Highlights
- आजाद और निष्पक्ष न्यायपालिका लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता: गडकरी
- गडकरी ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में देश में कई प्रशासनिक सुधार किए गए हैं
- गडकरी ने कहा कि न्यायपालिका को किसी के प्रभाव में नहीं होना चाहिए
Nitin Gadkari: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को कहा कि एक मुक्त एवं निष्पक्ष लोकतंत्र के लिए आजाद और निष्पक्ष न्यायिक प्रणाली सबसे बड़ी आवश्यकता है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री गडकरी ने नागपुर में महाराष्ट्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के एक सुविधा खंड के उद्घाटन के मौके पर यह टिप्पणी की। उन्होंने लोकतंत्र के चार स्तंभों-विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया की तारीफ की। उन्होंने कहा, ‘‘एक स्वतंत्र, तटस्थ और निष्पक्ष न्यायिक प्रणाली एक मुक्त एवं निष्पक्ष लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता है।’’ उन्होंने समय को सबसे बड़ी पूंजी बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में कई प्रशासनिक सुधार किए गए हैं।
"निर्णय जो भी हो, फैसले करने का अधिकार न्यायपालिका का है"
गडकरी ने कहा, ‘‘कैबिनेट बैठक के दौरान जब न्यायाधिकरणों और अन्य चीजों पर चर्चा होती है।उसमें मैं अक्सर कानून मंत्री और प्रधानमंत्री से कहता हूं कि निर्णय जो भी हो, फैसले करने का अधिकार न्यायपालिका का है। यह किसी के प्रभाव में नहीं होना चाहिए।’’ उन्होंने विकास कार्यों के लिए समयसीमा का पालन और देरी की वजहों को दूर करने की भी वकालत की, जिससे देश के हजारों करोड़ रुपये की बचत हो सके। उच्चतम न्यायालय के दो न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण गवई और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा तथा महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे।
हालही में CJI रमण ने न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने की जोरदार वकालत करने की बात कही थी
CJI रमण ने कहा था , ‘‘बुनियादी ढांचे की गैर-मौजूदगी और बढ़ते कार्यभार के अनुरूप न्यायाधीशों की पर्याप्त संख्या न होने से समस्या तीव्र होती जा रही है। यही कारण है कि मैं भारत में न्यायिक बुनियादी ढांचे को बदलने और उन्नत करने के साथ-साथ न्यायिक रिक्तियों को भरने और न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने की जोरदार वकालत कर रहा हूं।” CJI ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश का पद संभालने के बाद, शीर्ष अदालत में 11 रिक्त पदों को भरने के अलावा, कॉलेजियम विभिन्न उच्च न्यायालयों में 163 न्यायाधीशों की नियुक्ति सुनिश्चित कर सका है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि लंबित मामलों के बोझ को कम करने का एक दूसरा तरीका विवाद समाधान के दूसरे साधनों, जैसे मध्यस्थता या सुलह को, बढ़ावा देना और लोकप्रिय बनाना है ।