोभाल के साथ अमित शाह की मीटिंग काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस मुलाकात में दोनों मिलकर कश्मीर में शांति बहाली का रोडमैप तैयार कर सकते हैं। लगातार हो रहीं इन घटनाओं के बाद सरकार की सबसे बड़ी चुनौती कश्मीरी पंडितों का भरोसा जीतने की है। चुन-चुनकर हुई सिलसिलेवार हत्याओं के बाद कश्मीरी पंडितों के बीच दहशत का माहौल है।