Highlights
- महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित है दिल्ली
- अपराधों की उच्चतम दर असम में दर्ज हुई
- वास्तविक दर्ज मामलों में प्रथम स्थान पर यूपी
NCRB Report: देश में साल 2021 में 2020 के मुकाबले महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 15.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी हालिया आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 4,28,278 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि 2020 में 3,71,503 मामले दर्ज हुए थे। रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की उच्चतम दर असम (168.3 फीसदी) में दर्ज की गई है, हालांकि बीते तीन सालों में यहां मामूली गिरावट भी देखने को मिली है। एनसीआरबी की रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि प्रति एक लाख की आबादी पर महिलाओं के खिलाफ अपराध 2020 में 56.5 फीसदी से बढ़कर 2021 में 64.5 फीसदी हो गए हैं।
इनमें अधिकतर मामले (31.8 फीसदी) पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के हैं। इसके बाद 20.8 फीसदी मामले महिलाओं की गरिमा को भंग करने इरादे से उनपर हमला करने के हैं, 17.6 फीसदी उनके अपहरण के और 7.4 फीसदी बलात्कार के हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा मामले असम में सामने आए है। यानी 168.3 फीसदी। जबकि बीते तीन साल में इसमें गिरावट दिखी है। राज्य में बीते साल इस तरह के 29,000 मामले दर्ज हुए हैं। इसके अलावा मामले में टॉप पर रहने वाले राज्यों में ओडिशा, हरियाणा, तेलंगाना और राजस्थान शामिल हैं।
राजस्थान में भी असम की ही तरह मामलों में मामूली कमी देखी गई है। जबकि बाकी के तीन राज्यों ओडिशा, हरियाणा और तेलंगाना में मामले बढ़े हैं। रिपोर्ट में वास्तविक दर्ज मामलों में उत्तर प्रदेश (56,083) पहले स्थान पर है। हालांकि उसकी दर 50.5 फीसदी से कम है। राजस्थान 2021 में बलात्कार की उच्चतम दर 16.4 फीसदी रही है और यह वास्तविक दर्ज 6,337 मामलों के साथ लिस्ट में टॉप पर है। हालांकि नागालैंड बीते तीन साल से महिलाओं के खिलाफ सबसे कम अपराध वाले राज्यों में बना हुआ है। यहां 2019 में 43, 2020 में 39 और 2021 में 54 मामले दर्ज हुए हैं। यहां 2021 में भी महिलाओं के खिलाफ सबसे कम अपराध दर 5.5 फीसदी दर्ज की गई है।
महिलाओं के लिए दिल्ली सबसे असुरक्षित
एनसीआरबी की नई रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले साल हर दिन दो नाबालिग लड़कियों से बलात्कार हुआ है। आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 13,892 मामले दर्ज किए गए, जिसमें 2020 की तुलना में 40 फीसदी से अधिक की महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। साल 2020 में यह आंकड़ा 9,782 था। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले सभी 19 महानगरों की श्रेणी में कुल अपराधों का 32.20 फीसदी हैं।
दिल्ली के बाद वित्तीय राजधानी मुंबई थी, जहां ऐसे 5,543 मामले और बेंगलुरु में 3,127 मामले आए थे। मुंबई और बेंगलुरु का 19 शहरों में हुए अपराध के कुल मामलों में क्रमश: 12.76 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत का योगदान है। बीस लाख से अधिक आबादी वाले अन्य महानगरीय शहरों की तुलना में 2021 में राष्ट्रीय राजधानी में अपहरण (3948), पतियों द्वारा क्रूरता (4674) और बालिकाओं से बलात्कार (833) से संबंधित श्रेणियों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए। आंकड़ों से पता चलता है कि 2021 में दिल्ली में हर दिन औसतन दो लड़कियों से बलात्कार हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 13,982 मामले दर्ज किए गए, जबकि सभी 19 महानगरों में कुल अपराध के 43,414 मामले थे। राजधानी में 2021 में दहेज हत्या के 136 मामले दर्ज किए गए हैं, जो 19 महानगरों में होने वाली कुल मौतों का 36.26 फीसदी है। एनसीआरबी ने कहा कि बालिकाओं के मामले में 2021 में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) के तहत 1,357 मामले दर्ज किए गए। आंकड़ों के अनुसार, 2021 में बच्चियों से बलात्कार के 833 मामले दर्ज किए गए, जो महानगरों में सबसे अधिक हैं। देशभर में पिछले साल 19 महानगरों में से दिल्ली में अपहरण के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए।
दिल्ली में हत्या के कितने मामले दर्ज हुए?
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में हत्या के मामलों में मामूली कमी दर्ज की गई है। दिल्ली में 2021 में हत्या के 454 मामले जबकि 2020 में 461 और 2019 में 500 मामले आए थे। आंकड़ों के अनुसार, 2021 में राष्ट्रीय राजधानी में दर्ज किए गए हत्या के ज्यादातर मामले विभिन्न विवादों का नतीजा थे, जिनमें संपत्ति और परिवार से जुड़े विवाद शामिल हैं। हत्या के 23 मामलों में प्रेम प्रसंग के कारण खूनखराबा हुआ और 12 हत्याएं अवैध संबंधों के कारण हुई हैं।
इसके अनुसार, इनमें 87 हत्याओं के पीछे निजी दुश्मनी वजह थी, जबकि 10 हत्याएं निजी फायदे के कारण की गईं। राष्ट्रीय राजधानी में दहेज, जादू टोने, बाल/नर बलि और सांप्रदायिक, धार्मिक या जाति की वजहों से कोई हत्या नहीं हुई है। राष्ट्रीय राजधानी में 2020 में अपहरण के सबसे अधिक 5,475 मामले सामने आए थे, जबकि पिछले साल 4,011 मामले सामने आए। आंकड़ों के मुताबिक, पुलिस 5,274 अपहृत लोगों को बचा पाई, जिनमें 3,689 महिलाएं शामिल हैं। अपहृत किए गए 17 लोग मृत पाए गए, जिनमें आठ महिलाएं भी शामिल हैं।
बच्चों के खिलाफ अपराध के केस बढ़े
महिलाओं के अपहरण के मामलों में 17.6 फीसदी और बलात्कार की घटनाओं में भी 2020 के मुकाबले 7.4 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसी तरह साल 2021 में बच्चों के खिलाफ होने वाली हिंसा के 1 लाख 49 हजार 404 मामले दर्ज किए गए, जो कि 2020 के 1 लाख 28 हजार 531 मामलों के मुकाबले 16 फीसदी ज्यादा हैं । साल 2021 में प्रति लाख बच्चों की आबादी पर दर्ज अपराध का प्रतिशत 33.6 है, जो कि 2020 में 28.9 प्रतिशत था ।
आत्महत्याओं में हुआ इजाफा
अलग अलग कारणों से देश के लोगों द्वारा की जा रही आत्महत्या की घटनाएं भी 2020 के मुकाबले 2021 में 6 फीसदी से ज्यादा बढ़ी हैं, एनसीआरबी की तरफ से आज जारी की गई रिपोर्ट यही कहानी बयां कर रही है। देश में 2020 में कुल 1 लाख 53 हजार 52 लोगों ने आत्महत्या की थी, जो कि 2021 में बढ़कर 1 लाख 64 हजार 33 हो गई है, जिसे आंकड़ो में 7.2 फीसदी की बढ़ोतरी माना जाएगा। साल 2021 में जिन 1 लाख 64 हजार 33 लोगों ने आत्महत्या की है, उनमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 22,207, तमिलनाडु में 18,925, मध्यप्रदेश में 14,965, पश्चिम बंगाल में 13,500 और कर्नाटक में 13,056 आत्महत्या की घटनाएं सामने आईं हैं। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में पूरे देश के मुकाबले सबसे कम आत्महत्या की घटना दर्ज हुई हैं, यूपी में पूरे देश की तुलना में 3.6 फीसदी आत्महत्या की घटनाएं सामने आई हैं, जबकि केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली की आत्महत्या दर चौंकाने वाली है, यहां साल 2021 में 2840 लोगों ने आत्महत्या की है।
इंडिया टीवी के रिपोर्टर, विशाल सिंह ने इस रिपोर्ट का विश्लेषण कर ये अहम जानकारी दी है-
एसीआरबी के ताजा आंकड़ों ने यूपी सरकार को बड़ी राहत दी है-
- ताजा आंकड़ों में महिलाओं/बच्चों के खिलाफ अपराधों में यूपी में कमी आई है।
- 2019 में यूपी में बच्चों के खिलाफ 18943 मामले आए, जो 2021 में घटकर 16838 हो गए।
- बाल अपराधों में 11.11 फीसदी की कमी आई है।
- 2019 में यूपी में महिलाओं के खिलाफ 59853 मामले दर्ज हुए, जो 2021 में घटकर 56083 हो गए।
- 2019 की तुलना में 2021 में महिला अपराधों में 6.2 फीसदी की कमी आई है।
- साइबर क्राइम के मामले भी 2021 में घटकर 8829 हो गए हैं।
- साइबर क्राइम के मामलों में 22.6 फीसदी की कमी आई है।
- 2021 में केवल एक सांप्रदायिक हिंसा की घटना, 2019 और 2020 में एक भी नहीं हुई।
- ऐसी झारखंड में 100, बिहार में 51, राजस्थान में 22, महाराष्ट्र में 77, और हरियाणा में 40 घटनाएं हुई हैं।
- देश में 2021 में कुल 378 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं दर्ज हुई हैं।