बीते एक दशक यानी 10 सालों में दुनिया में भारतीय व्यंजन का नाम रोशन हुआ है। कहीं भी किसी भी देश ने इंडियन फूड को अपने देश के अंदर बैन नहीं किया है। संसद में मोदी सरकार ने यह जानकारी दी है। राज्यसभा में मोदी सरकार के मंत्री ने बताया कि पिछले दस सालों के दौरान किसी भी देश ने कैंसर पैदा करने वाले केमिकल कार्सिनोजेन्स की उपस्थिति के कारण इंडियन फूड प्रोडक्ट्स के एक्सपोर्ट पर बैन नहीं लगाया है।
'नहीं लगा फूड प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट पर बैन'
मोदी 3.0 सरकार में कॉमर्स एवं इंडस्ट्री राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि फूड प्रोडक्ट के इंपोर्ट कंसाइमेंट के टेस्ट, इंपोर्ट हो रहे देशों की स्पेशिफिकेशन के मुताबिक और मंत्रालय के अधीन कार्यरत सक्षम प्राधिकारियों द्वारा निर्धारित क्राइटेरिया के अनुसार किया जाता है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) नियमित रूप से फूड प्रोडक्ट पर निगरानी, मॉनीटिरिंग, इंस्पेक्शन और रैंडम सैंपलिंग करती रहती है, ताकि उसकी क्वालिटी व सेफ्टी से कोई समझौता न हो। इसी दौरान जितिन प्रसाद ने कहा, "पिछले 10 सालों के दौरान किसी भी देश ने ग्रुप 1 कैंसरकारी तत्वों की उपस्थिति के कारण फूड प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट पर बैन नहीं लगाया है।"
दोषियों पर होती है कठोर कार्रवाई
हाल ही में भारतीय ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट के कुछ मसालों पर एथिलीन ऑक्साइड की उपस्थिति के कारण क्वालिटी संबंधी चिंताओं के कारण सिंगापुर और हांगकांग में बैन लगा दिया गया था। जिस पर उन्होंने कहा, "ऐसे मामलों में जहां फूड प्रोडक्ट के नमूने मानकों के अनुरूप नहीं पाए जाते हैं, जैसे घटिया, गलत ब्रांड वाले, भ्रामक और अनसेफ, जिनमें कैंसरकारी तत्व/मिलावट शामिल हैं, तो प्रावधानों के मुताबिक दोषी खाद्य बिजनेस संचालकों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाती है।"
(इनपुट- पीटीआई)
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