Highlights
- 45% शिक्षकों के पास केवल इंटरमीडिएट तक योग्यता है
- 11वीं और 12वीं में 52 लाख छात्रों के लिए केवल 30000 शिक्षक हैं
- बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बी.टेक(इलेक्ट्रिकल) की पढ़ाई की
Bihar Politics: बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है। अब फिर से राज्य में महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है। जेडीयू और बीजेपी की गठबधंन टुटने के बाद नीतीश कुमार फिर से आरजेडी का दामन थामने जा रहे हैं। इसके बाद नीतीश कुमार 8वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। वही तेजस्वी यादव दूसरी बार डिप्टी सीएम का पद संभालने जा रहे हैं। इन सबके बीच बिहार की जनता को क्या मिला, क्या बिहार में कुछ बदलाव हुआ, क्या शिक्षा रैंकिंग में फिसड्डी होने वाली बिहार की स्थिति सही हुई। आज कई सवाल है जो पूछना जायज है। खासतौर पर आज हम बात करेंगे कि नीतीश कुमार इतने पढ़े लिखे हैं तो उनकी बिहार की जानता क्यों नहीं पढ़ लिख पा रही हैं।
नीतीश कुमार की पढ़ाकू और भोली भाली जनता का हाल क्या?
नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को पटना से 35 किलोमीटर दूर बख्तियारपूर में हुआ था। उन्होंने बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बी.टेक(इलेक्ट्रिकल) की पढ़ाई की। यानी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पढ़े लिख है लेकिन बिहार के लोग कितने पढ़े लिखे हैं। बिहार में शिक्षा दर की बात करें तो बाकी राज्यों के तुलना में काफी कम है। इतने सालों से सरकार में रहे नीतीश कुमार ने आखिर शिक्षा के लिए क्या किया ये बड़ा सवाल है। क्या आपको लगता है कि साइकिल बाटंने या मिड डे मील से शिक्षा दर बढ जाएगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार की शिक्षा दर केवल 63.82 प्रतिशत रही।
173 छात्रों पर 1 शिक्षक
बिहार के लिए कई जटिल समस्या बनी हुई है और इस समस्या का हल अबतक नीतीश कुमार हल नहीं निकाल पाए। बिहार में शिक्षकों की भारी कमी है, छात्रों और शिक्षकों की अनुपात की बात करें तो एक बड़ी खाई है। 11वीं और 12वीं में 52 लाख छात्रों के लिए केवल 30000 शिक्षक हैं, इसका मतलब है कि अगर 173 छात्रों पर 1 शिक्षक है यानी आप सोच सकते हैं कि ये आकड़े बिहार की शिक्षा को कितना गर्त में ले जाने के लिए जिम्मेवार है। वही बात करें तो शिक्षा के लिए निर्धारित राजस्व की अपर्याप्त राशि, शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण केंद्रों की कमी, अनुचित बुनियादी सुविधाओं की सुविधा, विशेष रूप से महिला शिक्षकों के लिए स्वच्छ शौचालय की सुविधा नहीं होना, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बनाए रखने में सरकार की अनदेखी, शिक्षकों की समस्याओं की जांच में सरकार की लापरवाही शामिल है। ये सभी समस्याएं एक बड़ी समस्या बन जाती हैं। इस समस्याओं के कारण बिहार में शिक्षा निचले स्तर पर चली गई है।
हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुए
सोशल मीडिया के जमाने में कब क्या वायरल हो जाए किसी को पता नहीं है। हाल के महीनों में कई ऐसे सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुए जिनमें साफ तौर पर देखा जा सकता था कि कैसे बिहार के शिक्षा की हालात बद से बत्तर हो गए हैं। वीडियों में देखा गया कि शिक्षकों को बेसिक जानकारी नहीं है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 45% शिक्षकों के पास केवल इंटरमीडिएट तक योग्यता है जबकि 32% स्नातक हैं।