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अब देश के खिलाफ टिप्पणी करने से भी हो सकती है उम्रकैद, मोदी सरकार ने पेश किया देशद्रोह का ये नया कानून

भारत सरकार ने राजद्रोह कानून को खत्म करके इसे देशद्रोह के रूप में प्रस्तुत किया है। इस कानून के आने के बाद अब देश के खिलाफ जहर उगलने वालों की खैर नहीं होगी। नए कानून के मुताबिक अब देश के खिलाफ मौखिक, सांकेतिक या लिखित टिप्पणी करना भी देशद्रोह की श्रेणी में आएगा और ऐसे व्यक्ति को उम्रकैद की सजा हो सकती है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: August 11, 2023 23:47 IST
भारतीय संसद।- India TV Hindi
Image Source : AP भारतीय संसद।

अब भारत में ही रहकर देश के खिलाफ टिप्पणी करने वालों की खैर नहीं होगी। अगर देश के खिलाफ कोई भी सांकेतिक, मौखिक या लिखित टिप्पणी किसी भी माध्यम से की तो आजीवन कारावास की सजा भुगतनी पड़ सकती है। दरअसल भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023 के नए कानून में राजद्रोह को अब नए रूप में प्रस्तावित किया गया है। इसके साथ ही मोदी सरकार ने राजद्रोह का नाम बदलकर देशद्रोह कर दिया है। यह राजद्रोह के कानून से बिलकुल भिन्न है। आइए अब आपको बताते हैं कि देशद्रोह का कानून किन परिस्थितियों में और किन पर लागू किया जा सकता है?

सरकार ने औपनिवेशिक युग के राजद्रोह कानून को खत्म करके इसे नये स्वरूप में लाने का प्रस्ताव किया है। इसके नये प्रावधानों में कहा गया है कि राष्ट्र के खिलाफ कोई भी कृत्य चाहे मौखिक या लिखित या संकेतों के माध्यम से या इलेक्ट्रॉनिक संचार द्वारा किया जाए, तो उसके लिए आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। अधिकारियों ने कहा कि ब्रिटिश काल के संदर्भ को समाप्त करते हुए राजद्रोह को एक नया शब्द ‘देशद्रोह’ दिया गया है ।

ऐसा करने पर लागू होगा देशद्रोह

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा शुक्रवार को पेश किए गए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023 के अनुसार जो कोई भी व्यक्ति जानबूझकर अपने शब्दों, संकेतों, इलेक्ट्रॉनिक संचार या वित्तीय साधनों का इस्तेमाल करके उकसाने या लोगों को उत्तेजित करने का प्रयास करता है या भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालता है; या ऐसे किसी भी कार्य में शामिल होता है या उसे करता है तो उसको न्यूनतम 7 साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

राजद्रोह कब लागू होता था

देशद्रोह में देश के खिलाफ टिप्पणी करना भी आजीवन कारावास की सजा दिला सकता है। जबकि राजद्रोह बिलकुल इससे भिन्न था और विशेष परिस्थितियों में ही लागू होता था। राजद्रोह गतिविधियों के लिए मौजूदा कानून के अनुसार, अपराध में शामिल किसी भी व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा दी जाती है। विधेयक के अनुसार, जो कोई भी व्यक्ति भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने या युद्ध छेड़ने के इरादे से व्यक्तियों को एकत्र करता है, हथियार या गोला-बारूद इकट्ठा करता है या युद्ध छेड़ने की तैयारी करता है, उसे न्यूनतम 10 वर्ष और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा होगी और उसे जुर्माना भी देना होगा। जबकि देशद्रोह में देश के खिलाफ टिप्पणी करना या अन्य किसी माध्यम से अनादर करना भी शामिल कर लिया गया है। (भाषा)

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