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नहीं मिली 'मोलनुपिराविर' दवा को Covid-19 के इलाज में शामिल करने की मंजूरी, ICMR ने चौथी बार नकारा

डॉक्टरों द्वारा परामर्श में मोलनुपिराविर दिये जाने के बीच उपचार में मोलनुपिराविर को शामिल किये जाने के सवाल पर आईसीएमआर महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने कहा कि विशेषज्ञों ने गहन विचार-विमर्श किया है और दवा पर हुए तीन परीक्षणों के आंकड़ों की सोमवार को समीक्षा की।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 13, 2022 7:36 IST
ICMR Chief Dr Balram Bhargav- India TV Hindi
Image Source : PTI ICMR Chief Dr Balram Bhargav

Highlights

  • ICMR ने कहा, फायदे से ज्यादा इसके घातक नुकसान
  • पहले के तीन परीक्षणों के आंकड़ों की समीक्षा की
  • इसकी प्रासंगिकता केवल बुजुर्गों, टीका नहीं लगवाने वालों और अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए- ICMR

नई दिल्ली: कोविड-19 पर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के कार्यबल के विशेषज्ञों ने विषाणु रोधी दवा मोलनुपिराविर को कोरोनावायरस के उपचार में शामिल करने से चौथी बार आम-सहमति से इनकार कर दिया और कहा कि इसके जिन लाभ का दावा किया जा रहा है, उनसे ज्यादा इसके ज्ञात और अज्ञात नुकसान हैं।

डॉक्टरों द्वारा परामर्श में मोलनुपिराविर दिये जाने के बीच उपचार में मोलनुपिराविर को शामिल किये जाने के सवाल पर आईसीएमआर महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने कहा कि विशेषज्ञों ने गहन विचार-विमर्श किया है और दवा पर हुए तीन परीक्षणों के आंकड़ों की सोमवार को समीक्षा की। उन्होंने बुधवार को कहा, ‘हमने गहन विचार-विमर्श किया और अंतिम निष्कर्ष यह निकला कि मोलनुपिराविर के कुछ जोखिम हैं जिससे इसके उपयोग को लेकर सावधानी की जरूरत है। बैठक में मौजूद विशेषज्ञों ने कहा कि मोलनुपिराविर का अंधाधुंध और अतर्कसंगत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके उपयोग को रोकने के लिए प्रयास किये जाने चाहिए क्योंकि इसके जिन लाभ का दावा किया जा रहा है, उनसे अधिक इसके ज्ञात और अज्ञात नुकसान हैं।’

भार्गव ने कहा, ‘मौजूदा उपलब्ध और संकलित साक्ष्यों की समीक्षा की गयी और सदस्यों ने आम-सहमति से माना कि कोविड-19 के लिए उपचार के राष्ट्रीय दिशानिर्देशों में मोलनुपिराविर को शामिल करना उचित नहीं है।’ उन्होंने कहा कि सामने आ रहे साक्ष्यों की सतत समीक्षा की जाएगी।

भार्गव ने कहा कि इस बात को भी रेखांकित किया गया था कि मोलनुपिराविर के लिए इस्तेमाल का मौजूदा दायरा अत्यंत कम था और इसकी प्रासंगिकता केवल बुजुर्गों, टीका नहीं लगवाने वालों और अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए है। उन्होंने कहा, "मधुमेह रोगियों को, पहले संक्रमित हो चुके लोगों या टीका लगवा चुके लोगों को लाभ का कोई प्रमाण नहीं है।"

इनपुट- भाषा

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