Highlights
- इसमें अहम भूमिका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की होगी
- कई किस्म के टेक्नोलॉजी बाजारों में आ गए हैं
- टेक्नोलॉजी का कोई नामोनिशान नहीं होता था
Research In Medical: हमारी जब तबीयत खराब होती है तो डॉक्टर के पास जाते हैं। हमें कौन सी बीमारी हुई है डॉक्टर पता लगाने के लिए ब्लड या यूरिन का सैंपल लेते हैं। इसके बाद लैब में जांच करते हैं तो पता चलता है कि हमें किस प्रकार की बीमारी हुई है। यानी सैंपल के आधार पर आसानी से पता चल जाता है कि कौन सी बीमारी हुई है। अब इसी तकनीक को और भी डेवलप करने के लिए कवायद चल रही है। अब आवाज के जरिए भी बीमारी का पता लगाया जा सकता है। जब हम अपनी ध्वनि को बाहर निकालेंगे तो उसे रिकॉर्ड करके पता लगाया जा सकेगा कि हम किस बीमारी से शिकार हो गए हैं। इसमें अहम भूमिका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की होगी।
अब हर क्षेत्र में अहम रोल में टेक्नोलॉजी
आज दुनिया भर में कई किस्म के टेक्नोलॉजी बाजारों में आ गए हैं, जिनसे हम अपने किसी काम को आसानी से पूरा कर लेते हैं। वही ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां पर टेक्नोलॉजी की प्रयोग की नहीं जा रही हो। एक जमाने में मेडिकल सिस्टम में टेक्नोलॉजी का कोई नामोनिशान नहीं होता था लेकिन अब समय बदल गया है मेडिकल इंडस्ट्री में ऐसे कई टेक्नॉलॉजी आ गए हैं जिनसे आसानी से कई ऐसे रोंगो का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा कई ऐसे काम है जो कुछ मिनटों में सॉल्व हो जाते हैं।
आवाज को रहेगा सारा खेल
इसी कड़ी में अब शोधकर्ता आवाज से रोगों का पता लगाने के लिए रिसर्च कर रहे हैं। रिसर्च एक डेटाबेस बना रहे हैं जिसका इस्तेमाल इंसान की आवाज सुनकर उसे हुई बीमारी का पता लगाने का प्रयास करेंगे। इसमें एआई (AI) टूल का इस्तेमाल अल्जाइमर से लेकर कैंसर तक डायग्नोसिस किया जाएगा। इस पर काम कर रही इंस्टीट्यूट की मानें तो इंसानों की आवाज का इस्तेमाल करके रोग का पता लगाने की टेक्नालॉजी विकसित करने की कोशिश में लगे हैं। यह ठीक उसी प्रकार काम करेगा जैसे वर्तमान में ब्लड या टेंपरेचर की मदद से किसी की रोग का पता लगाया जाता है।
डेटा कलेक्ट करने का सबसे आसान तरीका
इस रिसर्च पर काम कर रहे हैं ओलिवर एलिमेंटो ने बताया कि वॉइस डाटा की खूबसूरती यह है कि संभवत: यह सबसे सस्ता डाटा है। जिससे आप किसी यूजर से कलेक्ट कर सकते हैं उन्होंने आगे बताया कि यह किसी मरीज से जानकारी इकट्ठा करने का सबसे ज्यादा आसान वाला तरीका है। वही इनके साथ अन्य काम कर रहे एक रिसर्च ने बताया कि पिछले कुछ स्टडीज में आवाज से रोग का पता करने की क्षमताओं को पता लगाया गया। इसके साथ ही साथ वॉइस डाटा का कोई बड़ा डेटाबेस भी नहीं था। रिसर्चर्स ने अभी तक इस टेक्नॉलजी के लिए वॉइस इंफॉर्मेशन कलेक्ट करने का बेस्ट तरीका नहीं खोजा है।
अबतक तारीख तय नहीं
आसान भाषा में बताएं तो जैसे अभी आपको किसी बीमारी की जांच के लिए ब्लड या किसी अन्य चीज का सैंपल देना होता है तो भविष्य में आपकी आवाज इसी तरह एक सैंपल की तरह यूज की जाएंगी। वैज्ञानिकों ने यह साफ नहीं किया है कि आखिर कब तक टेक्नोलॉजी बनकर तैयार हो जाएगी और से पूरा करने में कितना समय लगेगा अभी तक कोई स्पष्ट समय नहीं दिख रहा है। इस शोध से जुड़े लोगों ने बताया कि सबसे पहले लोगों की आवाज का एक डेटाबेस तैयार करेंगे। जिसका इस्तेमाल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल विकसित करने में किया जाएगा।
ऐप पर मिलेगी ये सुविधा
इसके लिए एक नए ऐप को डेवलप किया जाएगा। जो लोगों की आवाज सैंपल को कलेक्ट करेगा। उदाहरण के तौर पर कुछ ऐसे तकनीक बनाए जाएंगे जैसे कि व्यक्ति की आवाज धीमी होगी और पीच लो होगी तो इसे पता चल जाएगा कि रोग किस प्रकार का है। वही इस जांच के दौरान किस शख्स को ऐप पर दी गाइड लाइंस को पढ़ने के लिए कहा जाएगा और उसकी आवाज के आधार पर बीमारी का पता लगाया जा सकेगा। वही आपको बता दें कि इसमें लोगों की प्राइवेसी प्रोटेक्शन का पूरा ध्यान रखा जाएगा।