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Noida Twin Towers: नोएडा के ट्विन टावर को गिराने में लगे 20 करोड़, जानिए इनके बनने से लेकर गिरने तक कंपनी को कुल कितने रुपये का नुकसान हुआ

Noida Supertech Twin Towers Demolition Cost: दोनों टावर कुतुब मीनार से भी ऊंचे हैं और इन्हें 15 सेकंड से भी कम समय में ‘वाटरफॉल इम्प्लोजन’ तकनीक से ढहा दिया गया है। अधिकारियों ने कहा कि ये भारत में अब तक की सबसे ऊंची संरचनाएं होंगी जिन्हें ध्वस्त किया गया है।

Written By: Shilpa
Published : Aug 28, 2022 11:35 IST, Updated : Aug 28, 2022 15:22 IST
Noida Supertech Twin Towers Demolition
Image Source : INDIA TV Noida Supertech Twin Towers Demolition

Highlights

  • कुतुब मीनार से भी लंबी थी दोनों इमारतें
  • अवैध निर्माण के कारण ढहाई गई हैं
  • नोएडा के ट्विन टावर ढहा दिए गए हैं

Noida Supertech Twin Towers Demolition: नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावर रविवार यानी आज दोपहर सुरक्षित तरीके से ढहा दिए गए हैं। इसके लिए बीते कई दिनों से तैयारियां चल रही थीं। न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया की निगाहें इन इमारतों पर टिकी रहीं। एक्सप्लोजन जोन में 560 पुलिसकर्मी, रिजर्व फोर्स के 100 लोग और 4 क्विक रिस्पांस टीम समेत एनडीआरएफ टीम तैनात हैं। सेक्टर 93A नोएडा पर ट्विन टावर गिराए जाने को लेकर कुछ क्षेत्रों मे बिजली बाधित रही है। ट्विन टावर में ब्लास्ट के दौरान या बाद की आपात स्थिति से निपटने के जेपी अस्पताल में 8 आपातकालीन विभाग बेड और 12 ICU बेड रिजर्व किए गए हैं, साथ ही सभी आवश्यक दवाओं और उपकरणों से लैस एक ACLS एम्बुलेंस को किसी भी दुर्घटना के लिए स्टैंडबाय पर रखा गया है। 

इससे पहले ट्विन टावर के पास स्थित दो सोसाइटी में रह रहे कम से कम 5,000 लोगों को निकालने का काम पूरा कर लिया गया था। अधिकारियों ने बताया था कि एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसाइटी से निवासियों को निकालने का काम सुबह सात बजे तक पूरा किया जाना था, लेकिन इसमें थोड़ा वक्त लगा। निकासी कार्य पर नजर रख रहे एक अधिकारी ने बताया था कि ध्वस्तीकरण दोपहर ढाई बजे होना है, जिसे देखते हुए सेक्टर 93ए की दो सोसाइटी में रसोई गैस और बिजली की आपूर्ति बंद कर दी गई। अधिकारी के मुताबिक, निवासियों के अलावा उनके वाहनों और पालतू जानवरों को भी हटा दिया गया है। उन्होंने बताया कि निजी सुरक्षाकर्मी और रेजिडेंट ग्रुप के कुछ प्रतिनिधि दोपहर करीब एक बजे तक सोसाइटी में रहे और इसके बाद दोनों सोसाइटी पूरी तरह से खाली हो गईं। 

Noida Supertech Twin Towers Demolition

Image Source : INDIA TV
Noida Supertech Twin Towers Demolition

वाटरफॉल इम्प्लोजन तकनीक का हुआ इस्तेमाल

दोनों टावर कुतुब मीनार से भी ऊंचे हैं और इन्हें 15 सेकंड से भी कम समय में ‘वाटरफॉल इम्प्लोजन’ तकनीक से ढहाया गया है। अधिकारियों ने कहा कि ये भारत में अब तक की सबसे ऊंची संरचनाएं हैं, जिन्हें ध्वस्त किया गया है।  इनमें से एक इमारत 103 मीटर की है, जबकि दूसरी इमारत की लंबाई 97 मीटर है। अब बात करते हैं, इसपर आने वाले कुल खर्च और कंपनी को होने वाले नुकसान की। इनकी निर्माण लागत प्रति वर्ग फुट (वर्ग फुट)  933 रुपये थी। कुल निर्मित क्षेत्र 7.5 लाख वर्ग फुट है, यानी लागत कुल मिलाकर 70 करोड़ रुपये रही। 

हालांकि, इन्हें गिराए जाने में भी अच्छा खासा खर्च आया है। इसमें विस्फोटक, उपकरण के साथ ही अच्छा खासा मैन पावर भी लग रहा है। उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपालन में इन टावर को गिरा गया है, जिसके लिए 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटकों का उपयोग किया गया। अदालत ने एमराल्ड कोर्ट सोसायटी परिसर के भीतर इन टावर के निर्माण में मानदंडों का उल्लंघन पाया था। ट्विन टावर से एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी की एस्टर 2 और एस्टर 3 इमारत सिर्फ नौ मीटर दूर थे। अधिकारियों ने कहा कि विध्वंस इस तरह से किया जाएगा ताकि अन्य इमारतों को कोई संरचनात्मक नुकसान न हो। 

नोएडा के सेक्टर 93-ए में स्थित ट्विन टावरों को ढहाए जाने की लागत अनुमान के मुताबिक, लगभग 267 रुपये प्रति वर्ग फुट है। लगभग 7.5 लाख वर्ग फुट के कुल निर्मित क्षेत्र को देखते हुए, विस्फोटकों सहित कुल विध्वंस लागत करीब 20 करोड़ रुपये रही। कुल लागत में से, सुपरटेक लगभग 5 करोड़ रुपये का भुगतान कर रही है और बाकी के 15 करोड़ रुपये की राशि मलबे को बेचकर एकत्रित होगी, जो लगभग 55,000 टन है, इसमें 4,000 टन स्टील शामिल है। इसके अलावा, इमारतों को गिराने का काम कर रही कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग ने आसपास के क्षेत्र में किसी भी क्षति के लिए 100 करोड़ रुपये का बीमा कवर सुरक्षित रखा है। 

Noida Supertech Twin Towers Demolition

Image Source : INDIA TV
Noida Supertech Twin Towers Demolition

कहां से लाया गया है इतना विस्फोटक?

इमारतों को गिराने के लिए हरियाणा के पलवल से लाए गए करीब 3700 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ। यह डायनामाइट, इमल्शन और प्लास्टिक विस्फोटक का मिश्रण था। टावरों को नीचे लाने के लिए वाटरफॉल इम्प्लोजन मेथड का उपयोग किया गया और इमारतें अंदर की ओर गिरीं। जिसमें 55,000 टन मलबा निकलने की संभावना है, जो 3,000 ट्रकों में भरा जाएगा। मलबे को पूरी तरह साफ करने में तीन महीने का वक्त लग जाएगा। इमारतें गिराने वाली टीम में 100 के करीब कर्मी लगाए गए हैं। टावर के विध्वंस में शामिल कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग के प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता ने शनिवार को कहा कि तीन विदेशी विशेषज्ञों, भारतीय विध्वंसक चेतन दत्ता, एक पुलिस अधिकारी और खुद मेहता सहित केवल छह लोग विस्फोट के लिए बटन दबाने के लिए निषिद्ध क्षेत्र में रहे। इन्हें गिराने में 9 सेकंड का वक्त लगा।

सुपरटेक को कुल कितना नुकसान हुआ है?

सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में एक 3बीएचके अपार्टमेंट की लागत लगभग 1.13 करोड़ रुपये बताई गई थी। दोनों इमारतों में करीब 915 फ्लैट थे, जिससे कंपनी को करीब 1,200 करोड़ रुपये की कमाई होती। कुल 915 फ्लैटों में से लगभग 633 बुक किए गए थे और कंपनी ने होमबॉयर्स (जो लोग इन्हें खरीद रहे थे) से लगभग 180 करोड़ रुपये एकत्र किए। अब कंपनी को इन लोगों के पैसे 12 फीसदी ब्याज के साथ लौटाने को कहा गया है। 

नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे दोपहर सवा दो बजे से दोपहर पौने तीन बजे तक बंद रहेगा। नोएडा में ड्रोन उड़ाना प्रतिबंधित रहेगा। नोएडा प्राधिकरण के अनुसार, विस्फोट के वक्त घटनास्थल के ऊपर एक समुद्री मील के दायरे में हवाई क्षेत्र भी कुछ समय के लिए उड़ानों के लिए बंद रहेगा। प्राधिकरण ने विशेष रूप से सेक्टर 93, 93ए, 93बी, 92 में पास की सोसाइटी पार्श्वनाथ प्रेस्टीज, पार्श्वनाथ सृष्टि, गेझा गांव के और अन्य निवासियों को दोपहर ढाई बजे के बाद मास्क पहनने के लिए कहा है। 

Noida Supertech Twin Towers Demolition

Image Source : INDIA TV
Noida Supertech Twin Towers Demolition

रविवार को ही क्यों गिराई जा रहीं इमारतें?

सुप्रीम कोर्ट ने ट्विन टावर्स को 31 अगस्त 2021 को अवैध घोषित कर दिया था। टावर्स को गिराने के लिए कई तारीख तय की गईं लेकिन किसी न किसी कारण से तारीख को टाल दिया जाता था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम फैसला लिया और आदेश दिया कि इसे 28 अगस्त 2022 को गिराया जाएगा। अब आपके मन में सवाल आया होगा कि रविवार के दिन ही क्यों? आपको बता दें कि रविवार के दिन सभी प्राईवेट और सरकारी संस्थान बंद रहते हैं। ट्रैफिक का दवाब कम होता है। ऐसे में भीड़ भाड़ होने का चांस नहीं रहता। इन टावर्स के अगल-बगल रहने वाले लोगों को आसानी से मैनेज किया जा सकता है। इस दिन सभी अपने घरों पर मौजूद रहेंगे। इन्हीं कारण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला लिया था।

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