ऑरोरा, जिसे उत्तरी गोलार्ध में नॉर्दर्न लाइट्स यानी उत्तरी रोशनी के रूप में भी जाना जाता है, ये सिर्फ उत्तरी या दक्षिणी ध्रुव के पास होता है, जिसे भारत में नहीं देखा जाता है। हालांकि, अप्रैल 2023 में पहली बार भारत में ऑरोरा देखा गया। भारत के लद्दाख के हानले में सरस्वती पर्वत पर स्थित भारतीय खगोलीय वेधशाला ने 22 और 23 अप्रैल की रात को अपने कैमरे में ऑरोरा रोशनी को कैद किया।
अलास्का, नॉर्वे और अन्य देशों के कुछ हिस्सों में ऑरोरा आमतौर पर अधिक ऊंचाई पर देखे जाते हैं। भारतीय खगोलीय वेधशाला ने भारत में पहली बार ऑरोरा की तस्वीर लेने में कामयाबी हासिल की है। 21 अप्रैल को पृथ्वी से टकराने वाले एक तीव्र भू-चुंबकीय तूफान के परिणामस्वरूप लद्दाख सहित पृथ्वी के कई क्षेत्रों में मंत्रमुग्ध कर देने वाले ऑरोरा दिखाई दिए।
बेंग्लुरू स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA), जो भारतीय खगोलीय वेधशाला का संचालन करता है, ने ट्विटर पर बताया कि लद्दाख की तरह कम अक्षांशों पर ऑरोरा को देखना "बेहद दुर्लभ" है। ऑरोरा केवल उच्च-अक्षांश क्षेत्रों में आर्कटिक और अंटार्कटिक सर्कल के पास देखा जाता है, जो भूमध्य रेखा के लगभग 66.5 डिग्री उत्तर और दक्षिण में स्थित हैं। भारतीय खगोलीय वेधशाला (ndian Astronomical Observatory) के एक 360 डिग्री कैमरे ने 22 और 23 अप्रैल की रात को ऑरोरा को कैप्चर किया।
ऑरोरा क्या है?
ऑरोरा एक प्राकृतिक घटना है, जो आकाश में प्राकृतिक रंग- हरा, लाल, पीला या सफेद प्रकाश के प्रदर्शन की खासियत है। यह एक प्रकाश शो है, जो तब होता है, जब सूर्य से विद्युत-आवेशित कण पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन और नाइट्रोजन जैसी गैसों के कणों से टकराते हैं।