Highlights
- एक लाख, दो लाख रुपये का निवेश आठ प्रतिशत रिटर्न की गारंटी देकर लूंगा: गडकरी
- 'डीजल की ऊंची कीमतें होने से हमें आर्थिक व्यवहार्यता की समस्या का सामना करना पड़ रहा है'
- गडकरी ने कहा जितना जल्दी हो, डीजल से छुटकारा पा लीजिए
Nintin Gadkari: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि सरकार सड़क निर्माण प्रोजेक्ट्स के लिए फंड का इंतजाम कैपिटल मार्केट से करेगी। गडकरी ने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि दुनियाभर में मंदी की आशंकाओं के बावजूद ढांचागत प्रोजेक्ट्स के लिए फंड जुटाने में कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा, "अब मैं पूंजी बाजार का रुख करने जा रहा हूं। मुझे वित्तीय संसाधन जुटाने में कोई समस्या नहीं है।" गडकरी ने कहा, "मैं अमीरों के धन का इस्तेमाल नहीं करना चाहता। मैं शेयर बाजार की तरफ जा रहा हूं और वहां पर मैं लोगों से एक लाख, दो लाख रुपये का निवेश आठ प्रतिशत रिटर्न की गारंटी देकर लूंगा।" उन्होंने कहा कि इस तरह बाजार से सड़क परियोजनाओं के लिए बड़ी रकम मिल जाएगी।
वित्त मंत्रालय इस मुद्दे पर करेगा गौर
गडकरी से पूछे जाने पर कि क्या कच्चे तेल की बढ़ी हुई कीमतें NHAI के पूंजीगत व्यय कोष के लिए खतरा होंगी? इसपर गडकरी ने कहा कि वित्त मंत्रालय इस मुद्दे पर गौर करेगा। असल में तेल कीमतें बढ़ने पर उपकर में कटौती की संभावना बढ़ सकती है। NHAI के बजट आवंटन का बड़ा हिस्सा केंद्रीय सड़क एवं इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से ही आता है जो डीजल एवं पेट्रोल पर लिए जाने वाले उपकर से तैयार होता है। गडकरी ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से 50,000 करोड़ रुपये के आकार वाले कंस्ट्रशन इक्युपमेंट क्षेत्र को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, "डीजल की ऊंची कीमतें होने से हमें आर्थिक व्यवहार्यता की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।"
जितना जल्दी हो, डीजल से छुटकारा पा लीजिए: गडकरी
गडकरी ने कहा कि आर्थिक व्यवहार्यता के बगैर कोई भी प्रौद्योगिकी उपयोगी नहीं हो सकती है। उन्होंने कंस्ट्रशन इक्युपमेंट मैन्युफैक्चरर से ईंधन दक्षता बढ़ाने पर ध्यान देने को कहा। उन्होंने उपकरण विनिर्माताओं से आग्रह करते हुए कहा, "जितना जल्दी हो, डीजल से छुटकारा पा लीजिए। यह एक खतरनाक ईंधन है।" उन्होंने इलेक्ट्रिक आवागमन को भविष्य बताते हुए कहा कि वाहन बाजार में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ी है और विदेशी वाहन मैन्युफैक्चरर की हिस्सेदारी में कमी आई है। उन्होंने कहा कि कुछ भारतीय कंपनियों के इलेक्ट्रिक वाहन बनाने से हिस्सेदारी अनुपात बदला है।