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वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अब चीन होगा चित्त, भारत उठाने जा रहा ये बड़ा कदम

India's Planning on LAC of Arunachal:अरुणाचल प्रदेश के तवांग और लद्दाख के गलवान घाटी के हिंसक संघर्ष से सबक लेते हुए भारत ने अब चीन को चित्त करने का प्लान तैयार लिया है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत ने चीन को कड़ा जवाब देने के लिए ईंट का जवाब पत्थर से देने जा रहा है।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: December 23, 2022 21:52 IST
सिक्किम क्षेत्र में भारतीय जवान(फाइल)- India TV Hindi
Image Source : PTI सिक्किम क्षेत्र में भारतीय जवान(फाइल)

India's Planning on LAC of Arunachal:अरुणाचल प्रदेश के तवांग और लद्दाख के गलवान घाटी के हिंसक संघर्ष से सबक लेते हुए भारत ने अब चीन को चित्त करने का प्लान तैयार लिया है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत ने चीन को कड़ा जवाब देने के लिए ईंट का जवाब पत्थर से देने जा रहा है। इसके लिए अरुणाचल प्रदेश व सिक्किम के सीमा क्षेत्रों में 130 गांवों को हाईटेक बनाने और नए गांव बसाने की प्लानिंग पर काम शुरू हो गया है। आपको बता दें कि कई सैटेलाइट तस्वीरों में चीन भी सीमा से लगे क्षेत्रों में गांव बसा रहा है।

चीन की हरकतों को देखते हुए अब भारत ने बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए अरुणाचल और सिक्किम के सीमावर्ती 130 गांवों को विकसित किए जाने की पहचान की है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट चीन द्वारा नागरिक बस्तियों के विस्तार पर बढ़ती चिंताओं की पृष्ठभूमि में सेना की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। लेफ्टिनेंट जनरल कलिता ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि एलएसी से 100 किलोमीटर के भीतर किसी भी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अनुमोदन प्रदान करने के वास्ते एक प्रकार की ‘एकल खिड़की प्रणाली’ के लिए प्रयास चल रहे हैं, क्योंकि विभिन्न नियामक मंजूरी प्राप्त करने में लगने वाले समय के कारण प्रमुख परियोजनाओं के कार्यान्वयन में देरी होती है।

एलएसी के 100 किलोमीटर के दायरे में गांव होंगे गुलजार

सेना के कमांडर ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में एलएसी के साथ लगने वाले कई क्षेत्र पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों, वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों और आरक्षित वनों के अंतर्गत आते हैं और परियोजनाओं के लिए विभिन्न स्वीकृतियां प्राप्त करना कई बार चुनौतीपूर्ण हो जाता है। उन्होंने कहा, “हम एलएसी से 100 किलोमीटर के भीतर आने वाले किसी भी बुनियादी ढांचे के लिए एकल खिड़की मंजूरी की एक पद्धति विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि इसका मकसद विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन की गति को तेज करना है।

सड़क और नेटवर्क समेत बुनियादी सुविधाओं पर फोकस
अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम सेक्टर में एलएसी की निगरानी करने वाली पूर्वी कमान के कमांडर ने कहा कि चीन की सीमा से लगे प्रमुख इलाकों में सड़क और दूरसंचार नेटवर्क विकसित करने के लिए काफी काम चल रहा है। एलएसी के साथ आदर्श गांवों के विकास पर लेफ्टिनेंट जनरल कलिता ने कहा कि योजना का उद्देश्य ‘रिवर्स माइग्रेशन’ (विपरीत पलायन) सुनिश्चित करना है और लोगों को बेहतर संभावनाओं के लिए क्षेत्रों को छोड़ने से रोकना है। कमांडर ने कहा कि सेना द्वारा पहचाने गए 130 गांवों में से 28 सिक्किम में हैं, बाकी अरुणाचल प्रदेश में हैं। गांवों का विकास होने से सीमा पर पलायन रुकेगा। इससे चीन पर नजर रखना और अधिक आसान हो जाएगा। भारतीय सैनिक ग्रामीणों की रक्षा के बहाने दूर-दराज क्षेत्रों में भी गश्त कर सकेंगे। 

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