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India's Moon Mission: अब हर अंतरिक्ष यान की होगी सुरक्षित लैंडिंग, मिशन मून से सबक ले इसरो ने ईजाद की ये तकनीकि

India's Moon Mission: इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (इसरो) ने एक ऐसी तकनीकि ईजाद की है जिससे कि अब हर अंतरिक्ष यानि की सुरक्षित लैंडिंग की जा सकेगी। इसरो के वैज्ञानिकों ने जुलाई 2019 में मिशन मून-2 की चंद्रमा पर लैंडिंग कराते समय लैंडर के भटक जाने के बाद सबक लेते हुए यह तकनीकि विकसित करने में सफलता पाई है।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra
Published : Sep 04, 2022 13:36 IST, Updated : Sep 04, 2022 13:36 IST
ISRO
Image Source : INDIA TV ISRO

Highlights

  • हर अंतरिक्ष यान की सुरक्षित लैंडिंग का वैज्ञानिकों ने खोजा रास्ता
  • मिशन मून-2 में लैंडर के रास्ता भटकने के बाद ईजाद की तकनीकि
  • अब चांद और मंगल समेत अन्य ग्रह पर सुरक्षित उतरेगा यान

India's Moon Mission: इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (इसरो) ने एक ऐसी तकनीकि ईजाद की है जिससे कि अब हर अंतरिक्ष यानि की सुरक्षित लैंडिंग की जा सकेगी। इसरो के वैज्ञानिकों ने जुलाई 2019 में मिशन मून-2 की चंद्रमा पर लैंडिंग कराते समय लैंडर के भटक जाने के बाद सबक लेते हुए यह तकनीकि विकसित करने में सफलता पाई है। इससे चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं। भारत की इस नई खोज से दुनिया के वैज्ञानिक भी हैरान हैं। आइए आपको बताते हैं कि ये तकनीकि है क्या....?

इसरो के इस नए अनुसंधान से अब चांद समेत मंगल और अन्य ग्रहों पर जाने वाले अंतरिक्ष यान की सुरक्षित लैंडिंग कराई जा सकेगी। इनफ्लेटेबल एयरोडायनिमिक डीसेलेरेटर (आइएडी) नाम की इस तकनीकि से अब देश के हर अंतरिक्ष यान की सफल लैंडिंग कराना सुनिश्चित हो गया है। वैज्ञानिकों ने इस नई तकनीकि का थुंबा इक्वेटोरियल राकेट लांचर स्टेशन से और रोहिणी साउंडिंग राकेट से सफल परीक्षण किया है। 

किसी ग्रह पर अंतरिक्ष यान की लैंडिंग क्यों होती है जटिल

किसी भी ग्रह पर अंतरिक्ष यान की लैंडिंग बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया होती है। अंतरिक्ष यान की लैंडिंग के वक्त उस ग्रह के वातावरण समेत अन्य परिस्थितियों के मद्देनजर यान की गति और ऊंचाई को नियंत्रित करना होता है। इसके बाद ही सुरक्षित लैंडिंग संभव हो पाती है। यह बेहद जटिल प्रक्रिया है। वर्ष 2019 में वैज्ञानिकों के अथक प्रयास के बावजूद चंद्रयान-2 का लैंडर क्रैश हो गया था। इससे पूरे वैज्ञानिक खेमे में निराशा छा गई थी। लेकिन वैज्ञानिकों ने इससे सबक लेते हुए यह तकनीकि विकसित करके अपनी उस गलती को दोहराने का मौका अब नहीं देने का तरीका खोज लिया है। 

यान अपने आप ग्रह की परिस्थिति के अनुसार गति पर कर सकेगा नियंत्रण
इसरो के वैज्ञानिकों ने जिस नई तकनीकि का ईजाद किया है, उसके अनुसार अब कोई भी अंतरिक्ष यान जिस ग्रह पर भेजा जाएगा, वहां लैंडिंग करने से पहले वह अपनी गति को संबंधित ग्रह के वातावरण और परिस्थितियों के अनुरूप नियंत्रित कर सकेगा। इस तकनीकि में अंतरिक्ष यान पहले से तय रास्ते पर ही चलेगा, लेकिन लैंडिग के लिए भेजा गया पेलोड गति को आवश्यकतानुसार कम व ज्यादा कर सकेगा। संबंधित ग्रह की परिस्थिति और घर्षण के अनुरूप गति कम करने वाली क्षमता होने से अब अंतरिक्ष यान की सुरक्षित लैंडिंग कराने को लेकर किसी तरह की आशंका नहीं रह जाएगी। वैज्ञानिकों की यह खोज अंतरिक्ष क्षेत्र में कामयाबी का सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है। 

चांद, मंगल समेत अन्य ग्रहों पर लैंडर भेजना होगा आसान
वैज्ञानिकों की इस खोज से अब चांद ही नहीं, बल्कि मंगल समेत अन्य किसी भी ग्रह पर लैंडर भेजना काफी आसान हो जाएगा। अंतरिक्ष यान की लैंडिंग पहले से सुरक्षित हो जाने से वैज्ञानिकों का आत्मविश्वास अपने प्रोजेक्ट को लेकर पहले से कई गुना अधिक मजबूत रहेगा। इससे वह अपना बेहतर परफॉरमेंस दे पाएंगे। ऐसे में अब चांद, मंगल समेत किसी भी दूसरे ग्रह पर अंतरिक्ष यान की लैंडिंग आसान हो जाएगी। वर्ष 2019 में चंद्रयान टू का लैंडर अपने आखिरी वक्त में भटक गया था। इससे वैज्ञानिकों की सारी मेहनत पर पानी फिर गया था। तभी से वैज्ञानिक सुरक्षित लैंडिंग की राह खोजने में जुटे थे।

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