मोदी सरकार के खिलाफ आज संसद में कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी कर रहा है। हालांकि अविश्वास प्रस्ताव में क्या होने वाला है, ये पहले से तय है क्योंकि संख्याबल साफ तौर पर मोदी सरकार के पक्ष में है और विपक्षी खेमे के लोकसभा में 150 से कम सदस्य हैं। ऐसे में यहां सवाल ये बनता है कि विपक्षी दल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाते हैं। अविश्वास प्रस्ताव से कैसे सरकारें गिर जाती हैं और इसको लेकर जब संविधान में कोई प्राविधान नहीं है तो फिर नियम क्या है? अविश्वास प्रस्ताव से अब तक इतिहास में कितनी सरकारें गिरी हैं और आज के संभावित अविश्वास प्रस्ताव में मोदी सरकार के लिए कितना खतरा है? ये सारी बातें हम आपको समझाएंगे।
संविधान में नहीं है अविश्वास प्रस्ताव
दरअसल संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र नहीं हैं। भारत के संविधान में संसदीय प्रक्रिया के रूप में अविश्वास प्रस्ताव का स्पष्ट उल्लेख नहीं है। हालांकि, यह संसदीय लोकतंत्र के वेस्टमिंस्टर मॉडल की संसदीय प्रणालियों से लिया गया है। अविश्वास प्रस्ताव केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है, जो भारतीय संसद का निचला सदन है। राज्यसभा, यानि कि उच्च सदन के पास अविश्वास प्रस्ताव लाने की शक्ति नहीं है। अविश्वास प्रस्ताव पर स्पीकर वोटिंग के बजाय कोई और फैसला भी ले सकते हैं।
अविश्वास प्रस्ताव का नियम क्या है?
- संसदीय प्रणाली के नियम-198 के तहत व्यवस्था
- हर सांसद को है अधिकार
- पहले लोकसभा स्पीकर को नोटिस
- स्पीकर देते हैं प्रस्ताव के लिए मौका
- 50 सदस्यों का समर्थन होना जरूरी
- स्पीकर की मंजूरी के बाद फैसला
- 10 दिनों के अंदर होती है चर्चा
- चर्चा के बाद वोटिंग होती है
- प्रस्ताव पारित हुआ तो मौजूदा सरकार का जाना तय
सबसे पहले अविश्वास प्रस्ताव की कहानी-
- पहला प्रस्ताव साल 1963 में आया
- नेहरू सरकार के खिलाफ पहला प्रस्ताव
- जेबी कृपलानी ये प्रस्ताव लाए
- पक्ष में वोट- 62
- विरोध में वोट- 347
अविश्वास प्रस्ताव से कितनी सरकारें गईं-
- 75 साल में 27 बार आया अविश्वास प्रस्ताव
- साल 1978 में पहली बार इससे सरकार गिरी
- 1978 में मोरारजी देसाई की गई थी कुर्सी
विश्वास प्रस्ताव हारने वाले प्रधानमंत्री-
- विश्वनाथ प्रताप सिंह
- एचडी देवेगौड़ा
- इंद्रकुमार गुजराल
- अटल बिहारी बाजपेयी
- चौधरी चरण सिंह
लोकसभा में NDA की ताकत-
लोकसभा में एनडीए के पास कुल 333+ सांसद हैं।
BJP | SS(शिंदे) | LJP | अपना दल | अन्य सहयोगी |
301 | 12 | 6 | 2 | 10 |
लोकसभा में विपक्ष की ताकत-
निचले सदन में विपक्षी दलों के कुल 142+ सांसद हैं।
कांग्रेस | DMK | TMC | NCP | JDU | UTB |
50 | 24 | 23 | 5 | 16 | 6 |
SP | SP | CPI (M) | JMM | NC | AAP |
3 | 2 | 3 | 1 | 3 | 1 |
मोदी सरकार के लिए कितना खतरा?
इस वक्त लोकसभा में NDA के पास 333 सांसद हैं, जिनमें बीजेपी के पास ही अकेले 301 सांसद है। इसके अलावा दूसरे 12 दलों के 32 सांसद सरकार के साथ हैं। वहीं विपक्षी दलों के पास 142 सांसद हैं, जिनमें कांग्रेस के पास 50 तो टीएमसी के पास 23 सांसद हैं। इसके अलावा डीएमके के पास 24 और जेडीयू के पास 16 सासंद हैं। इस तरह से 12 पार्टियों के कुल 142 सांसद हैं जो NDA से नंबर गेम में बहुत पीछे हैं।
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