Aap Ki Adalat : देश चर्चित और लोकप्रिय शो आप की अदालत में रजत शर्मा के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कांग्रेस को याद दिलाया कि डॉ. मनमोहन सिंह के शासन के दौरान अमित शाह पर जांचकर्ताओं ने नरेंद्र मोदी को फंसाने का दबाव डाला था। नितिन गडकरी ने कहा-'मैं आपसे एक बात पूछता हूं। जब कांग्रेस की सरकार थी, जब UPI की सरकार थी तब अमित शाह के साथ क्या किया ? जब इनकी सरकार थी तब झूठे इल्ज़ाम मोदी जी पर क्यों लगाए गए? अमित शाह जी से यह क्यों पूछा गया आप बताओ, माफ़ी का साक्षीदार बनो, मोदी जी का नाम बताओ हम आपको छोड़ देंगे। ये कौन सी राजनीति है?
गडकरी ने आगे कहा- 'इसलिए मुझे लगता है कि हम लोग सब लोग मिलकर विचारों के आधार पर राजनीति करें , राजनीति में और लोकतंत्र में गुणात्मक बदलाव करें। मतभेद हो सकते हैं। भिन्नता हो सकती हैं। पार्टियां अलग हो सकती हैं। एजेंडे अलग हो सकते हैं। नेता अलग हो सकते हैं, लेकिन इस देश का विकास, गरीब आदमी का उत्थान और संसदीय लोकतंत्र हमारा उद्देश्य होना चाहिए। लोकतंत्र हमारी आस्था है। संसद हमारा मंदिर है और उसकी गरिमा को कायम रखना हम सब का काम है।'
राहुल गांधी से जुड़े सवालों का जवाब देते हुए नितिन गडकरी ने राहुल गांधी को अपनी दादी इंदिरा गांधी के नक्शेकदम पर चलने की सलाह दी, जो विदेशी जमीन पर अपने घरेलू प्रतिद्वंद्वियों की आलोचना करने से बचती थीं। गडकरी ने कहा, 'मैं आपको बता दूं। इंदिरा जी का उद्धरण है कि उनपर विशेष रूप से शाह कमिशन लगा था। इमरजेंसी के बाद जनता पार्टी की सरकार आयी थी तब इंदिरा जी लंदन गयी थीं। जब वहां के पत्रकारों ने उनके साथ जो हो रहा था उसके बारे में बातें की ,तो उन्होंने कहा। .. जो जो मेरे प्रश्न हैं, देश में जो कुछ मेरे साथ हो रहा है, उसकी चर्चा मैं देश के बाहर नहीं करूंगी। इसकी चर्चा मैं देश में करूंगी। मुझे लगता है राहुल जी को इंदिरा जी से ये बात ज़रूर सीखनी चाहिए। सरकार के साथ उनका जो भी मतभेद है, जो भी गुस्सा है, उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार है। उन्हें भारत के अंदर बोलना चाहिए। बाहर जाकर अपने देश को बदनाम या देश का अपमान नहीं करना चाहिए।
राहुल गांधी की संसद की सदस्यता से अयोग्य करार दिए जाने के मसले पर नितिन गडकरी ने कहा, 'बीजेपी या मोदी जी ने उनकी सदस्यता समाप्त नहीं की। यह फैसला अदालत का था। हमें दोष देना उचित नहीं होगा। बाकी राजनीति है। जब मैं पार्टी अध्यक्ष था, तब हम विपक्ष में थे। हमने दो-तीन महीने सदन नहीं चलने दिया। सदस्य जैसा व्यवहार अभी कर रहे हैं वैसा ही करते थे। अटल जी (वाजपेयी) ने कहा था, पार्टियां आएंगी और जाएंगी, नेता आएंगे और जाएंगे प्रधानमंत्री बदलेंगे, इस देश की जनता संप्रभु है, लोकतंत्र सर्वोपरि है, देश को आगे बढ़ना चाहिए।'