किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के बॉर्डर पर पिछले कुछ दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। किसानों के इस आंदोलन को नक्सलियों ने समर्थन दिया है। नक्सलियों ने एक लेटर जारी करते हुए किसानों के साथ दुश्मन की तरह बर्ताव करने वाले सरकार को सबक सिखाने का आह्वान किया है। नक्सलियों के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी की ओर से जारी किए गए पत्र में कहा कि किसान समर्थन मूल्य कानून, स्वामीनाथन आयोग पर अमल, कर्ज माफी करने जैसे 13 मांगों को लेकर लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन कर रहे हैं। इन मांगों को पूर्ण करने के लिए दिल्ली की ओर कूच कर रहे किसानों को पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर रोका गया है, लेकिन सरकार कंक्रीट की दीवार खड़ी कर, पुलिस बल का उपयोग कर अन्नदाता किसानों के साथ दुश्मन की तरह बर्ताव कर रही है। आंदोलन को दबाने के लिए गोलीबारी भी की गई। साथ ही किसानों को दहशतवादी, देशद्रोही के रूप में संबोधित किया जा रहा है।
"दबाव तंत्र का उपयोग किया जा रहा है"
नक्सलियों ने कहा कि किसान आंदोलन दबाने के लिए सरकार द्वारा दबाव तंत्र का उपयोग किया जा रहा है। ऐसा ही दबाव तंत्र आदिवासी क्षेत्र में भी शुरू होने की बात नक्सली पत्रक में कही गई है। आदिवासी बहुल क्षेत्र में पांचवीं अनुसूची लागू न करते हुए उनके जल-जंगल-जमीन पर अतिक्रमण किया जा रहा है। कुछ पूंजीपतियों का 7-8 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया गया। उनके लिए नियम व कानून ताक पर रख सभी सुविधा उपलब्ध करा दी जा रही है। खनिज के लिए छत्तीसगढ़ के सहदेव जंगल के पेड़ों की कटाई की जा रही है। बस्तर में बड़े पैमाने पर पुलिस बल तैनात कर पर्यावरण संबंधित सभी कानून का उल्लंघन किए जाने का आरोप पत्रक में लगाया गया है।
सरकार को सबक सिखाने का आह्वान
नक्सलियों ने पब्लिश किए अपने पर्चे में कहा कि सरकार का विरोध करने वालों को देशद्रोही, नक्सलवादी ठहराया जा रहा है। नक्सलियों ने आह्वान किया कि इस सरकार को सभी मिलकर सबक सिखाए। इसके तहत बीते दिनों हुए भारत बंद को नक्सलियों ने समर्थन दिया था, जिसका जिक्र भी संबंधित पत्रक में किया गया है। (रिपोर्ट- नरेश सहारे)
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