जम्मू: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू कश्मीर के राजौरी में हाल ही में हुए आतंकी हमलों की जांच एनआईए को सौंप दी गई है। शाह ने जम्मू क्षेत्र के लोगों को एक नयी कार्ययोजना के साथ एक सुरक्षित माहौल का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि ग्राम रक्षा प्रहरियों को मजबूत करने का एक और दो जनवरी को धंगरी में हुए दोहरे हमलों से कोई लेना-देना नहीं है, जिसमें सात लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे क्योंकि इन स्वयंसेवकों को सशक्त बनाने का निर्णय पिछले साल अगस्त में लिया गया था। एक जनवरी को आतंकवादी गोलीबारी में पांच लोगों की मौत हो गई थी, वहीं अगले दिन आईईडी विस्फोट में दो बच्चों की मौत हो गई थी।
शाह ने यहां राजभवन में एक उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भारत सरकार ने (धनगड़ी में) दो दिनों के दौरान हुई दो घटनाओं से संबंधित मामले को एनआईए को सौंप दिया है। एनआईए और जम्मू पुलिस जम्मू क्षेत्र में इस मामले की और पिछले डेढ़ साल में हुई अन्य सभी आतंकी घटनाओं की साथ मिलकर जांच करेगी।’’ शाह का धनगड़ी गांव जाने का कार्यक्रम था, लेकिन खराब मौसम के कारण नहीं जा सके। शाह ने कहा, ‘‘मैं यहां राजौरी में हुए आतंकी हमले के पीड़ितों से मिलने और उनका दुख साझा करने आया हूं। खराब मौसम के कारण यात्रा नहीं हो सकती, लेकिन मैंने सभी सात पीड़ित परिवारों के सदस्यों से फोन पर बात की है।’’
शाह के साथ जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी थे। उन्होंने कहा, ‘‘उनका साहस देश के लिए एक उदाहरण है और उन सभी का मानना है कि यह हमारा क्षेत्र है और हम (आतंकी खतरे के चलते) इसे नहीं छोड़ेंगे। उनमें से कुछ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से आए थे और वे इतनी बड़ी घटना के बावजूद आतंकवादियों से लड़ने के लिए तैयार हैं।’’ शाह ने कहा कि वह निश्चित रूप से दोबारा आएंगे और उनसे मिलेंगे। उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया कि हमले में शामिल आतंकवादियों की पहचान करके उन्हें जल्द से जल्द अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा। सुरक्षा समीक्षा बैठक पर गृह मंत्री ने कहा कि उन्होंने विस्तृत चर्चा की जिसमें सभी सुरक्षा एजेंसियों ने हिस्सा लिया और बताया कि पुलिस, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसआईए और सेना किसी भी स्थिति से निपटने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए शत प्रतिशत तैयार हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘बैठक में जमीनी कार्यकर्ताओं, आतंकी समूहों की सहायता प्रणाली और उनके मुखबिरों के मुद्दे पर भी विस्तार से चर्चा हुई। हम कह सकते हैं कि (आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए) सुरक्षा खाका तैयार किया गया है और सभी एजेंसियों ने हमें आश्वासन दिया है। खुफिया एजेंसियों ने भी अपनी गतिविधियां बढ़ाने के लिए रणनीति बनायी है।’’ शाह ने कहा कि एक समयबद्ध कार्य योजना तैयार की गई है, जिसमें जम्मू संभाग के सभी क्षेत्रों में तीन महीने के भीतर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की परिकल्पना की गई है।
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त करने के बाद आतंकवादी गतिविधियों के बारे में एक अन्य प्रश्न के उत्तर में, उन्होंने दोहराया कि जम्मू कश्मीर में पिछले तीन वर्षों के दौरान हिंसा और मौतों की सबसे कम घटनाएं दर्ज की गईं। उन्होंने कहा, ‘‘आप एक घटना या कुछ आंकड़ों के आधार पर कुछ नहीं कह सकते। यदि आप पूरी तस्वीर चाहते हैं, तो आपको आतंकवाद के जन्म से आज तक सब कुछ ध्यान में रखना होगा। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, पिछले तीन वर्षों में घटनाओं की संख्या और मौतें सबसे कम हैं